पश्चिमी देशों ने रूसी हथियारों को बेकार बताकर भारत को बेहद महंगे सैन्य उपकरण बेचे हैं. ये आरोप लगाया है भारत में रुस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने. अलीपोव के मुताबिक, आज वही सैन्य उपकरण जंग के मैदान में धू धू कर जल रहे हैं.
रूसी राजदूत राजधानी दिल्ली में आयोजित एक डिफेंस कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान अलीपोव ने पश्चिमी देशों पर बेहद सनसनीखेज आरोप लगाए हैं.
कुछ साल पहले तक भारतीय सेना (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) जितने भी विदेशी हथियार इस्तेमाल करती थी, उनमें से 70 प्रतिशत रूस द्वारा सप्लाई किए जाते थे. हालांकि, पिछले अब ये प्रतिशत 40 परसेंट से भी कम रह गया है.
आज भी थलसेना, एके-203 असॉल्ट राइफल से लेकर बीएमपी व्हीकल, टी-72 और टी-90 टैंक से लेकर एटीजीएम और एंटी एयरक्राफ्ट गन सहित आर्टिलरी गन (तोप), मल्टी रॉकेट लॉन्चर सिस्टम और ब्रह्मोस मिसाइल (ज्वाइंट वेंचर) तक रूस का ही इस्तेमाल करती है.
भारतीय वायुसेना भी सुखोई और मिग फाइटर जेट से लेकर मी-17वी5 हेलीकॉप्टर और आईएल-76 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सहित एस-400 मिसाइल रूस के ही इस्तेमाल करती है. इसी तरह भारतीय नौसेना के युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएनएस विक्रमादित्य) तक रुस के ही रहे हैं.
पश्चिमी देशों ने हालांकि, रूसी मिलिट्री प्लेटफॉर्म को हमेशा ‘रस्ट-बकैट’ यानी जंग लगी बाल्टी करार दिया है. ऐसे में पिछले कुछ सालों में भारत ने अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से बड़ी संख्या में हथियार खरीदे हैं. इनमें अमेरिका की सिग-सॉर राइफल, सी-17 और सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टर, एम-777 लाइट होवित्जर, पी8आई टोही विमान और एमक्यू-9 रीपर ड्रोन शामिल हैं.
भारत ने वर्ष 2016 में 59 हजार करोड़ के सौदे में फ्रांस 36 रफाल (राफेल) लड़ाकू विमान भी खरीदे थे. इस सौदे को लेकर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं कि भारत ने फ्रांस से ये बेहद महंगा सौदा किया है. भारत को आज ये फाइटर जेट अपनी मिसाइल और दूसरे हथियार के साथ करीब 1500 करोड़ का पड़ता है. जबकि स्वदेशी एलसीए तेजस की कीमत महज 500 करोड़ है. यहां तक की एक रुसी सुखोई फाइटर जेट की कीमत करीब 900 करोड़ है. रफाल सौदे के दौरान भी रूस ने अपने फाइटर जेट भारत को सप्लाई करने की पेशकश की थी.
हाल के दिनों में भारत ने रूस बीएमपी आर्मर्ड पर्सनल कैरियर (एपीसी) की जगह अमेरिका के स्ट्राइकर व्हीकल को चुना है. लेकिन यूक्रेन जंग में अमेरिका स्ट्राइकर व्हीकल के तबाह होने के कई रिपोर्ट और वीडियो सामने आए हैं. यही वजह है कि रुसी राजदूत ने तंज कसते हुए कहा कि जिन हथियारों को पश्चिमी देश (अमेरिका) भारत को बेचना चाहता है वे जंग के मैदान में जल रहे हैं.
हाल ही में हालांकि, टीएफए के एक सवाल पर यूएस एयर फोर्स के टॉप कमांडर ने कहा था कि भारतीय वायुसेना का सुखोई फाइटर जेट बेहद ही मजबूत एयरक्राफ्ट है. (Tarang Shakti: 100 एयरक्राफ्ट, 1000 उड़ान और एक अटूट बंधन)