दुनिया अभी दो-दो युद्ध की विभीषिका झेल ही रही है कि साउथ चायना सी में भी चीन और अमेरिका के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. अमेरिका की इंडो-पैसिफिक कमांड ने वीडियो जारी कर चीन की करतूत का खुलासा किया है. इस वीडियो में दिखाया गया है कि किस तरह चीन का जे-11 फाइटर जेट अमेरिका के बी-52 बॉम्बर (एयरक्राफ्ट) के इतने करीब आ गया था कि टक्कर होते-होते बची. यूएस मिलिट्री के मुताबिक, ये कोई पहली ऐसी घटना नहीं है जब चीन के लड़ाकू विमानों ने इस तरह की ‘अनप्रोफेशनल’ फ्लाइंग की है.
इंडो-पैसिफिक कमांड के मुताबिक, “24 अक्टूबर की रात अमेरिका का बॉम्बर दक्षिण चीन सागर के इंटरनेशनल एयर-स्पेस में रूटीन फ्लाइंग कर रहा था. उसी दौरान चीन के जे-11 फाइटर जेट का पायलट अमेरिकी बॉम्बर के 10 फीट की दूरी पर पहुंच गया. इस दौरान जे-11 कभी बॉम्बर के सामने आ जाता और कभी उसकी नीचे.” कमांड ने बयान जारी कर कहा कि “पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना (पीआरसी) पायलट ने असुरक्षित और गैर-पेशेवर तरीके से उड़ान भरी, अनियंत्रित अत्यधिक गति से करीब आकर, बी-52 के नीचे, सामने और 10 फीट के भीतर उड़ान भरकर खराब हवाई कौशल का प्रदर्शन किया, जिससे दोनों विमान खतरे में पड़ गए और टक्कर हो सकती थी.”
इंडो-पैसिफिक कमांड के मुताबिक, वर्ष 2021 से अब तक चीन के फाइटर जेट 180 बार इसी तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. पिछले हफ्ते ही अमेरिका के रक्षा विभाग (पेंटागन) ने चीन की मिलिट्री पावर पर एक रिपोर्ट जारी की थी. चाइना मिलिट्री पावर रिपोर्ट (सीएमपीआर) में चीन के पायलट्स के “असुरक्षित, गैर-पेशेवर और ऐसे व्यवहार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है जिससे अमेरिका और अन्य देशों की सुरक्षित रूप से संचालन करने की क्षमता में बाधा डालने की कोशिश की जाती है.” इस रिपोर्ट के साथ ही पेंटागन ने कई ऐसे डि-क्लासीफाइड तस्वीरें और वीडियो भी जारी किए थे जिसमें दिखाया गया था कि ईस्ट और साउथ चायना सी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इंटरनेशनल एयर-स्पेस में अमेरिका के एयरक्राफ्ट के खिलाफ खतरनाक ऑपरेशन करते हैं.
दरअसल, दक्षिण चीन सागर में चीन किसी दूसरे देश के विमानों को फ्लाइ नहीं करने देता है. साथ ही दूसरे देशों के युद्धपोतों को भी दाखिल होने पर आंखे तरेरता है. लेकिन भारत, अमेरिका और फिलीपींस जैसे देशोें ने साफ कर दिया है कि वे अपने युद्धपोतों को युद्धाभ्यास के लिए वहां ले जा सकते हैं. ताइवान को लेकर भी चीन और अमेरिका के बीच तलवारें खिंची हुई हैं.
हाल के दिनों में चीन और फिलीपींस के जहाज और बोट्स के भी आमने-सामने की घटनाएं सामने आई हैं. कुछ दिन पहले ही फिलीपींस के सैन्य अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि चीन के कोस्टगार्ड (तटरक्षक बल) के एक जहाज और एक ‘मिलिशिया’ पोत ने उनके (फिलीपींस) के बोट को दक्षिण चीन सागर में टक्कर मारी है. फिलीपींस के मुताबिक, उनके तटरक्षक जहाज और सेना की ओर से संचालित एक आपूर्ति नाव को दो अलग-अलग घटनाओं में चीन ने टक्कर मारी है.
गुरुवार को भारत के थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी कहा था कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत को एक बड़ी भूमिका के लिए तैयार रहना चाहिए. राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल पांडे ने कहा था कि “इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चुनौतियां बढ़ने वाली हैं और ऐसे में भारत की एक अहम भूमिका रहने वाली है.”
जे-11 फाइटर जेट की घटना के बाद इंडो-पैसिफिक कमांड ने साफ कर दिया है कि “जहां भी अंतरराष्ट्रीय कानून अनुमति देंगे, अमेरिका सुरक्षित और जिम्मेदारी से उड़ान भरना, नौकायन और ऑपरेशन करना जारी रखेगा. यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड ज्वाइंट फोर्स एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए समर्पित है, और उम्मीद करते हैं कि इंडो-पैसिफिक के सभी देश अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में सुरक्षित रूप से और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार काम करेंगे.”
चीन और अमेरिका की भिड़ंत ऐसे समय में हो रही है जब इजरायल-हमास युद्ध को लेकर चीन और अमेरिका अलग-अलग खेमे में दिखाई पड़ रहे हैं. अमेरिका जहां इजरायल का पूरा समर्थन दे रहा है तो चीन फिलिस्तीन को कर रहा है. वहीं यूक्रेन जंग को लेकर भी चीन रूस का साथ दे रहा है. वहीं अमेरिका रूस के खिलाफ हथियारों से लेकर फंड तक से यूक्रेन को मदद कर रहा है.
इंडो-पैसिफिक कमांड ने चीन की करतूत का वीडियो ऐसे वक्त में रिलीज किया जब चीन के विदेश मंत्री वांग यी अमेरिका के दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होनें अमेरिका समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की.