पहलगाम नरसंहार एक ऐसा हमला था, जिसकी एक-एक तस्वीरें, एक-एक वीडियो ने भारतीयों में गुस्सा भर दिया. नवविवाहित जोड़े जिनमें किसी की शादी को सिर्फ चार दिन बीते थे तो किसी के 2 महीने उनकी पत्नियों के सामने धर्म पूछ-पूछकर मार डाला गया. यहीं से शुरु हुई थी ऑपरेशन सिंदूर की कहानी.
6-7 मई की देर रात आतंकियों पर भारत ने ऐसा सटीक प्रहार किया कि उजाड़े गए सिंदूर का हिसाब लिया गया. इस दौरान सेना के सटीक हमलों को रिप्रजेंट किया एक जबर्दस्त लोगो ने. भारतीय सेना द्वारा जारी किया गया लोगो सिंदूर के जरिए न्याय और नुकसान का प्रतिनिधित्व करता है.
ऑपरेशन सिंदूर के लोगो के पीछे कौन, सेना ने पुस्तिका में किया खुलासा
पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के ऑपरेशन को सिंदूर नाम देने के लिए जिस जबरदस्त लोगो का इस्तेमाल किया उसे तैयार करने में सेना के दो सैनिकों की अहम भूमिका थी. नाम है लेफ्टिनेंट कर्नल हर्ष गुप्ता और हवलदार सुरिंदर सिंह. भारतीय सेना ने अपनी बातचीत पुस्तिका में इन दोनों के बारे में खुलासा किया है. भारतीय सेना की बातचीत पुस्तिका, सैनिकों को दी जाती है जिसमें हर महीने सेना का लेखा-जोखा होता है. इस मैगजीन में ही सेना ने 6-7 मई की रात को सीडीएस जनरल अनिल चौहान सहित सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों की वॉर-रूम में तस्वीरों को सार्वजनिक किया गया है.
ऑपरेशन सिंदूर का लोगो डिजाइन के पीछे क्या था मैसेज
ऑपरेशन सिंदूर के कमांड सेंटर से जारी की गई पहली तस्वीरें हर जगह छा गई. इन तस्वीरों से मैसेज साफ था. भारतीय सेना के मुताबिक ऑपरेशन का लोगो बनाने के पीछे लेफ्टिनेंट कर्नल हर्ष गुप्ता और हवलदार सुरिंदर सिंह थे. कर्नल हर्ष गुप्ता और हवलदार सुरिंदर सिंह ने “ऑपरेशन सिंदूर” बड़े बोल्ड अक्षरों में लिखा गया है. अंग्रेजी के ऑपरेशन का नाम मोटे अक्षरों में लिखा गया है. इसमें एक ‘ओ’ लाल सिंदूर के कटोरे जैसा है और उसमें से कुछ सिंदूर बिखरा हुआ है. यह बिखरा हुआ सिंदूर विधवा महिलाओं का प्रतिनिधित्व करता है. दरअसल, हिंदू परंपरा के मुताबिक शादीशुदा महिलाएं अपनी वैवाहिक स्थिति के प्रतीक के रूप में सिंदूर लगाती हैं.
ऑपरेशन सिंदूर के लोगो ने तोड़ा सोशल मीडिया का रिकॉर्ड
सेना ने लोगो डिजाइन करने वाले कर्नल हर्ष और हवलदार सुरिंदर की तस्वीर जारी करके ये भी बताया है कि इस लोगो ने सोशल मीडिया पर रिकॉर्ड तोड़ दिया. सेना के मुताबिक इंस्टाग्राम पर इसे 26 करोड़ और एक्स पर 2.1 करोड़ लोगों ने दुनियाभर से देखा.
दरअसल इस लोगो से भावनाएं जुड़ी हुई थीं. जिस तरह से पत्नियों के सामने उनके पत्नियों को मारा गया, वो बेहद ही रोंगटे खड़े करने वाला था. रोती बिलखती पत्नियों ने अपना दर्द बयां किया था. हिंदू संस्कृति में सिंदूर विवाहिता महिलाओं का प्रतीक होता है, और उसका मिटना विधवा होने का संकेत है. इस लोगो में गिरा हुआ सिंदूर उन स्त्रियों के दुःख और उनके पतियों के बलिदान का प्रतीक है जो पहलगाम हमले में मारे गए थे. यह लोगो सिर्फ शोक नहीं, बल्कि “न्याय की पुकार” और “भारत की प्रतिशोधात्मक दृढ़ता” आक्रोश और जोश को भी दिखाता है.
ऑपरेशन का नाम सिंदूर क्यों रखा गया, छिड़ी थी बहस
सोशल मीडिया पर ऑपरेशन के नाम को लेकर तमाम तरह की बहस की गई. लेकिन सिंदूर सिर्फ सेना के ऑपरेशन का कोडनेम ही नहीं था, बल्कि ये सेना को पराक्रम को जगा कर रखने वाला भी था कि आतंकियों ने देश की बेटियों का सुहाग छीना, उन आतंकियों से बदला लेना है. प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च-स्तरीय बैठकों में यह स्पष्ट किया कि इस आतंकी हमले ने जानबूझकर भारत के पुरुषों को निशाना बनाया, जिससे स्त्रियां विधवा हुईं और परिवार बिछड़ गए. ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर नाम भावनात्मक जुड़ाव वाला है.
ऑपरेशन सिंदूर में जैश-लश्कर के 100 से ज्यादा आतंकी ढेर
भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया. सेना के इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए. जैश-लश्कर का हेडक्वार्टर, ट्रेनिंग सेंटर तबाह कर दिया गया. मारे गए लोगों में जैश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर के परिवार के 10 लोगों समेत 14 करीबी शामिल थे.