क्या इजरायल ने हमास के खिलाफ युद्ध रोक दिया है. क्या हमास के खिलाफ इजरायल की जंग धीमी पड़ गई है. कहीं ऐसा तो नहीं गाज़ा के अस्पताल पर हुए हमले के बाद से इजरायल बैक-फुट पर आ गया है. ये सवाल इसलिए क्योंकि इजरायल की सेना ने गाज़ा पट्टी पर धावा नहीं बोला है. पिछले एक हफ्ते से इजरायली सैनिक, टैंक और इन्फैन्ट्री कॉम्बेट व्हीकल (आईसीवी) गाज़ा पट्टी को चारों तरफ से तो घेरे हुए हैं लेकिन हमास के आतंकियों का समूल नाश करने के लिए गाज़ा के रिहायशी इलाकों में अभी तक दाखिल नहीं हुई है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी राजधानी तेल अवीव पहुंचकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात की और इजरायल को पूरा समर्थन देने का भरोसा दिलाया. बाइडेन ने खुले शब्दों में आतंकी संगठन हमास के 7 अक्टूबर के हमले की जबरदस्त निंदा की और आगे भी मदद करने का भरोसा दिया. लेकिन बाइडेन ने इजरायल को गाजा पर कब्जा न करने की साफ हिदायत दी. ऐसे में ये पक्का हो गया है कि भले ही इजरायल की डिफेंस फोर्सेज यानि आईडीएफ हमास के आतंकियों और टॉप कमांडर्स के खिलाफ अपने ऑपरेशन जारी रखेंगी लेकिन गाज़ा के आम नागरिकों को इन हमलों की आंच से दूर रखेगी. यानि हमले के दौरान कोलेट्रल डैमेज न हो इसके लिए आईडीएफ को सतर्क रहना होगा.
7 अक्टूबर को हमास के सबसे बड़े आतंकी हमले की जवाबी कारवाई में इजरायली डिफेंस फोर्सेज ने हवाई हमलों में गाज़ा के कई इलाकों में बमबारी की थी. ये सभी वे ठिकाने थे जहां आईडीएफ को यकीन था कि हमास के आतंकी छिपे हो सकते हैं या फिर हमास के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर थे. क्योंकि हमास के ये ठिकाने गाज़ा के रिहायशी इलाकों या फिर मस्जिद में थे इसलिए दो दिन की बमबारी के बाद आईडीएफ ने एरियल अटैक बंद कर दिए. क्योंकि अमेरिका सहित इस्लामिक देशों का दवाब लगातार बन रहा था. ऐसे में इजरायल ने अपनी ग्राउंड फोर्सेज को गाज़ा में दाखिल होने का ऑर्डर दिया.
गाजा़ में अर्बन वॉरफेयर में आईडीएफ को खासी मुश्किल आ सकती थी. वो इसलिए क्योंकि जनसंख्या के हिसाब से गाजा़ बेहद ही घनत्व वाला इलाका है. करीब 350 स्क्वायर किलोमीटर के क्षेत्रफल में 20 लाख लोग रहते हैं. हमास ने अपने ठिकाने गाज़ा के रिहायशी इलाकों में ही बना रखे हैं. साथ ही आम फिलिस्तीनी और हमास के आतंकियों में अंतर करना भी बेहद मुश्किल है. ऐसे में इजरायल ने उत्तरी गाज़ा के आम फिलिस्तीनियों को साउथ गाजा़ जाने का अल्टीमेटम जारी किया. लेकिन 11 लाख लोगों के लिए रातो-रात उत्तरी गाज़ा से निकलना थोड़ा मुश्किल था. ऐसे में अल्टीमेटम की अवधि को कई बार बढ़ा दिया गया. आईडीएफ के आर्मर्ड कॉलम्स गाज़ा के बॉर्डर पर अंदर दाखिल होने का इंतजार करते रहे. लेकिन ऑर्डर नहीं आया.
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के इजरायल की राजधानी तेल अवीव पहुंचने से महज़ कुछ घंटे पहले ही गाज़ा के अल अहली अस्पताल में हुए बम धमाके ने पूरे इस्लामिक-वर्ल्ड को एक मंच पर लाने का काम कर दिया. ये बम धमाका अस्पताल की पार्किंग में हुआ था. हमास का आरोप था कि इजरायल के मिसाइल अटैक में 500 लोगों की मौत हुई है. इजरायल का आरोप है कि ये घटना हमास और फिलिस्तीन इस्लामिक जेहाद के इजरायल पर दागे गए रॉकेट के मिस-फायर होने के चलते हुई है.
अल-अहली मस्जिद पर हमले की हकीकत जो भी और जितने भी लोगों की मौत हुई हो लेकिन इससे पूरी दुनिया इजरायल के खिलाफ होती दिखाई पड़ रही है. इजरायल ने इसके लिए हमास के इंफॉर्मेशन-वॉरफेयर को जिम्मेदार ठहराया. हमास के इंफो-वॉर और प्रोपेगेंडा को काउंटर करने के लिए इजरायल ने हमास के आतंकवादियों के बीच बातचीत की रिकॉर्डिंग और अल-जजीरा चैनल की फुटेज भी जारी की. लेकिन अरब-देश सुनने को तैयार नहीं हैं.
अल-अहली हमले का नतीजा ये हुआ कि जॉर्डन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की यात्रा का रद्द कर दिया. इजरायल के दौरे के तुरंत बाद बाइडेन जॉर्डन की राजधानी अम्मान जाने वाले थे. यहां इजरायल-हमास विवाद को सुलझाने के लिए बाइडेन एक खास समिट करने जा रहे थे जिसमें जॉर्डन के किंग और फिलिस्तीन के राष्ट्राध्यक्ष महमूद अब्बास सहित कई अरब देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेने वाले थे. अमेरिका के बेहद करीबी माने जाने वाले जॉर्डन के किंग ने लेकिन बाइडेन की इस समिट को तो रद्द किया ही अमेरिकी राष्ट्रपति को अम्मान आने से भी मना कर दिया. हालांकि बाद में बाइडेन ने मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी से फोन पर बातचीत की.
7 अक्टूबर के बाद से लेकर अब तक इजरायल के 1300 लोगों की जान चुकी है और 3200 लोग घायल हुए हैं. मारे गए लोगों में 250 से ज्यादा इजरायली सैनिक शामिल हैं. इजरायल के मुताबिक, अभी भी 120 नागरिक हमास के कब्जे में है. वहीं फिलिस्तान के मुताबिक, इजरायली हमलों में अब तक उसके 2800 नागरिक मारे जा चुके हैं. आईडीएफ के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में इजरायल ने हमास के छह टॉप कमांडर्स को मौत के घाट उतार दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तेल अवीव आने से पहले ही इजरायल को गाज़ा पर कब्जा न करने की हिदायत दे चुके थे. अरब देशों द्वारा अमेरिका की अनदेखी को लेकर बाइडेन भी चिंतित हैं. उन्होनें भले ही इजरायल को हमास के खिलाफ पूरी तरह समर्थन देना का वादा किया हो लेकिन गाज़ा पर ग्राउंड अटैक को लेकर जरूर फूंक-फूंक कर कदम रखने की सलाह दी होगी. क्योंकि ईरान और तुर्की जैसे देश सभी इस्लामिक देशों को इजरायल के खिलाफ मोर्चाबंदी के लिए तैयार कर रहे हैं. यही वजह है कि अमेरिका ने अपने दो सबसे बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर मिडिल-ईस्ट में तैनात कर रखे हैं ताकि इजरायल और हमास की जंग को किसी भी तरह एस्कलेट न होने दिया जाए.