रूस के साथ भारत ने एक बार फिर से गहरी दोस्ती की मिसाल कायम की है. नाटो की भारत को दी गई प्रतिबंध की धमकी के बीच ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त ने वेस्ट को खरी-खरी सुनाई है. उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने भारत के रूस से तेल आयात पर दो टूक अपनी बात रखी है. रूस से तेल खरीद पर पश्चिमी आलोचना को खारिज करते हुए दोरईस्वामी ने कहा जियोपॉलिटिकल कारणों से भारत अपनी अर्थव्यवस्था बंद नहीं कर सकता.
जब पश्चिम ने हथियार नहीं दिए, तो रूस ने भारत की मदद की: भारतीय उच्चायुक्त
भारतीय उच्चायुक्त दोरईस्वामी ने कहा, “रूस के साथ संबंध कई आधारों पर टिके हैं. भारत और रूस के साथ संबंध कई दशकों से है, जो ऐतिहासिक और रणनीतिक जरूरतों पर आधारित है. इसमें सबसे पहला- हमारा पुराना सुरक्षा संबंध है, जो उस समय से है जब कुछ पश्चिमी देश हमें हथियार नहीं बेचते थे, लेकिन हमारे पड़ोसी देशों को हथियार दे रहे थे, जो वो लोग भारत के खिलाफ इस्तेमाल करते थे. भारत का रूस से रिश्ता केवल तेल तक सीमित नहीं है. यह सुरक्षा, ऊर्जा और ऐतिहासिक सहयोग जैसे कई पहलुओं पर आधारित है.”
कई यूरोपीय देश उन्हीं देशों से संसाधन खरीद रहा, जिनसे भारत को रोका जा रहा: भारतीय उच्चायुक्त
ब्रिटेन में भारतीय डिप्लोमैट का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब उनसे भारत-रूस संबंधों और पश्चिमी देशों की आलोचना पर सवाल किया गया. दोरईस्वामी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर वाले सख्त लहजे में जवाब देते हुए कहा कि हम अपनी अर्थव्यवस्था तो बंद नहीं कर सकते हैं?
दोराईस्वामी ने कहा, “आज की स्थिति ये है कि हम जिन देशों से पहले तेल खरीदते थे, अब वे दूसरों को बेच रहे हैं और हमें ऊर्जा बाजार से बाहर कर दिया गया है. ऐसे में हमारे पास विकल्प क्या है? क्या हम अपनी अर्थव्यवस्था बंद कर दें?”
“भारत पर सवाल उठाने वाले कई यूरोपीय देश खुद भी उन्हीं देशों से ऊर्जा और अन्य संसाधन खरीद रहे हैं, जिनसे भारत को खरीदने से रोका जा रहा है. दोराईस्वामी ने पश्चिमी देशों के दोहरी सोच पर आश्चर्य जताते हुए कहा, क्या आपको नहीं लगता कि यह थोड़ा अजीब है?”
दोरईस्वामी ने रूस से तेल खरीद पर भारत के स्टैंड को सही ठहराते हुए कहा, “भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है. हमारी 80 फीसदी जरूरतें ऐसे ही पूरी होती हैं.”
नाटो के अध्यक्ष ने भारत पर की थी प्रतिबंध की बात
हाल ही में नाटो महासचिव मार्क रूट ने “चीन, ब्राजील के साथ-साथ भारत को चेतावनी दी थी. नाटो महासचिव ने कहा था, कि अगर भारत, रूस के साथ व्यापार करना जारी रखता है, खासतौर पर तेल और गैस के क्षेत्र में तो सेकेंड्री टैरिफ लगाए जाएंगे.”
रूट ने कहा था कि “अगर आप बीजिंग, दिल्ली या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं तो आपको इस बात पर गौर करना चाहिए, क्योंकि रूस के साथ व्यापार जारी रखना आपको बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. आप पुतिन को कॉल लगाकर बताएं कि युद्ध रोकें, नहीं तो आपको नुकसान होगा.”
भारत ने नाटो महासचिव के बयान को खारिज किया
भारत ने नाटो के संभावित प्रतिबंधों की धमकियों का विरोध करते हुए इसे दोहरा मानदंड बताया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था “हमने इस विषय पर रिपोर्ट देखी हैं और घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. अपने लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. इस प्रयास में हम बाजार में उपलब्ध चीजो और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों से निर्देशित होते हैं.”
वहीं कई एक्सपर्ट्स ने तो मार्क रूट के बयानों का मजाक बनाया था. कहा कि “इस तरह की धमकी देने की शक्ति न तो मार्क रूट खुद और न ही उनका कार्यालय रखता है.”