दुनिया में अमेरिकी खुफिया एजेंसी, सीआईए के बाद कोई एजेंसी जो सबसे शक्तिशाली मानी जाती है तो वो है इजराइल की मोसाद. मोसाद यानी इजरायली खुफिया एजेंसी ऐतिहासिक ‘कोवर्ट-ऑपरेशन’ के लिए जाने जाती है. कैसे दुश्मन की सरहद में घुसकर ऑपरेशन का अंजाम देना है. कैसे दबे पांव किसी भी देश में जाकर सीक्रेट मिशन को पूरा करना है. कैसे सैन्य ठिकानों में जाल बिछाकर जानकारी हासिल करनी है, मोसाद के जासूसों से ज्यादा शायद ही कोई एक्सपर्ट हो. जब जब इजरायल का नाम लिया जाता है तब तक मोसाद का जिक्र जरूर होता है. फिर आतंकी संगठन हमास ने दुनिया के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले देश इजराइल की मोसाद को कैसे चकमा दे दिया, ये किसी की भी सोच से परे है. 

मोसाद के खौफ का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 26/11 हमले के बाद दुनिया के मोस्ट-वांटेड आतंकी हाफिज सईद की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी, क्योंकि हाफिज सईद को अपनी मौत का डर सताने लगा था. वजह थी कि आतंकियों ने मुंबई हमले में 6 यहूदियों की हत्या की थी, नरीमन हाउस में रहने वाले यहूदियों को टारगेट किया था. यहूदियों की हत्या के बाद ये तो तय था कि मोसाद मास्टरमाइंड को छोड़ेगी नहीं. लिहाजा पाकिस्तान ने हाफिज सईद की सिक्योरिटी बढ़ा दी थी. मोसाद ने ना जाने कितने खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम दिया है जिसने दुनिया को चौंका दिया है. मोसाद की स्टाइल के ऑपरेशन को टॉम क्रूज की फिल्म मिशन इंपॉसिबल में भी दिखाया गया है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि 2011 में ईरान के परमाणु परीक्षण के प्रमुख की कार में मोसाद के बाइक सवारों ने एक डिवाइस अटैच कर धमाका किया था. मोसाद के इसी सीन को मिशन इम्पॉसिबल में दोहराया गया था.

चर्चा में ‘फौदा’
इजरायल में बीते शनिवार हुई ऐतिहासिक त्रासदी के बीच इस समय आम लोगों में सबसे ज्यादा जिक्र हो रहा है नेटफ्लिक्स पर आई सीरीज ‘फौदा’ की. फौदा की कहानी इजरायल की सेना के अंडरकवर कमांडो पर आधारित है. ये कमांडो पड़ोसी देश फिलीस्तीन में जाते हैं और खुद को वहां के लोगों के बीच उन्हीं के परिवेश में रहते हैं और खुद को उन्हीं की ढंग में ढाल लेते हैं. फिलिस्तीन में रहकर  खुफिया जानकारियां जुटाते हैं. और इजरायल के खिलाफ हो रहे आतंकी हमलों की साजिश को रोकने की कोशिश करते हैं. फौदा में इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष की दो-तरफा कहानी है.फिलिस्तीनी क्षेत्रों के अंदर सक्रिय इजरायली एजेंट के कमांडर हमास आतंकवादी की तलाश करते हैं. इजरायल को दहलाने से बचाते हैं. पर 6-7 अक्टूबर को हकीकत में जो इजरायल में हुआ उसे रोका नहीं जा सका.

फेल हुआ इजरायली कवच
हमास के आतंकियों ने जिस तरह से इजरायल को निशाना बनाया वो सोच से परे है. एक साथ जल, थल, नभ तीनों से अटैक. हमास के लड़ाकों ने घुसपैठ करके इजरायली सीमा पर लगी बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली फेंसिंग को भी मात दे दी. इजरायली कमांडर्स को कुछ समझने का मौका नहीं मिला. 5000 से ज्यादा मिसाइल अटैक से दहल गया इजरायल. इजरायल की गाजा पट्टी पर वैसे तो हमास लड़ाके अक्सर रॉकेट दागते हैं, या यूं समझ लीजिए भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर पर जैसे पाकिस्तान की ओर से सीजफायर तोड़कर फायरिंग की जाती है. वैसे ही गाजापट्टी पर तनातनी आम बात है. ऐसी फायरिंग से बचने के लिए इजरायल ने बना रखा है आयरन डोम. आयरन डोम ऐसे कवच है, जो मिसाइल हमलों को नाकाम करता है. घुसपैठ पर नजर रखने के लिए सेंसर-कैमरे लगे हुए हैं. इजरायल की तर्ज पर ही भारत ने भी वैसी ही फेंसिंग, सेंसर और कैमरे बॉर्डर पर लगा रखे हैं. पर इजरायल की अबतक की सबसे बड़ी सुरक्षा चूक मानी जा रही है कि हमास के आतंकियों ने ऐसी फेंसिंग, कैमरे और सेंसर तक को मात दे डाली.

पहले 1973 और अब 2023 मोसाद फेल, दो अटैक, दो समानताएं

भले ही फिलीस्तीन के खिलाफ इजरायल ने अब ‘ऑपरेशन आयरन स्वॉर्ड’ शुरु कर दिया है पर इतिहास में दूसरी बार मोसाद फेल हुई. जानकार बताते हैं साल 1973 में कुछ ऐसे ही इजरायल में अटैक हुआ था. ठीक यहूदियों के त्योहार योम किप्पुर पर. योम किप्पुर यहूदियों का सबसे बड़ा त्योहार है. साल 1973 में जब इजरायल के नागरिक योम किप्पुर के दिन जश्न में डूबे थे तब अरब देशों ने अचानक हमला किया, और ख़ुफ़िया एजेंसियों को कोई भनक नहीं लगी. ठीक 50 साल बाद इस बार भी हमला योम किप्पुर के ठीक एक दिन बाद हुआ. लोग त्योहार मना रहे थे तब हमास के लड़ाके सीमा में घुस गए और तबाही मचा दी. हमला पूरी प्लानिंग के साथ हुआ.

कौन हैं हमास के दोस्त,
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मोसाद ने हमास की पूरी तरह से कमर तोड़ दी है. पर हमास कैसे इतना शक्तिशाली हो गया. किसने धन और बल से सपोर्ट किया. दरअसल इजरायल और सउदी अरब से नजदीकी कुछ देशों को अखर रही हैं. इन देशों में सबसे आगे है ईरान. ईरान और इजरायल एक दूसरे के कट्टर दुश्मन है. हमास आतंकी संगठन को ईरान मदद करता है. ईरान के साथ तुर्की भी हमास को खड़ा करने में मदद कर रहा है. ईरान, तुर्की और कुछ देश और हमास को पैसों, टेक्नोलॉजी, और हथियार, गोला बारूद सब सप्लाई करते हैं. और पिछले कुछ सालों में हमास को इन देशों ने एक बार फिर खड़ा कर दिया है. दरअसल ईरान नहीं चाहता है कि अरब देशों और इजरायल के संबंध मजबूत हों. ईरान सुधरते संबंधों को रोकना चाहता है.

क्यों हुआ हमला?
ताजा हमला अरब देशों और इजरायल के बीच चल रही शांति वार्ता को डिरेल करने की कोशिश है. इसके अलावा इसी साल अप्रैल महीने में इज़रायली पुलिस अल-अक्सा मस्जिद के अंदर घुस गई थी. मस्जिद के अंदर तोड़-फोड़ हुई और लोगों पर स्टन गन और रबर की गोलियों से हमला किया गया. जिसमें क़रीब 40 लोग घायल हुए. इजरायली पुलिस ने सफाई दी कि उपद्रवियों की वजह से पुलिस ने मस्जिद में गोलीबारी की पर अल अक्सा मस्जिद में हुए इस एक्शन फिलिस्तीन और इजरायल में तल्खी बढ़ गई. हमास इजरायल के खिलाफ तैयारी करने लगा पर इजरायल ने अल अक्सा मस्जिद की घटना को नजरअंदाज किया. इसके अलावा इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का विरोध अब उनकी नीतियों की वजह से किया जा रहा है. न्यायिक सुधार के कानून को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. नेतन्याहू का खुद के ही देश में विरोध होने से हमास की साजिश को बल मिला.

हालांकि 

इजरायल घायल शेर की तरह हमास को जवाब दे रहा है पर मोसाद के फेल होने से कई सवाल खड़े हो गए है. गाजा-पट्टी में हमेशा जासूस तैनात होते हैं. ऐसे में हमास के लड़ाकों का जुटना, हथियारों के बड़े जखीरे का इकट्ठा होना. साथ ही समंदर, आसमान, जमीन सब जगह से आतंकियों का अटैक करना, फौरी हमला नहीं है. इसके लिए हमास कई महीने से तैयारी कर रहा होगा. हथियार, असलहा जुटा रहा होगा. पल पल नजर रख रहा होगा. आखिर मोसाद को क्यों नहीं पता चला पाया.