परंपरा की भांति, इस साल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दीपावली सैनिकों के बीच मनाई. रविवार को पीएम मोदी पहुंचे हिमाचल प्रदेश के लेपचा (लेप्चा) में जो चीन से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल (एलएसी) के करीब है. एक बार फिर पीएम ने साफ कहा कि “पर्व वहीं होता है जहां परिवार होता है, ऐसे में जहां मेरे सैनिक वहां मेरा त्यौहार.”
लेकिन यहां सबकी निगाहें वहां आकर टिक गई जब पीएम मोदी भारतीय सेना की लेपचा पोस्ट पर पहुंचे. करीब 13 हजार (12,790) फीट की उंचाई पर स्थित इस बॉर्डर-पोस्ट पर लिखा था, ‘जंग मेरी सर्विस के दौरान ही होगी’. इसके क्या मायने हो सकते हैं. क्या युद्ध होने जा रहा है. क्या रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास की जंग की तरह भारत में भी कोई युद्ध हो सकता है. भारतीय सेना क्या जंग की तैयारी कर रही है.
लेपचा में सैनिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भी कहा कि “आज दुनिया में जिस तरह के हालात हैं, उसमें भारत से अपेक्षाएं लगातार बढ़ रही हैं. ऐसे अहम समय में ये बहुत जरूरी है कि भारत की सीमाएं सुरक्षित रहें, देश में शांति का वातावरण बना रहे. और इसमें आपकी (सैनिकों की) बहुत बड़ी भूमिका है. भारत तब तक सुरक्षित है, जब तक इसकी सीमाओं पर आप हिमालय की तरह अटल और अडिग खड़े हैं. आपकी सेवा के कारण ही भारत भूमि सुरक्षित है.”
हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पिति जिले में एलएसी का आखिरी (पहला) गांव है लेपचा. हालांकि, गलवान घाटी की झड़प (जून 2020) के दौरान या उससे कभी पहले भी एलएसी के इस सेक्टर पर चीन की घुसपैठ या फिर गतिविधियों की कमी ही रिपोर्ट सामने आई हैं लेकिन चीन के मॉडल-विलेज बनाने की खबरें यहां से जरूर आती रहती हैं. 1962 के युद्ध के दौरान भी इस सेक्टर से झड़प की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई थी. लेकिन जैसा चीन की हमेशा फितरत रही है वो वहां प्रहार करने की कोशिश करता है जहां सबसे कम संभावना होती है. ऐसे में भारतीय सेना 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर पूर्वी लद्दाख से लेकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश तक अपने डिफेंस्ज मजबूत करने में जुटी है.
गलवान घाटी की झड़प से पहले हिमाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर एक इंडीपेंडेट-ब्रिगेड तैनात रहती थी जो योल स्थित 11वीं कोर (पश्चिमी कमान) के अंतर्गत थी. लेकिन चीन से तनाव के दौरान सेना ने अपनी फॉर्मेशन का रि-एलाइनमेंट किया और अब इस सेक्टर को सेंट्रल कमान (हेडक्वार्टर, लखनऊ) के अधीन कर दिया गया है. यानि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश अब एलएसी के सेंट्रल (मिडिल) सेक्टर का हिस्सा है.
खास बात ये है कि जिस वक्त प्रधानमंत्री मोदी हिमाचल प्रदेश में एलएसी के करीब दिवाली मना रहे थे उसी दौरान थल-सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे एलएसी के करीब उत्तराखंड के हर्षिल में आईबैक्स ब्रिगेड (हेडक्वार्टर जोशीमठ) के सैनिकों के बीच दिवाली मना रहे थे. साफ है कि भारत के लिए सेंट्रल सेक्टर भी ईस्टर्न लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की तरह ही बेहद महत्वपूर्ण है. हर्षिल से सटा बाड़ाहोती लंबे समय से भारत और चीन के बीच विवादित इलाका रहा है. एक समय में दोनों देशों ने इस फ्लैश-पॉइंट को ‘डि-मिलिट्राइज’ जोन घोषित कर दिया था. लेकिन गलवान घाटी की लड़ाई के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं और चीन की तरह ही भारत ने भी सीमा पर लागू सभी शांति-समझौतों और करारों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
पीएम मोदी ने कहा “जब तक आप सीमाओं पर सजग खड़े हैं, देश बेहतर भविष्य के लिए जी-जान से जुटा हुआ है. आज अगर भारत अपनी पूरी ताकत से विकास की अनंत ऊंचाइयों को छू रहा है, तो उसका श्रेय आपके सामर्थ्य को, आपके संकल्पों को, और आपके बलिदानों को भी जाता है.”
इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) की यूनिफॉर्म और हैट पहने पीएम मोदी ने साफ तौर से कहा कि हमारे देश ने सदियों से संघर्षों को झेला है लेकिन 21वीं सदी का हमारा भारत अब आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर कदम बढ़ा चुका है. अब संकल्प भी हमारे होंगे, संसाधन भी हमारे होंगे। अब हौसले भी हमारे होंगे, हथियार भी हमारे होंगे. उनका इशारा रक्षा-क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की तरफ था. क्योंकि पिछले साल (2022-23) में भारत ने देश में ही एक लाख करोड़ के हथियारों का उत्पादन किया है.
पीएम मोदी ने साफ कहा कि “जरूरत के समय अब हमें दूसरों की तरफ नहीं देखना पड़ेगा.” उनका इशारा करगिल युद्ध की तरफ था जब कई देशों ने भारत को जरूरी गोला-बारूद और हथियार देने से इंकार कर दिया था. उस वक्त भारत अपने हथियारों और सैन्य साजो सामना के लिए ज्यादातर दूसरे देशों पर निर्भर रहता था. लेकिन पीएम मोदी ने साफ कहा कि अब भारत आईएनएस विक्रांत जैसा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में सक्षम है तो कर्नाटक के तुमकुर में हेलीकॉप्टर फैक्ट्री भी लगाई है. न केवल भारत आत्मनिर्भर बन रहा है बल्कि मित्र-देशों की जरूरतें भी पूरा कर रहा है. यही वजह है कि पिछले सात सालों में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट पिछले आठ गुना बढ़ गया है.
लेपचा में सैनिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अवध तहाँ जहं राम निवासू! यानी, जहां राम हैं, वहीं अयोध्या है. मेरे लिए जहां मेरी भारतीय सेना है, जहां मेरे देश के सुरक्षाबल के जवान तैनात हैं, वो स्थान किसी भी मंदिर से कम नहीं है. जहां आप हैं, वहीं मेरा त्योहार है. पीएम मोदी ने जब से देश की कमान संभाली है, वे हर बार दिवाली सैनिकों के साथ मनाते हैं. वर्ष 2014 में पीएम ने दिवाली सियाचिन में मनाई थी. वर्ष 2016 में भी वे दीपावली के मौके पर हिमाचल प्रदेश आए थे. भारत में दिवाली का त्यौहार उस वक्त से मनाया जाता है जब पौराणिक काल में रावण का वध कर भगवान राम लंका से अपने राज्य अयोध्या लौटे थे.
लेपचा में दिवाली का जश्न पीएम मोदी ने हवा में लहराते तिरंगे के नीचे सेना और आईटीबीपी के जवानों के साथ तस्वीर खिंचवाकर किया. जहां पीएम मोदी और सैनिक खड़े थे वहां लिखा था, ‘मैं तैयार हूं, चौकान्ना हूं.’ तैयार, किसी भी चुनौती से निपटने के लिए और चौकान्ना हूं, दुश्मन की किसी भी साजिश को भांपने के लिए.
ऐसे में साफ है कि लेपचा की उसी पोस्ट पर जब ये लिखा है कि ‘जंग मेरी सर्विस के दौरान ही होगी’ उसका तात्पर्य है कि भारतीय सेना और उसके हरेक सैनिक की ट्रेनिंग इस तरह की है कि वो हमेशा किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. इसलिए कि हिमाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर चीन से कभी कोई टकराव नहीं हुआ है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वहां सैनिक ऑपरेशन्ली तैयार नहीं रहते हैं. क्योंकि पूर्वी लद्दाख में कोरोनो महामारी के दौरान चीन ने जिस तरह युद्धाभ्यास के नाम पर गुपचुप तरीके से घुसपैठ करने की कोशिश की थी, उस तरह के दुस्साहस को अब दोहराने नहीं दिया जाएगा.
वीर भोग्य वसुंधरा जैसे उदघोष के साथ पीएम मोदी ने भी कहा कि “अमृतकाल (आजादी के 75 वर्ष) की इस बेला में, वक्त भी हमारा होगा, सपने सिर्फ़ सपने नहीं होंगे, सिद्धि की एक गाथा लिखेंगे, पर्वत से भी ऊपर संकल्प होगा. पराक्रम ही होगा विकल्प होगा, गति और गरिमा का जग में सम्मान होगा, प्रचंड सफलताओं के साथ, भारत का हर तरफ जयगान होगा. क्योंकि, अपने बल विक्रम से जो संग्राम समर लड़ते हैं. सामर्थ्य हाथ में रखने वाले, भाग्य स्वयं गढ़ते हैं.”