जी-20 समिट के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत दुनिया की तमाम बड़ी हस्तियों का काफिला राजधानी दिल्ली की सड़कों पर गुजरेगा. जी-20 की सबसे बड़ी मीटिंग भारत के लिए एक गर्व की बात तो है लेकिन उतना ही बड़ा खतरा भी है. ये खतरा आसमान से ज्यादा है, वो भी ड्रोन अटैक का खतरा. यही वजह है कि इस तरह के काफिले की हवाई सुरक्षा के लिए भारत की एक स्वदेशी कंपनी ने तैयार किया है खास काउंटर-ड्रोन सिस्टम, ‘इंद्रजाल’।
ग्रीन रोबोटिक्स कंपनी द्वारा तैयार देश के पहले ऑटोनोमस ड्रोन डिफेंस डोम को लॉन्च करने के लिए खुद हैदराबाद पहुंचे उत्तराखंड के राज्यपाल और भारतीय सेना के पूर्व डिप्टी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह. इजरायल की तर्ज पर तैयार इस डोम को एआई यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार किया गया है ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा को चीन-पाकिस्तान और आतंकियों की खतरों से एक कदम आगे रखा जा सके. ये खास काउंटर ड्रोन सिस्टम वीवीआईपी काफिलों की निगरानी और सुरक्षा से लेकर सीमा की निगहबानी, एयरपोर्ट, ऑयल रिफाइनरी, न्यूक्लियर प्लांट जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों की सुरक्षा करने में कारगर साबित हो सकता है. साथ ही एलएसी पर चीन जैसे देशों की स्वार्म-ड्रोन तकनीक को भी जाम कर सकता है. जिसके लिए ग्रीन रोबोटिक्स ने तैयार किया है खास ‘ज़ोम्बी ड्रोन’।
इंद्रजाल काउंटर ड्रोन सिस्टम पाकिस्तान से पंजाब की सीमा में हथियारों और ड्रग्स की स्मगलिंग करने वाले छोटे क्वॉडकॉप्टर हों या फिर हाल ही में टर्की द्वारा तैयार किया गया लॉन्ग एंड्यूरेंस ‘बायरेक्टर टीबी-2’ ड्रोन जो बेहद ऊंचाई पर फ्लाइ करता है, उन सभी तरह के खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह कमर कस चुका है. ये वही बायरेक्टर ड्रोन है जो पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से अपने हमर्दद टर्की से खरीदे हैं।
ग्रीन रोबोटिक्स का दावा है कि इंद्रजाल डोम ‘मेल’ (एमएएलई) यानि मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस और ‘हेल’ (एचएएलई) यानि हाई ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस, सभी तरह के अनमैन्ड एयरक्राफ्ट को न केवल इंगेज बल्कि मार गिराने में सक्षम है. क्योंकि इसमें मिसाइल और दूसरे एंटी एयरक्राफ्ट वैपन को इंटीग्रेट किया जा सकता है. ये सब ऑटोनोमस रहकर किया जा सकता है जिसे कंपनी ने नाम दिया है ‘वेपन फ्यूजन’।
क्लॉकॉप्टर जैसे माइक्रो ड्रोन को न्यूट्रेलाइज करने के लिए इंद्रजाल, ‘रिप्लसर’ तकनीक से लैस है जो ट्रैक्टर बीम के जरिए दुश्मन के ड्रोन को ना केवल जाम कर सकता है बल्कि उसे कंट्रोल भी कर सकता है. हैदराबाद स्थित ग्रीन रोबोटिक्स के आर एंड डी सेंटर में इसका एक लाइव डेमो भी राज्यपाल और ‘फाइनल असॉल्ट’ की मौजूदगी में कराया गया. इसके लिए एक टारेगट-ड्रोन को पहले आसमान में उड़ाया गया और फिर कंपनी के खास ‘स्काई-कॉप’ ड्रोन को इंगेज और कंट्रोल करने के लिए भेजा गया. जैसाकि नाम से विदित है, स्काई-कॉप आसमान में एक ‘पुलिस फोर्स’ या फिर एक प्रहरी की तरह निगरानी रखना है और जैसे ही कोई अनवान्टेड ड्रोन दिखाई पड़ता है उसे ना केवल डिटेक्ट करता है बल्कि उसे ट्रैक भी करता है और कंट्रोल कर सुरक्षित क्षेत्र से बाहर भी भेज सकता है।
इंद्रजाल सिविल और मिलिट्री सिस्टम से इंटीग्रेट होकर चंद मिनटों में बता सकता है कि आसमान में उड़ने वाला ड्रोन ‘फ्रेंड है या फो’. क्योंकि आने वाले समय में देश की एयरस्पेस में ड्रोन की भरमार देखने को मिल सकती है. पिज्जा डिलीवरी से लेकर मेडिसिन सप्लाई और इंसानों तक को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो सकता है. साथ ही पुलिस, सेना और सुरक्षाबल भी एयरस्पेस की रखवाली के लिए बड़ी तादाद में ड्रोन का इस्तेमाल करेंगी. चीन-पाकिस्तान से सटी एलएसी और एलओसी तक की निगहबानी इन्ही ड्रोन के जरिए की जाएगी. ऐसे में दुश्मन का ड्रोन कौन सा है उसके लिए इंद्रजाल सिस्टम तैयार किया गया है।
हेल, मेल और माइक्रो ड्रोन्स के साथ साथ इंद्रजाल सिस्टम नैनो ड्रोन से भी निपट सकते हैं. इसके लिए ग्रीन रोबोटिक्स का खास ज़ोम्बी एक ‘फ्लाई एंड डाय’ ड्रोन है. अपने नाम की तरह ये दुश्मन के ड्रोन को डिटेक्ट कर उसे क्रैश कर देता है यानि ये एक ‘कामीकाज़ी’ ड्रोन है। ये सभी काउंटर ड्रोन तकनीक पहले से मार्केट में उपलब्ध हैं. लेकिन ग्रीन रोबोटिक्स ने इन सभी तकनीकों को एक सूत्र में बांधकर ‘इंद्रजाल डोम’ तैयार किया है. यानि अलग-अलग ड्रोन के लिए सेना, पुलिस और दूसरे सुरक्षा एजेंसियों को अलग काउंटर ड्रोन नहीं इस्तेमाल करने होंगे. इंद्रजाल के यूनिफाइड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से हर तरह के ड्रोन-थ्रेट को न्यूट्रलाइज किया जा सकता है. इसलिए इसे ‘इंद्रजाल’ का नाम दिया गया है. ठीक वैसे ही जैसे इजरायल अपने देश की एयर-स्पेस की सुरक्षा ‘आयरन डोम’ से करती है।
कंपनी का दावा है कि इंद्रजाल डोम की रेंज 3-4 हजार स्क्वायर किलोमीटर है. क्योंकि इसमें एक दो नहीं पूरे 12 तकनीकों के जरिए एक एआई-पावर्ड नेटवर्क सिस्टम तैयार किया गया है. साथ ही अभी जो ड्रोन से निपटने के लिए जो काउंटर-मेजर्स देश में बने हैं वो नाकाफी हैं, उनमें काफी खामियां हैं. बीएसएफ के जवानों को आज सरहद पर पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन को अपनी एके-47 राइफल या फिर इंसास राइफल से गिराना पड़ता है. लेकिन ये परमानेंट इलाज नहीं है भविष्य में ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए. बेहद तेज गति से चलने वाले ड्रोन को राइफल से मारना धूल में लठ्ठ चलाने के बराबर है. जबकि हर रोज पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर की सीमा में पाकिस्तानी ड्रोन हथियार और ड्रग्स की स्मगलिंग कर रहे हैं।
ग्रीन रोबोटिक्स के डायरेक्टर विंग कमांडर साई मलेला (रिटायर) के मुताबिक, इंद्रजाल सिस्टम लो आरसीएस यानि रडार क्रॉस सेक्शन से नीचे उड़ रहे ड्रोन को भी इंटरसेप्ट कर सकता है और यही इसकी खूबी है. आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक निवास 7 एलकेएम पर ड्रोन देखे जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आया है. जैसा कि ग्रीन रोबोटिक्स का दावा है कि इंद्रजाल सिस्टम में नीचे उड़ान भरने वाले क्वॉडकॉप्टर को भी डिटेक्ट करने की क्षमता भी है।
कंपनी के सीईओ किरन राजू के मुताबिक, इंद्रजाल काउंटर ड्रोन सिस्टम अगर ग्रीन रोबोटिक्स तैयार कर पाई है तो इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बड़ा योगदान है. क्योंकि एआई आज इंसान के दिमाग से न केवल तेज सोचती है बल्कि चंद मिनटों में रिएक्ट कर खतरे को टाल भी देता है।
एक लंबे समय तक देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह 27 जून 2021 की तारीख को कभी नहीं भूल पाते जब जम्मू एयरबेस पर ड्रोन अटैक हुआ था. साथ ही पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गलवान घाटी की लड़ाई से सीख लेते हुए देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देते हुए गुरमीत सिंह इंद्रजाल सिस्टम को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इंद्रजाल को ड्रोन वॉरफेयर में एक ‘पैराडाइम शिफ्ट’ मानते हैं।
ग्रीन रोबोटिक्स ने दुनिया के सामने डेमो दिखाकर अपने इंद्रजाल ऑटोनोमस ड्रोन डिफेंस डोम की क्षमता का नमूना पेश किया है. अब हमारे देश की सेना, पुलिस और पैरा-मिलिट्री फोर्स को देखना है कि वे इंद्रजाल को किस तरह राष्ट्रीय सुरक्षा में तैनात करती हैं. क्योंकि कंपनी का दावा है कि इंद्रजाल जैसी तकनीक दुनिया में सिर्फ तीन कंपनियों के पास है और भारत में सिर्फ ग्रीन रोबोटिक्स के पास. दो वर्ष पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सुरक्षा एजेंसियों ने इंद्रजाल सिस्टम को टेस्ट के तौर पर लाल किले पर तैनात किया था ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिक्योरिटी में किसी भी तरह की कोई चूक न हो पाए।
(नीरज राजपूत देश के जाने-माने डिफेंस-जर्नलिस्ट हैं और हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध पर उनकी पुस्तक ‘ऑपरेशन Z लाइव’ (प्रभात प्रकाशन) प्रकाशित हुई है. ‘इंद्रजाल’ सिस्टम तैयार करने वाली कंपनी ग्रीन रोबोटिक्स के निमंत्रण पर लेखक हैदराबाद स्थित कंपनी के आर एंड डी सेंटर गए थे.)