इजरायल-हमास संकट को सुलझाने के लिए इजिप्ट (मिस्र) शनिवार को एक शांति-सम्मेलन आयोजित कर रहा है. राजधानी काहिरा में आयोजित होने वाले इस समिट में अरब देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधियों के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देश हिस्सा ले रहे हैं. खास बात ये है कि इस सम्मेलन में अमेरिका को आमंत्रित नहीं किया गया है. लेकिन चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को खास न्योता दिया गया है.
इजरायल-हमास युद्ध को 14 दिन पूरे हो चुके हैं और मिडिल-ईस्ट में संकट लगातार गहराता जा रहा है. इजरायल की सेना ने पिछले एक हफ्ते से गाज़ा पट्टी की घेराबंदी कर रखी है. शुक्रवार को इजरायल के रक्षा मंत्री ने अपनी सेना को हमास के खिलाफ जंग के लिए तीन-सूत्रीय रणनीति दी है. इस रणनीति के तहत इजरायली ग्राउंड फोर्सेज को जमीन के रास्ते गाज़ा में दाखिल होना है. ऐसे में गाज़ा में एक बड़ा मानवीय संकट पैदा हो सकता है. क्योंकि आतंकी संगठन गाज़ा के ठिकाने गाज़ा के रिहायशी इलाकों में ही मौजूद हैं. इसके अलावा हमास की खुफिया सुरंग का जाल भी गाज़ा के रिहायशी इलाकों, स्कूल और अस्पतालों के नीचे बिछा हुआ है. माना जा रहा है कि हमास ने बंधक बनाए इजरायली नागरिकों को इन टनल में ही कहीं छिपा कर रखा हुआ है.
इजरायल ने उत्तरी गाज़ा के आम नागरिकों को इलाका खाली करने का अल्टीमेटम दे रखा है ताकि ग्राउंड फोर्सेज के असॉल्ट के वक्त ‘कोलेट्रल-डैमेज’ न हो. ऐसे में बड़ी संख्या में उत्तरी गाज़ा के आम फिलिस्तीनी नागरिक मिस्र के बॉर्डर की तरफ पलायन कर रहे हैं. लेकिन मिस्र ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए अपनी सीमा पूरी तरह से सील कर दी है. साथ ही पड़ोसी देश जॉर्डन ने भी शरणार्थियों को अपने देश में आने से साफ इंकार कर दिया है. यही वजह है कि गाज़ा में मानवीय संकट पैदा हो सकता है. यही वजह है कि गाज़ा समस्या का हल निकालने के लिए मिस्र ने काहिरा-समिट का आयोजन किया है.
मिस्र को मानवीय सहायता गाज़ा पट्टी पहुंचने के संकट से भी निपटना पड़ रहा है. दरअसल, बड़ी संख्या में अरब देशों से फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए खाने-पीने का सामान और दूसरी राहत सामग्री काहिरा और सिनाई प्लेन पहुंच रही है. रूस से भी एक विमान भरकर राहत सामाग्री मिस्र पहुंची है. मिस्र अब गाज़ा पट्टी से सटे राफा बॉर्डर क्रॉसिंग को खोलने के लिए तैयार हो गया है ताकि वहां इकठ्ठा हुए फिलिस्तीनी नागरिकों तक सहायता पहुंचाई जा सके.
जानकारी के मुताबिक, काहिरा समिट में मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी के अलावा फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला, बहरीन के किंग हमाद बिन इसा अल खलीफा, कतर के आमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल थानी और कुवैत के क्रॉउन प्रिंस शेख मेशल अल अहमद अल सबाह शामिल हो रहे हैं. समिट में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज सहित ग्रीस और साइप्रस के राष्ट्राध्यक्ष भी हिस्सा ले रहे हैं. ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, नॉर्वे और जापान के विदेश मंत्री भी काहिरा के इस शांति सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं. मिस्र ने सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामफोसा को भी आमंत्रित किया है.
खास बात ये है कि इजिप्ट ने इस सम्मेलन में अमेरिका को आमंत्रित नहीं किया है. जबकि चीन और रूस को बुलावा भेजा गया है. समिट में चीन के मिडिल-ईस्ट मामलों के राजदूत झाए जुन हिस्सा ले रहे हैं तो रूस के उप विदेश मंत्री मिखाइल बोगदानोव भी काहिरा पहुंच रहे हैं. हालांकि, इजरायल दौरे के फौरन बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मिस्र के राष्ट्रपति सीसी से फोन पर खास बातचीत की थी. इजरायल दौरे के बाद बाइडेन को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में आयोजित शांति सम्मेलन में हिस्सा लेना था जिसमें अल सीसी और महमूद अब्बास को हिस्सा लेना था. लेकिन गाज़ा के अल-अहली अस्पताल में हुए बम धमाके के बाद जॉर्डन ने बाइडेन की यात्रा रद्द कर दी थी. फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने भी बाइडेन से मुलाकात करने में असमर्थता दिखाई थी.
कतर की पहल पर हालांकि शुक्रवार को हमास ने बंधक बनाई अमेरिका के दो नागरिकों को जरूर रिहा कर दिया है. 7
अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर आतंकी हमले के दौरान इन दोनों मां-बेटी को बंधक बना लिया था. इजरायल के मुताबिक, हमास ने करीब 200 इजरायली नागरिकों को बंधक बनाया हुआ है.
शनिवार को काहिरा में आयोजित होने वाली बैठक में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और यूरोपीय परिषद के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं. समिट के आयोजन को लेकर मिस्र के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, अहमद अबू जेद ने शुक्रवार को अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, “कल गलतियां सुधारने और विवेक जगाने का अवसर है.”