इजरायल-हमास जंग को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये कहकर सनसनी फैला दी है कि भारत का मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा विवाद की वजह बना है. आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला इस कोरिडोर के चलते किया है. ये वही कोरिडोर है जिसकी घोषणा हाल ही में राजधानी दिल्ली में हुए जी-20 समिट में की गई थी.
हमास के हमले को लेकर भारत के एंगल को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बड़ा दावा किया है. जो बाइडेन ने एक हफ्ते में दूसरी बार भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को हमास के हमले के पीछे की वजह बताई है. ये वही कोरिडोर है जिसपर दिल्ली में हुई जी 20 की बैठक के दौरान सहमति बनी थी और ये वही कोरिडोर है जिसकी वजह से चीन की दादागीरी ढीली हो गई थी. जो बाइडेन ने दावा किया है कि 9 सितंबर को जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारे का एलान भी हमास की तरफ से इजरायल पर अचानक किए गए हमले का एक कारण हो सकता है, क्योंकि इस परियोजना की वजह से चीन के बेल्ट एंड रोड परियोजना को तगड़ा झटका लगा था.
जो बाइडेन ने क्या कहा
इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज अमेरिका का राजकीय यात्रा पर हैं. इस दौरान बाइडेन और एंथनी अल्बनीज ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेसकॉन्फ्रेंस के दौरान जो बाइडेन ने कहा, ऐसा लगता है कि हमास के अटैक के पीछे भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा हो सकता है. हालांकि बाइडेन ने कहा- इस बात के कोई सबूत नहीं हैं. पर विश्लेषण के आधार पर पूरे यकीन से कह सकता हूं कि जिस तरह से हम क्षेत्रीय तौर पर ग्रोथ कर रहे हैं, और कोरिडोर में इजरायल भी शामिल है. हमले की एक वजह हो सकता है. पर हम कॉरिडोर बनाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं, और पीछे नहीं हटेंगे.
बाइडेन के दावे के पीछे क्या वजह
हमास ने जिस तरह से इजरायल पर हमला किया उसकी जांच में कुछ खुफिया इनपुट्स में चीनी एंगल सामने आया था. इजरायली मीडिया ने भी दावा किया था कि हमले के दौरान सिक्योर यानी सुरक्षित कम्युनिकेशन के लिए हमास ने चीनी कम्युनिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया था. हमले की जगह चीन के बने मोबाइल फ़ोन मिले हैं और माना जा रहा है कि चीन की मदद की वजह से ही हमास के हमले को मोसाद और पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसिया चाहे वो सीआईए हो या फिर इंग्लैंड की एमआई-6 किसी को कानों-कान खबर नहीं लगी.
संभावना ये भी जताई जा रही है कि हमास के पास जो मोर्टार और पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है, उसे भी एक चीनी कंपनी ने ही बनाया है. हमास के आतंकियों के पैराग्लाइडर्स तक चीन में बनने वाला पैराग्लाइडर की तरह ही थे. हिजबुल्लाह भी जिन रॉकेट का इस्तेमाल कर रहा है वो भी चीनी हो सकते हैं. इसके अलावा जिस तरह अलग अलग मंचों पर चीन इजरायल की जवाबी कारवाई को गलत बता रहा है और युद्ध विराम की पैरवी कर रहा है, उससे साफ है कि हमास को चीन का पूरी तरह से समर्थन हासिल है.
क्या है भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा
इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारे का उद्देश्य मध्य पूर्व के देशों को रेलवे से जोड़ना और उन्हें बंदरगाह के माध्यम से भारत और यूरोप से जोड़ना है. इस कोरिडोर के बनने के बाद से खाड़ी से यूरोप तक ट्रे़ड फ्लो में मदद मिलेगी. रेल और शिपिंग कोरिडोर देशों को ऊर्जा उत्पादों सहित ज्यादा व्यापार के लिए सक्षम बनाएगा. कोरिडोर से अलग अलग देशों के बीच ने केवल संपर्क बढ़ेगा बल्कि आने वाले समय में व्यापार और रोजगार में भी इजाफा होगा.
भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा पश्चिम में भारत की जमीनी कनेक्टिविटी को आसान बनाएगा. इसके अलावा यह गलियारा अरब देशों के साथ-साथ भारत की रणनीतिक भागीदारी को गहरा करेगा. अमेरिका के मुताबिक इस कॉरिडोर से पूरे क्षेत्र में तनाव कम होगा और किसी भी तरह के टकराव से निपटने में मदद मिलेगी. अरब प्रायद्वीप में राजनीतिक गहमागहमी में भी कमी आएगी और क्षेत्र में शांति और स्थिरता भी आएगी.
कॉरिडोर समझौते में कौन-कौन देश शामिल
कोरिडोर के मेगा प्रोजेक्ट पर भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ मिलकर काम कर रहे हैं. कॉरिडोर को इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर यानी आईएमईसी नाम दिया है. इस कोरिडोर के बनने के बाद रेल और जहाज से भारत से यूरोप तक पहुंचा जा सकेगा.
बाइडेन के बयान में क्यों है दम
आतंकी संगठन हमास के इजरायल पर हमले का एक बड़ा कारण तेल अवीव की अरब देशों से बढ़ती नजदीकियां मानी जा रही है. हमास (और उसके आका ईरान) को ये कतई बर्दाश्त नहीं है कि इजरायल के संबंध सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों से सुधर जाएं. भारत और अमेरिकी की पहल पर इजरायल के संबंध सऊदी अरब और यूएई से काफी सुधर गए थे. भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई ने तो यू-2 आई-2 जैसा फोरम भी तैयार कर लिया था जिसे मिडिल-ईस्ट के क्वाड का नाम दिया गया था. इजरायल के हमास के खिलाफ जवाबी कारवाई के बाद सऊदी अरब ने तेल अवीव से सभी संबंधों को समाप्त करने का ऐलान कर दिया था. यूएई ही एकमात्र इस्लामिक देश है जो हमास का विरोध कर इजरायल का समर्थन कर रहा है.
ऑस्ट्रेलिया के पीएम क्या बोले
हम चीन के बेल्ट एंड रोड से मुकाबला करने जा रहे हैं. बेल्ट एंड रोड पहल कर्ज में डूब गई है और जिन देशों ने चीन के बेल्ट एंड रोड से समझौता किया है वो परेशान हैं.
दुनिया के हुए दो फाड़
इजरायल-हमास युद्ध के बीच दुनिया के दो धड़ों में बंट गई है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में जहां अमेरिका का हमास के खिलाफ प्रस्ताव चीन और रूस की वजह से गिर चुका है तो वहीं गाज़ा में युद्धविराम को लेकर रूसी प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो लगा दिया.