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Jungle warfare: महिला कमांडो गुरिल्ला रणनीति में प्रशिक्षित

आतंकियों से लोहा लेने के लिए देश की बेटियां अब गुरिल्ला (गोरिल्ला) रणनीति के गुर सीख रही हैं. भारतीय सेना के मिजोरम स्थित ‘काउंटर इनसर्जेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल’ (सीआईजेडब्लूएस) में पहली बार छह महिला सैन्य अधिकारियों को ‘लो-इंटेंसिटी कॉन्फ्लिक्ट ऑपरेशन्स’ में ट्रेनिंग दी जा रही हैं. 

भारतीय सेना की आर्मी ट्रेनिंग कमांड (एआरटीआरएसी यानी आरट्रैक) ने अपने आधिकारिक ट्विटर (एक्स) अकाउंट पर इन महिला कमांडो की ट्रेनिंग लेते हुए तस्वीरें जारी की हैं. ये तस्वीरें ऐसे समय में सामने आई हैं जब वैरेंगटे (मिजोरम) स्थित सीआईजेडब्लूएस अपना 55वां स्थापना दिवस मना रहा है. 

आरट्रैक की तस्वीरों में महिला कमांडो सांप से दो-दो हाथ करती हुई दिखाई पड़ रही है. साथ ही पेड़ों की आड़ में हाथों में गन लिए मोर्चा संभालती हुई दिखाई पड़ रही हैं.  वैरेंगटे भारतीय सेना के उन चुनिंदा ट्रेनिंग सेंटर में से एक है जहां खास तौर से जंगल में लड़ने के युद्ध-कौशल का परीक्षण दिया जाता है. जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों में उग्रवाद और आतंकियों से लड़ने वाले सैनिकों को पहले इस ट्रेनिंग स्कूल से ही होकर गुजरना पड़ता है. क्योंकि आतंकी और उग्रवादी ‘छद्म’ युद्ध लड़ते हैं, ऐसे में यहां पर खास तौर से सैनिकों और कमांडो को गुरिल्ला रणनीति ही सिखाई जाती है (https://x.com/artrac_ia/status/1784637034789052813).

सीआईजेडब्लू का आदर्श वाक्य ही है ‘गोरिल्ला से गोरिल्ला की तरह लड़ो’. वर्ष 1969 में सीआईजेडब्लू की स्थापना की गई थी. उस वक्त मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों में उग्रवाद चरम पर था. ऐसे में तत्कालीन सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (बाद में थलसेना प्रमुख और फील्ड मार्शल) सैम मानेकशॉ ने इस ट्रेनिंग स्कूल को बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी. 

तभी से भारतीय सेना और मित्र-देशों की सेनाओं के सैन्य अधिकारियों और सैनिकों के लिए  वैरेंगटे स्थित सीआईजेडब्लू जंगल वारफेयर में एक बेहद ही उच्च श्रेणी का ट्रेनिंग सेंटर माना जाता है. भारतीय सेना और दूसरे सुरक्षाबलों के साथ-साथ यहां हमेशा किसी ना किसी देश के सैनिक गुरिल्ला युद्धनीति सीखने के लिए मौजूद रहते हैं. इस वक्त भी बांग्लादेश, भूटान, फ्रांस, मलेशिया, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों के ऑफिसर ट्रेनिंग ले रहे हैं.

जम्मू कश्मीर और उत्तर पूर्व के राज्यों में अब महिलाओं की तैनाती तो शुरु हो गई है लेकिन सीधे तौर से ऑपरेशन्स में भागीदारी अभी कम ही है. ऐसे में अगर महिला कमांडो  वैरेंगटे जैसे ट्रेनिंग स्कूल में काउंटर इनसर्जेंसी और जंगल वारफेयर की रणनीति में पारंगत होती हैं तो वो दिन दूर नहीं जब आतंकियों से दो-दो हाथ करने में देश की बेटी आगे आएंगी. 

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