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खनिज समझौते वाला ट्रंप कार्ड, जेलेंस्की से बन गई बात

रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्ति की कोशिशों के बीच अमेरिका और यूक्रेन के बीच खनिज समझौता लगभग तय हो गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के चलते यूक्रेन अब अमेरिका के साथ उस समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार हो गया है, जिसे लेकर यूक्रेन और अमेरिका में कई दिनों से बातचीत चल रही थी. लेकिन व्हाइट हाउस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस के बाद डील डीरेल हो गई थी. यूक्रेनी आर्थिक मंत्री यूलिया स्विरीडेंको इस समय वॉशिंगटन में हैं और सौदे के तकनीकी पहलुओं को अंतिम रूप दे रही हैं.

अमेरिका-यूक्रेन के बीच खनिज समझौता 

वेटिकन सिटी में हुई जेलेंस्की और ट्रंप के बीच हुई बैठक के बाद यूक्रेन अमेरिका के साथ खनिज समझौता करने को तैयार हो गया है. इसके तहत यूक्रेन को पूर्व में दी गई सैन्य मदद के बदले अब अमेरिका कीव के बहुमूल्य खनिज लेगा. डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के बाद से ही ये साफ कर दिया था कि रूस के खिलाफ सैन्य सहायता अब यूक्रेन को मुफ्त नहीं मिलने वाली. सैन्य सहायता के बदले यूक्रेन को भी कुछ (खनिज) देना होगा. इस सौदे के तहत दोनों देश मिलकर यूक्रेन की जमीन में कीमती खनिजों को निकालेंगे और उनका इस्तेमाल करेंगे. 

चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है अमेरिका

दरअसल खनिजों पर अमेरिका काफी हद तक चीन पर निर्भर है. अमेरिका चाहता है कि वह चीन जैसे देशों पर कम निर्भर रहे और खुद खनिजों का इस्तेमाल कर सके. यूक्रेन की जमीन में लिथियम, टाइटेनियम, यूरेनियम जैसे खनिज पाए जाते हैं, जो बैटरी, हवाई जहाज और परमाणु ऊर्जा जैसी जरूरी चीजें बनाने में काम आते हैं. यूक्रेन के साथ डील से अमेरिका को जरूरी खनिज मिलेंगे और यूक्रेन को पैसे और आर्थिक मदद मिलेगी. 

ट्रंप ने जेलेंस्की से सैन्य मदद के लिए दिए गए 500 अरब डॉलर वापस मांगे थे

हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति ने खुलासा किया था कि ट्रंप रूस के खिलाफ युद्ध में बाइडेन प्रशासन के दिए गए 500 अरब डॉलर वापस मांग रहे हैं. जेलेंस्की ने कहा था कि अगर वो अमेरिका को खनिजों का अधिकार नहीं देते हैं तो यूक्रेन की 10 पीढ़ियां भी 500 अरब डॉलर नहीं चुका पाएंगी. जेलेंस्की ने ये भी दावा किया कि खनिज सौदे से होने वाली कमाई यूक्रेन और अमेरिका के ज्वाइंट खाते में जमा होगी, इसके बाद यूक्रेन अमेरिका का कर्जदार नहीं रहेगा. 

हालांकि ये समझौता एक सौदे की तरह है. इसमें सिर्फ आर्थिक हित शामिल हैं, इसके बदले रूस से सुरक्षा गारंटी नहीं दी गई है. 

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