भारत पर लगातार टैरिफ का दबाव बढ़ाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लगने वाला है बड़ा कूटनीतिक झटका. सोमवार को खुद ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्ति पर सरेंडर करते हुए कहा था, युद्ध समाप्ति जटिल है. लेकिन अब पूरी दुनिया की नजर भारत पर टिक गई है.
क्योंकि अगले कुछ महीनों में सिर्फ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ही दिल्ली नहीं आ रहे, बल्कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने भी दिल्ली आने की इच्छा जताई है. रूस हो या यूक्रेन दोनों ही चाहते हैं कि युद्ध समाप्ति के लिए भारत एक्टिव हो. पुतिन ने तो पिछले साल ही कहा था कि युद्ध समाप्ति के लिए भारत की मध्यस्थता चाहते हैं.
शांति और संवाद के लिए भारत के समर्थन के लिए धन्यवाद: जेलेंस्की
जेलेंस्की ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं देने के लिए धन्यवाद कहा है. जेलेंस्की ने अपने एक्स पोस्ट में पीएम मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर गए मैसेज को साझा करते हुए कहा, “भारत शांति और संवाद के लिए जो समर्थन देता है, वह सराहनीय है.”
जेलेंस्की ने कहा कि “आज जब दुनिया इस भयानक युद्ध को सम्मानजनक और स्थायी शांति के साथ समाप्त करने की कोशिश कर रही है, हम भारत के योगदान की उम्मीद करते हैं. हर वह निर्णय जो कूटनीति को मजबूत करता है न सिर्फ यूरोप बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और उससे भी आगे की सुरक्षा को बेहतर बनाता है.”
पीएम मोदी ने जेलेंस्की को भेजे पत्र में क्या कहा था?
यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की एक पत्र भेजकर शुभकामनाएं दी थी. पीएम मोदी ने अपने पत्र में लिखा कि “मैं आपको और यूक्रेन की जनता को आपके स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. मुझे अगस्त में कीव की अपनी यात्रा की गर्मजोशी से याद है और मुझे खुशी है कि भारत-यूक्रेन संबंधों में तब से प्रगति हुई है.”
पीएम मोदी ने लिखा, “भारत हमेशा शांति के पक्ष में खड़ा रहा है और वह बातचीत व कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के हर ईमानदार प्रयास का समर्थन करता रहेगा.”
जल्द भारत का दौरा कर सकते हैं जेलेंस्की, पुतिन के भी भारत दौरे की तारीख तय
भारत में यूक्रेन के राजदूत ओलेक्सांद पोलिशचुक ने इस बात की पुष्टि की है कि “जेलेंस्की जल्द भारत आ सकते हैं, उनके भारत दौरे की तारीखों के बारे में फाइनल किया जा रहा है.” पोलिशचुक ने कहा, “भारतीय प्रधानमंत्री ने जेलेंस्की को भारत आने का निमंत्रण दिया है. दोनों पक्ष इस पर काम कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि राष्ट्रपति जेलेंस्की निश्चित रूप से भारत आएंगे.”
वहीं हाल ही में एनएसए अजीत डोवल और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जानकारी दी थी कि इस साल के अंत तक भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय वार्ता के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिल्ली आएंगे.
ऐसे में कुछ ही दिनों के अंतर में होने वाली पुतिन और जेलेंस्की की अलग-अलग यात्रा कूटनीतिक मायने में बेहद अहम होने वाली है. पूरी दुनिया की नजर इस यात्रा पर रहेगी, क्योंकि कई पश्चिमी देशों का मानना है कि भारत, रूस-यूक्रेन के युद्ध रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है.
मॉस्को के साथ दिल्ली के अच्छे संबंध शांति वार्ता के लिए अहम: यूक्रेनी राजदूत
यूक्रेन के राजदूत ने कहा, “मॉस्को के साथ नई दिल्ली के संबंधों के कारण शांति वार्ता में भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार है. हम यूक्रेन में शांति स्थापना प्रक्रिया में भारत की अधिक भागीदारी की उम्मीद करते हैं. पीएम मोदी ने कहा था कि भारत ‘तटस्थ नहीं’ है, बल्कि शांति और संवाद के पक्ष में दृढ़ता से खड़ा है. इसलिए भारत को युद्ध समाप्ति की कोशिशें करनी चाहिए.”
ट्रंप के सिपहसालार ने भी कहा था कि शांति का रास्ता भारत से होकर निकलता है
अमेरिकी राष्ट्रपति के सलाहकार और भारत विरोधी पीटर नवारो ने भी पिछले सप्ताह इस बात को कबूल किया था कि रूस-यूक्रेन के युद्ध समाप्ति में भारत अहम भूमिका निभा सकता है, क्योंकि पीएम मोदी और पुतिन दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं. पीटर नवारो ने कहा था कि “यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर गुजरता है. प्रधानमंत्री मोदी को भारत की भूमिका के बारे में सोचना चाहिए.”
पुतिन,जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं से मिले चुके हैं ट्रंप, लेकिन कोई प्रगति नहीं
15 अगस्त को अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पुतिन से मुलाकात की थी. इस मीटिंग में पुतिन, ट्रंप पर भारी नजर आ रहे थे. रूस से साफ साफ युद्ध शांति की शर्तों के बारे में बताया है, जिसके बाद ट्रंप ने जेलेंस्की और यूरोप के बड़े नेताओं, नाटो और ईयू चीफ से मुलाकात की थी. लेकिन इस बातचीत के बाद सोमवार को ट्रंप ने कहा है कि युद्ध रोकना जटिल है. जबकि ट्रंप, अक्सर ये दावे करते थे कि 24 घंटे में वो रूस-यूक्रेन युद्ध रोक देंगे.
ट्रंप से मिलने से पहले और मिलने के बाद पुतिन ने की थी पीएम मोदी से बात
रूस-यूक्रेन युद्ध शांति के लिए भारत के अहम रोल की बात इसलिए उठ रही है, क्योंकि भारत-रूस पारंपरिक मित्र है. अंदाजा लगाइए कि अमेरिका लगातार रुस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर दबाव बना रहा है. 50 प्रतिशत टैरिफ लगा चुका है, साथ ही और प्रतिबंध लगा सकता है बावजूद इसके भारत ने कह दिया है कि वो राष्ट्रहित से पीछे नहीं हटेगा, रूस से तेल खरीदता रहेगा.
वहीं व्लादिमीर पुतिन, पीएम मोदी को अपना सच्चा मित्र यूं ही नहीं मानते हैं. हर कठिनाई के समय भारत के साथ खड़े रहे हैं साथ ही पीएम मोदी से समय-समय पर सलाह भी लेते रहे हैं. हाल ही में जब अलास्का में पुतिन, ट्रंप से मिलने वाले थे, तो उन्होंने पीएम मोदी से पहले बात की थी. इसके अलावा अलास्का में हुई बैठक के बाद भी पुतिन ने कॉल करके पीएम मोदी को अपडेट दिया था.
ऐसे में अगले कुछ महीनों में दिल्ली में होने वाले पुतिन और जेेलेंस्की के हाईप्रोफाइल दौरे पर दुनिया की निगाह है, क्योंकि अधिकतर देशों को मानना है कि भारत की कूटनीति के चलते युद्ध समाप्ति का कोई रास्ता निकल सकता है.