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युद्ध से मानव जीवन और जीविका का नुकसान: राजनाथ सिंह

इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बड़ा बयान आया है. गुरूवार को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आसियान प्लस देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि “युद्ध से मानव जीवन और आजीविका का भयानक नुकसान होता है, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर स्थिरता भंग होती है.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “युद्ध से खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा आदि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.” राजनाथ सिंह ने शांति, समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आसियान (प्लस) देशों के साथ काम करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया. उन्होंने शांति पर महात्मा गांधी के प्रसिद्ध कथन “शांति का कोई रास्ता नहीं है, शांति ही एकमात्र तरीका है” का हवाला दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “यह युद्ध का युग नहीं है” को दोहराते हुए रक्षा मंत्री ने “स्थायी शांति और वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बातचीत और कूटनीति की भूमिका पर जोर दिया.” राजनाथ सिंह का ये वक्तव्य ऐसे समय में आया है जब पूरी दुनिया दो बड़े युद्ध से जूझ रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध पिछले 20 महीनों से चल रहा है और माना जा रहा है कि हजारों की संख्या में सैनिक सहित आम नागरिकों की जान चली गई है. इसके अलावा करीब 50 लाख लोग बेघर हो गए हैं और बड़ी संख्या में यूरोप सहित दूसरे देशों में शरण लेने के लिए यूक्रेन छोड़ कर भाग खड़े हुए हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर में अनाज, तेल और उर्जा का संकट पैदा हो गया था. हालांकि राजधानी दिल्ली में हुई जी-20 मीटिंग के बाद रूस और यूक्रेन अनाज संधि के लिए तैयार हो गए हैं. 

रूस-यूक्रेन युद्ध अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि 7 अक्टूबर से इजरायल और हमास के बीच भी जंग छिड़ गई है जिसमें अभी तक 12 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई हैं. हजारों की तादाद में उत्तरी गाज़ा में रहने वाले लोगों को अपने घरों को छोड़कर दक्षिणी गाज़ा में शरण लेनी पड़ी है.

आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की 10वीं बैठक में राजनाथ सिंह ने कहा कि “भारत (इंडो-पैसिफिक) अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में नौसंचालन, उड़ान भरने और बेरोकटोक वैध व्यापार की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है.” उन्होंने क्षेत्र में “शांति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए आसियान और प्लस देशों के बीच सक्रिय सहयोग का आह्वान किया.” इस दौरान आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों के अलावा चीन, रूस और अमेरिका जैसे प्लस देशों के रक्षा मंत्री भी मौजूद थे.

यह स्वीकार करते हुए कि आतंकवाद आसियान क्षेत्र सहित अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है, भारत ने आतंकवाद विरोधी एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप (ईडब्ल्यूजी) की सह-अध्यक्षता करने का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव को एडीएमएम-प्लस द्वारा अनुमोदित किया गया था क्योंकि आसियान क्षेत्र के देशों के लिए आतंकवाद गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है.

आसियान बैठक से इतर राजनाथ सिंह ने अमेरिका के रक्षा सचिव (मंत्री) लॉयड ऑस्टिन सहित वियतनाम और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रियों से भी द्विपक्षीय बैठक की. 

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