इजरायल की सेना द्वारा गाजा पट्टी की घेराबंदी के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन बुधवार को तेल अवीव पहुंच रहे रहे हैं. जो बाइडेन हमास के बर्बर हमले पर शोक जताने के लिए तो तेल अवीव जा रहे हैं लेकिन उनका एक एक बड़ा उद्देश्य इस युद्ध को फैलने से रोकना भी शामिल है. अमेरिका नहीं चाहता है कि हमास के खिलाफ इजरायल की जंग किसी दूसरे देश तक फैल जाए.
7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले और फिर तेल अवीव की जवाबी कारवाई के बाद भले ही अमेरिका ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर मिडिल-ईस्ट जरूर भेज दिए हैं लेकिन बाइडेन प्रशासन नहीं चाहता है कि किसी भी तरह ईरान या फिर कोई दूसरा देश इस युद्ध में कूदे. ईरान को रोकने के इरादे से ही अमेरिका ने अपना जंगी बेड़ा इस इलाके में भेजा है. क्योंकि ईरान की तरफ से इजरायल के खिलाफ लगातार भड़काऊ बयान आ रहे हैं. हालांकि, ईरान ने आधिकारिक तौर से मना किया है लेकिन माना जा रहा है कि इजरायल पर हमले के लिए तेहरान ने हमास को ट्रेनिंग से लेकर लड़ाके और हथियार से लेकर लॉजिस्टिक सप्लाई में मदद जरूर की होगी.
इजरायल की यात्रा का ऐलान करते हुए खुद बाइडेन ने कहा था कि “मैं हमास के क्रूर आतंकवादी हमले के सामने एकजुटता दिखाने के लिए इजरायल की यात्रा करूंगा.” अमेरिका और इजरायल के करीबी संबंध रहे हैं और हमास के खिलाफ जंग में अमेरिका इजरायल का साथ दे रहा है. लेकिन बाइडेन ने साफ कर दिया है कि हमास और फिलिस्तीन को एक कटघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता. बाइडेन ने आने से पहले साफ कर दिया है कि वे इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिलकर साफ करेंगे कि “हमास फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए नहीं खड़ा है.”
इजरायल के दौरे के बाद बाइडेन जॉर्डन की यात्रा पर भी जाएंगे. जॉर्डन में बाइडेन गंभीर मानवीय जरूरतों को संबोधित करने के लिए जा रहे हैं. लेकिन उनकी जॉर्डन यात्रा खटास में पड़ सकती है क्योंकि मंगलवार को गाज़ा शहर के एक अस्पताल में हुए जबरदस्त बम धमाके में बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की खबर है. हमास ने इजरायल पर आरोप लगाते हुए हमले में 500 लोगों के मारे जाने का दावा किया है. फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इस बम धमाके में 200-300 लोग मारे गए हैं. इजरायल का आरोप है कि ये हमला हमास के रॉकेट से हुआ है. इसके लिए इजरायल जल्द ही सबूत सार्वजनिक का दावा कर रहा है.
दरअसल, इजरायल के अल्टीमेटम के चलते बड़ी संख्या में उत्तरी गाज़ा के लोगों ने इस अल-अहली अस्पताल में शरण लिए हुए थे. इजरायल के हमलों में घायल हुए फिलिस्तीनी नागरिकों का इलाज भी इस अस्पताल में चल रहा था. यही वजह है कि मंगलवार को हुए धमाके में बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई. इस हमले के चलते फिलिस्तीन के नेता महमूद अब्बास ने अपना अम्मान का दौरा रद्द कर दिया है जहां वे जो बाइडेन और जॉर्डन के किंग से इजरायल-हमास के बीच पैदा हुए ताजा संघर्ष को लेकर चर्चा करने वाले थे.
जो बाइडेन के तेल अवीव पहुंचे से पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी पिछले दस दिनों में दो बार इजरायल का दौरा कर चुके हैं. सोमवार को ब्लिंकन तेल अवीव पहुंचे थे. वहां पहुंचने से पहले उन्होनें सऊदी अरब, यूएई, जॉर्डन, कतर, बहरीन और मिस्र का दौरा किया था ताकि मौजूदा विवाद का हल निकाला जा सके.
अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने इजरायल को गाज़ा पर कब्जा न करने की हिदायत दी है. जो बाइडेन ने कहा है कि इजरायल हमास के खिलाफ तो जंग छेड़ सकता है लेकिन गाज़ा पर कब्जा नहीं कर सकता है.
अमेरिका नहीं चाहता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के समय एक दूसरा फ्रंट खोला जाए. क्योंकि यूक्रेन जंग एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. अगर इजरायल-हमास विवाद बढ़ा तो अमेरिका का ध्यान भटक सकता है. ऐसे में रूस इसका फायदा उठा सकता है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इनदिनों चीन की यात्रा पर गए हुए हैं. यूक्रेन जंग शुरु होने के बाद उनकी ये पहली बड़ी विदेश यात्रा है. रूस ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भी गाज़ा में युद्ध-विराम को लेकर एक प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी, जो फेल हो गया था. रूस और चीन मिडिल-ईस्ट विवाद के लिए अमेरिका को दोषी करार दे रहे हैं.
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकंन एक बार फिर इजरायल के दौरे पर तेल अवीव पहुंच गए हैं. पिछले एक हफ्ते में इजरायल में ये उनका दूसरा दौरा होगा. वे मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब, यूएई, कतर और बहरीन जैसे मिडिल-ईस्ट के देशों की यात्रा कर और उनके नेताओं से बातचीत कर बीच का रास्ता निकालने के इरादे से इजरायल पहुंचने वाले हैं. अमेरिका भले ही इजरायल का परम-मित्र है लेकिन वो भी नहीं चाहता है कि इजरायल गाज़ा (फिलिस्तीन) के खिलाफ सीधी जंग न छेड़ दे.
आईडीएफ के मुताबिक, 7 अक्टूबर के बाद से लेकर अब तक इजरायल के 1300 लोगों की जान चुकी है और 3200 लोग घायल हुए हैं. मारे गए लोगों में 250 से ज्यादा इजरायली सैनिक शामिल हैं. इजरायल के मुताबिक, अभी भी 120 नागरिक हमास के कब्जे में है. वहीं फिलिस्तान के मुताबिक, इजरायली हमलों में अब तक उसके 2800 नागरिक मारे जा चुके हैं. आईडीएफ के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में इजरायल ने हमास के छह टॉप कमांडर्स को मौत के घाट उतार दिया है.
हालांकि, इजरायल ने अमेरिका सहित किसी भी मित्र-देश से हमास के खिलाफ किसी भी तरह की सैन्य सहायता से मदद कर दिया है लेकिन अमेरिका को अंदेशा है कि हमास के आतंकी हमले से पैदा हुए मौजूदा विवाद का कोई न कोई देश (ईरान) या आतंकी संगठन (हिजबुल्ला) फायदा उठा सकता है.
7 अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास के बड़े हमले के दौरान इजरायल के 1200 से भी ज्यादा नागरिक मारे गए थे. मारे जाने वालों में 250 से भी ज्यादा इजरायली सैनिक शामिल थे. इन हमलों के दौरान हमास के आतंकी 120 से भी ज्यादा इजरायली नागरिकों को बंधक बनाकर अपने साथ ले गए थे. बंधकों में महिलाएं, बच्चे और बुर्जुग भी शामिल हैं. जवाबी कारवाई में इजरायल ने हमास के आधा-दर्जन से ज्यादा कमांडर्स को ढेर करने का दावा किया है. साथ ही बड़ी संख्या में हमास के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को तबाह किया है. लेकिन इन हमलों में बड़ी संख्या में आम नागरिक भी मारे गए हैं.
फिलिस्तीन का दावा है कि अबतक उसके करीब 3000 नागरिक मारे जा चुके हैं और 10 हजार से ज्यादा घायल हुए हैं. अपने नागरिकों को छुड़ाने के लिए इजरायल की सेना (आईडीएफ) ने गाज़ा की घेराबंदी कर रखी है ताकि हमास पर जोरदार प्रहार किया जा सके. उससे पहले इजरायल ने उत्तरी गाज़ा में रहने वाले आम लोगों को वहां से दक्षिणी गाज़ा जाने का अल्टीमेटम दिया है ताकि हमास के खिलाफ कारवाई में आम लोग हताहत न हों. लेकिन इससे गाज़ा में पलायन को लेकर बड़ा संकट पैदा हो गया है. ऐसी रिपोर्ट भी सामने आई हैं जिसमें हमास ही आम फिलिस्तीनियों को जाने से रोक रहा है.