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AMCA लगाएगा Kaan के नीचे कंटाप !

पाकिस्तान के परम-मित्र टर्की ने हाल ही में अपने फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ एयरक्राफ्ट को दुनिया के सामने पेश किया. तुर्की का दावा है कि कान नाम के इस फाइटर जेट की पहली उड़ान इसी साल दिसंबर के महीने में हो जाएगी. लेकिन इससे भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. क्योंकि भारत के स्टेल्थ एमका फाइटर जेट को आने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा. वहीं पाकिस्तान भी टर्की के इस स्टील्थ फाइटर जेट के प्रोजेक्ट से जुड़ने की जुगत लगा रहा है. पाकिस्तान और टर्की का एक दूसरा मित्र-देश अजरबैजान भी कान प्रोजेक्ट से जुड़ गया है. ये वही अजरबैजान है जो पिछले कुछ दिनों से भारत के पिनाका और तोप को आर्मेनिया को सप्लाई करने से भिनभिनाया हुआ है।

टर्की को तोे आप जानते ही हैं कि पाकिस्तान से उसकी पुरानी दोस्ती है. टर्की ने कश्मीर को लेकर भी भारत के खिलाफ एक लंबे समय तक प्रोपेगेंडा चलाया है. इस्लाम के नाम पर खलीफा बना एर्दोगान का देश किसी भी ग्लोबल मंच पर भारत को घिरने से पीछे नहीं रहता है. ऐसे में जब टर्की अपने फीफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट को लेकर आ रहा है तो ये परेशानी के सबब जरूर है. टर्की ने ये ताइ-कान फाइटर जेट अपने पुराने पड़ चुके एफ-16 लड़ाकू विमानों को रिप्लेस करने के लिए तैयार किया है. इस प्रोजेक्ट में टर्की की मदद की है बीएई-सिस्टम्स ने जो दुनिया की एक बड़ी ग्लोबल डिफेंस कंपनी है।

चीन, अमेरिका और रूस के बाद टर्की चौथा ऐसा देश है जो स्टील्थ फाइटर जेट बनाकर तैयार करने वाला है. अमेरिका के पास तो एक नहीं दो-दो स्टील्थ फाइटर जेट हैं. एक है सिंगल इंजन एफ-35 लाइटनिंग-टू और दूसरा है टूइन इंजन यानि दो इंजन वाला एफ-22 रैपटर. रूस के पास भी सु-57 है और दूसरा सु-75 चेकमेट भी बनाने की तैयारी चल रही है. चीन ने पहले जे-20 चेंगदू तैयार किया था लेकिन मिलिट्री एविएशन ने उसे पूरी तरह से फीफ्थ जेनरेशन नहीं माना. ऐसे में चीन ने एक दूसरा स्टील्थ फाइटर जेट तैयार किया है. उसका नाम है एफसी-31 शेनयांग. साउथ कोरिया भी फीफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट बनाने में जुटा है।

भारत के लिए चीन और टर्की दोनों के स्टील्थ फाइटर जेट इसलिए माथे पर बल पड़ना लाजमी है. क्योंकि चीन के साथ भारत की पुरानी दुश्मनी है. गलवान घाटी की लड़ाई के बाद से चीन से तनातनी जारी है. टर्की इसलिए क्योंकि टर्की ने अपने इस प्रोजेक्ट में अजरबैजान को शामिल कर लिया है. कोकेशियान देश अजरबैजान पहले से ही टर्की के ड्रोन और हथियार इस्तेमाल करता है. वर्ष 2020 में आर्मेनिया से हुए युद्ध में अजरबैजान ने टर्की के ड्रोन इस्तेमाल कर एक अच्छी खासी बढ़त बना ली थी. ये वही अजरबैजान है जिसने हाल ही में जब भारत ने आर्मेनिया को पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम, ट्रक माउंटेड गन और स्वाथी वेपन लोकेटिंग रडार सप्लाई की तो अपना ऐतराज जताया था. दरअसल, टर्की-अजरबैजान और पाकिस्तान ने एक Tripartite Agreement कर रखी है. जिसके तहत ये तीनों देश एक दूसरे की हथियारों और दूसरे सैन्य साजो सामान बनाने और सप्लाई करने में मदद करते हैं।

अजरबैजान के बाद टर्की अपने कान स्टील्थ फाइटर जेट प्रोजेक्ट में पाकिस्तान को भी साथ जोड़ना चाहता है. हालांकि पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट को लेकर चुप्पी साध रखी है लेकिन माना जा सकता है कि पाकिस्तान इसमें जुड़ सकता है. वो क्यों. वो इसलिए क्योंकि पहले बालाकोट एयर-स्ट्राइक से पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी. दूसरा इसलिए क्योंकि भारत के पास 36 रफाल लड़ाकू विमान आ गए हैं. पाकिस्तानी वायुसेना के पास रफाल के मुकाबले का कोई भी लड़ाकू विमान नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान भी कान प्रोजेक्ट में शामिल हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान के पास भारत से पहले स्टील्थ लड़ाकू विमान आ जाएगा. जो किसी भी मायने में भारत की एयर-स्पेस सुरक्षा के लिए ठीक माना जा सकता है. ऐसे में भारत क्या करेगा. भारत का स्टील्थ फाइटर जेट एमका कब तक वायुसेना को मिल जाएगा।

स्टील्थ फाइटर जेट किसी भी देश की वायुसेना के लिए इसलिए बेहद जरूरी होता है क्योंकि वो जब आसमान में उड़ान भरता है तो दुश्मन की रडार उसे पकड़ नहीं पाती है. ऐसे में वो दुश्मन की सीमा में घुसकर अपने एयर-ऑपरेशन कर सकता है और किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लग पाती है।

भारत का सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, एचएएल और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी, आडा भी स्वदेशी एमका यानि एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) पर तेजी से काम कर रहे हैं. इस स्टील्थ फाइटर जेट का मॉडल भी एचएएल ने बेंगलुरु में हुए पिछले दो एयरो-शो में दुनिया के सामने पेश किया है. माना जा रहा है कि एमका की पहली फ्लाइट 2026 तक हो सकती है. लेकिन प्रोडक्शन 2030 से पहले शुरू नहीं हो पाएगा. क्योंकि अभी तक एमका को सीसीएस यानि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की मंजूरी नहीं मिल पाई है।

हाल ही में संसद में दिए एक सवाल के जवाब में रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि सीसीएस से मंजूरी मिलने की प्रक्रिया अभी चल रही है. सीसीएस जैसा कि हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनी कैबिनेट की सबसे बड़ी कमेटी होती है जिसमें रक्षा मंत्री और गृह मंत्री भी शामिल होते हैं. ऐसे में एविशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि एमका 2035 से पहले वायुसेना को मिल पाना थोड़ा मुश्किल लग रहा है. वायुसेना को कम से कम 125 यानि 07 स्टील्थ फाइटर जेट की स्क्वाड्रन की जरूरत है।

लेकिन दो महीने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की यात्रा पर गए थे तब एमका के इंजन के लिए भारत में बनाने पर करार हुआ था. इसके तहत फ्रांस की बड़ी एविएशन कंपनी, साफरान मेक इन इंडिया के तहत एमका के लिए एक पावरफुल इंजन बनाएगी. अमेरिका की  जीई-एयरोस्पेस कंपनी भी एचएएल के एलसीए-मार्क-2 के लिए एफ-414 इंजन बना रही है. माना जा रहा है कि एमका के दो वर्जन एचएएल तैयार करेगी. एमका मार्क-1 में जीई का एफ-414 इंजन होगा और मार्क-2 में फ्रेंच साफरान इंजन होगा. ऐसे में स्वदेशी एमका की जल्द से जल्द फ्लाइट की उम्मीदें जरूर बढ़ गई हैं।

लेकिन अगर पाकिस्तान को टर्की से जल्द स्टील्थ फाइटर जेट मिल गया तो क्या भारत अमेरिका या फिर रूस से फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट सीधे खरीद सकता है. क्योंकि अमेरिका और रूस के स्टील्थ फाइटर जेट तो बनकर तैयार हो चुके हैं. इसी साल फरवरी के महीने में बेंगलुरू में आयोजित एयरो-शो में तो अमेरिका अपने दो एफ-35 लाइटनिंग-2 फाइटर जेट भी लेकर आया है. तो क्या एयरो-शो में अमेरिका स्टील्थ फाइटर जेट इसलिए ही प्रदर्शनी के लिए लाया था और बेंगलुरू के आसमान में उड़ान भरी थी. ये ऐसा सवाल जिसका जवाब देना थोड़ा मुश्किल है।

(नीरज राजपूत देश के जाने-माने डिफेंस-जर्नलिस्ट हैं और हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध पर उनकी पुस्तक ‘ऑपरेशन Z लाइव’ (प्रभात प्रकाशन) प्रकाशित हुई है.)

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