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ईरान ने दी युद्ध में कूदने की धमकी, रूस-चीन से है दोस्ती

गाज़ा पट्टी में इजरायल के ताबड़तोड़ हमलों को देखते हुए ईरान ने धमकी दी है कि पश्चिमी एशिया में हालात नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं. गाज़ा में हो रहे हमलों के लिए ईरान ने इजरायल के साथ-साथ अमेरिका को भी जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि, अमेरिका ने साफ दोहराया है कि ईरान पर हमले का कोई इरादा नहीं है. 

पिछले 24 घंटों में इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने गाज़ा पट्टी के अलग-अलग इलाकों में हमास के 300 से भी ज्यादा ठिकानों को निशाना बनाया. इनमें एरियल स्ट्राइक से लेकर ग्राउंड फोर्सेज के ऑपरेशन भी शामिल हैं. आईडीएफ ने अपने ग्राउंड अटैक की ड्रोन फुटेज जारी कर बताया कि इजरायल के “टैंक और इंफैन्ट्री ने उत्तरी गाज़ा में घुसकर आतंकियों (हमास) के कई सेल, इंफ्रास्ट्रक्चर और एंटी-टैंक मिसाइल लॉन्च पोस्ट को तबाह किया है. अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के बाद सैनिक वहां से निकलकर इजरायली सीमा में लौट आए हैं.” आईडीएफ के मुताबिक, “ये ऑपरेशन अगले हमले की तैयारियों के लिए किया गया है.” पिछले कई सालों में ये पहली बार हुआ है कि इजरायल ने गाज़ा में टैंक से हमला किया है. 

फिलिस्तीन के मुताबिक, इजरायल के हमलों में अबतक 6500 बेगुनाह नागरिकों की जान चली गई है और कई हजार लोग घायल हुए हैं. हालांकि, अमेरिका राष्ट्रपति  जो बाइडेन ने फिलिस्तीन में हो रहे हमलों पर चिंता जताई है लेकिन उन्होनें हताहत हुए लोगों के आंकड़े पर शक जताया है. 

गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में हो रहे इजरायल के हमलों को लेकर ईरान ने अपना गुस्सा जताया है. ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने साफ तौर से कहा कि “मुस्लिम देशों में एकता न होने के चलते इजरायल गाज़ा पट्टी पर बमबारी कर रहा है.” ईरान के एक टॉप डिप्लोमेट हुसैन अमीर अब्दुलाहियान ने कहा है कि अगर इजरायल और अमेरिका के हमले नहीं रुके तो “इस क्षेत्र (मिडिल ईस्ट) में हालात काबू से बाहर हो जाएंगे.” उनका इशारा इजरायल युद्ध में हमास की तरफ से ईरान के कूदने से हो सकता है. 

हालांकि, ईरान ने 7 अक्टूबर के हमास के सबसे बड़े आतंकी हमले में हाथ होने से साफ इंकार किया है लेकिन सामरिक जानकार मानते हैं कि हमास को हथियारों से लेकर लड़ाकों की ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक तक तेहरान ने मुहैया कराई है. इजरायल पर इस हमले में 1400 लोगों की जान गई है. मरने वालों में 250 से भी ज्यादा इजरायली सैनिक शामिल हैं. हमास ने बेरहमी से इजरायली बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को मौत के घाट उतारा था. योम किपुर त्यौहार का जश्न मना रहे इजरायली नागरिकों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी. हमले के बाद हमास के आतंकी 200 से भी ज्यादा लोगों को बंधक बनाकर अपने साथ ले गए थे. इसके बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया था.

जानकार मानते हैं कि हमास अपने दम पर इतने बड़े आतंकी हमले को अंजाम नहीं दे सकता है. यहां तक की हमास को लड़ाके भी ईरान या फिर किसी दूसरे इस्लामिक देश ने मुहैया कराए हैं. 

हमास के साथ साथ ईरान समर्थित आतंकी संगठन हिजबुल्ला ने लेबनान सीमा से सटे इजरायली इलाकों पर रॉकेट से हमले कर रहा है. रिपोर्ट्स तो यहां तक कहती हैं कि इजरायल की जवाबी कारवाई शुरू होने के बाद से ईरान ने अपनी मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम को इजरायल से सटे देशों की सीमा पर तैनात कर दिया है. यही वजह है कि सीरिया से भी इजरायल पर हमला करने की कोशिश की गई थी. आईडीएफ ने सीरिया में मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्टर और मोर्टार इत्यादि को तबाह करने की जानकारी दी है. इसके अलावा ईरान समर्थित हूती आतंकियों ने भी ड्रोन के जरिए यमन से इजरायल पर हमले करने की चेष्टा की थी. लेकिन अमेरिका के एयर डिफेंस सिस्टम ने इन हमलों को विफल कर दिया था.  

हमास, हिजबुल्ला और हूती विद्रोहियों के हमलों से साफ है कि ईरान परदे के पीछे से बैठकर इजरायल पर हमले करा रहा है. ईरान इन हमलों के जरिए अपने सबसे बड़े मिलिट्री कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या (जनवरी 2020) का बदला लेना चाहता है. ईरान का आरोप है कि इजरायल और अमेरिका ने बगदाद एयरपोर्ट (इराक) के बाहर ड्रोन अटैक के जरिए सुलेमानी की हत्या की थी. साथ ही इजरायल ने जिस तरह ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को बर्बाद किया है वो भी तेहरान आज तक नहीं भूला है. 

ईरान के इरादे इसलिए भी बुलंद हैं क्योंकि आज उसे रूस और चीन जैसे शक्तिशाली देशों का समर्थन प्राप्त है. हाल ही में चीन ने ईरान और सऊदी अरब के बीच शांति वार्ता कराई थी. क्योंकि अरब-वर्ल्ड के इन दोनों ताकतवर देशों में वर्षों से अदावत चलती आ रही थी. इसके अलावा ईरान ने यूक्रेन युद्ध में रूस को अपने खास ‘शहीद’ ड्रोन मुहैया कराए हैं. इन ड्रोन के जरिए रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग का मुंह मोड़ दिया है.

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बार फिर दोहराया है कि वाशिंगटन ईरान पर हमला नहीं करने जा रहा है.  लेकिन ब्लिंकन ने संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने भाषण में कहा कि अगर ईरान या फिर उसके समर्थित आतंकी संगठनों ने मिडिल ईस्ट में तैनात अमेरिकी सेना पर हमला किया तो कड़ी कारवाई की जाएगी. ईरान के इरादों को भांपते हुए अमेरिका ने अपने दो सबसे बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर भूमध्यासागर में तैनात कर रखे हैं. 

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