क्या इजरायल-हमास युद्ध की आग भारत के आंगन तक पहुंच गई है. ये सवाल इसलिए क्योंकि गुजरात के करीब अरब सागर में एक जहाज पर बड़ा ड्रोन अटैक हुआ है. ये जहाज सऊदी अरब से कर्नाटक के मंगलौर के रास्ते पर था जब सोमनाथ मंदिर से करीब 200 किलोमीटर दूर इस जहाज पर हमला हुआ. हमले में धमाके के बाद आग जरूर लगी थी लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
दुनियाभर के समुद्री-जहाजों के परिचालन से जुड़ी संस्था, यूकेएमटीओ (यूनाइटेड किंगडम मरीन ट्रेड ऑपरेशन्स) के मुताबिक, भारत के वेरावल से 200 नॉटिकल मील (करीब 370 किलोमीटर) दूर एक जहाज पर बिना-क्रू के एरियल सिस्टम (ड्रोन) ने हमला किया जिससे जहाज में धमाके के साथ आग लग गई. यूकेएमटीओ ने ये भी बताया कि जहाज पर लगी आग को बुझा लिया गया है और (भारतीय) अथॉरिटी जांच कर रही हैं.
यूकेएमटीओ ने इस रूट से गुजरने वाले सभी जहाज को सावधानी बरतने की सलाह दी है और कहा कि ऐसी किसी भी तरह की घटना की तुरंत रिपोर्ट करें. वेरावल शहर गुजरात के गिर-सोमनाथ जिले का मुख्यालय है, जो सोमनाथ मंदिर के बेहद करीब है.
भारत के रक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही यूकेएमटीओ से अलर्ट जारी किया गया, भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल हरकत में आ गया. भारतीय नौसेना के लॉन्ग रेंज मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट पी8आई को गोवा स्थित आईएनएस हंस नेवल बेस से घटना की जगह भेजा गया. इसके अलावा नौसेना के एक युद्धपोत को भी वहां भेजा गया है. जानकारी के मुताबिक, हमले के बाद जहाज ने अपना एआईएस (ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम) बंद कर दिया था, जिससे इसे खोजने में थोड़ी मुश्किल आई.
इंडियन कोस्टगार्ड (तटरक्षक बल) के एक टोही विमान डोर्नियर ने प्रभावित जहाज, ‘एमवी केम प्लूटो’ से संपर्क साधा. ये जहाज अफ्रीकी देश लाइबेरिया (अफ्रीकी देश) का है. लेकिन ब्रिटेन की एक मेरीटाइम एजेंसी के मुताबिक, ये जहाज इजरायल से जुड़ा हुआ है. ऐसे में भारत की सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं. इस जहाज में 20 भारतीय क्रू-दल भी मौजूद था. लेकिन हमले में कोई हताहत नहीं हुआ. जहाज के एक हिस्से को जरूर नुकसान हुआ है. हमले को देकर ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इसपर ड्रोन के बजाए किसी मिसाइल से हमला किया गया है. जांच के बाद ही हमले का ठीक-ठीक पता लग पाएगा.
घटना के बाद सवाल ये खड़ा हो रहा है कि हमले को किसने और कहां से अंजाम दिया है. क्योंकि इजरायल-हमास युद्ध के चलते रेड-सी (लाल सागर) में यमन के हूती विद्रोही लगातार अमेरिका और इजरायल के जहाज को निशाना बना रहे हैं. 20 नवंबर को हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में टर्की से आ रहे बहमास के एक व्हीकल-कैरियर (गाड़ियों को ले जाने वाले जहाज) ‘एमवी गैलेक्सी लीडर’ को हाईजैक कर लिया था. ये जहाज हालांकि, जापान की एक कंपनी ने लीज पर लिया हुआ था लेकिन ये इजरायली मूल के एक ब्रिटिश नागरिक से जुड़ा हुआ था. ये जहाज भारत के मुंद्रा (गुजरात) पोर्ट आ रहा था, जब इसे बंधक बनाकर हूती विद्रोही अपने साथ यमन के एक बंदरगाह ले गए थे. हूती विद्रोही गाज़ा में इजरायल के हमलों का विरोध कर रहे हैं. हूती विद्रोहियों ने कई बार इजरायल पर ड्रोन और मिसाइल से भी भी हमला करने की कोशिश की है. साथ ही अमेरिका के भी कई युद्धपोत पर हमला किया है.
लाल सागर में हूती विद्रोहियों पर लगाम कसने के लिए अमेरिका ने मित्र-देशों के साथ मिलकर ऑपरेशन प्रोस्पेरिटी-गार्जियन लॉन्च किया है. हालांकि, अभी इस ऑपरेशन का कोई खास असर रेड सी में देखने को नहीं मिल पाया है. ऐसे में सवाल ये है कि एमवी केम-प्लूटो पर हूती विद्रोहियों ने हमला किया है या फिर ईरान ने. क्योंकि ईरान भी इजरायल का हमास युद्ध में विरोध कर रहा है. या फिर इस हमले को भारत या पाकिस्तान की धरती से तो अंजाम नहीं दिया गया है. क्योंकि पाकिस्तान का कराची बंदरगाह भी वेरावल के करीब है. हमास युद्ध में हालांकि भारत फिलिस्तीन में मानवीय सहायता का पक्षधर है लेकिन शुरू से ही भारत का समर्थन इजरायल को रहा है.
अगर इस हमले को गुजरात के तट से ड्रोन के जरिए किया गया है तो भारत के लिए बेहद चिंता की बात है. क्योंकि मुंबई के 26-11 आतंकी हमले के बाद से भारतीय नौसेना और इंडियन कोस्टगार्ड ने समुद्री सीमाओं की जबरदस्त नाकाबंदी कर रखी है. फिलहाल इस घटना को लेकर भारतीय नौसेना के आधिकारिक बयान का इंतजार है.
गौरतलब है कि 15 दिसंबर को अदन की खाड़ी (अरब सागर) में ही सोमालियाई-लुटेरों ने माल्टा के एक जहाज को हाईजैक कर लिया था. इस क्षेत्र में एंटी-पायरेसी पेट्रोलिंग कर रहे भारतीय नौसेना के आईएनएस कोच्चि युद्धपोत और पी8आई एयरक्राफ्ट ने स्पेन और जापान के युद्धपोतों के साथ हाईजैक हुए जहाज का दो दिनों तक पीछा किया था. लेकिन जब ये जहाज सोमालियाई-समुद्री-क्षेत्र में पहुंच गया था भारतीय नौसेना ने चेज करना बंद कर दिया था. क्योंकि भारतीय नौसेना पूरे हिन्द महासागर क्षेत्र की नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर है इसलिए ये घटनाएं भारत की चिंताएं लगातार बढ़ा रही हैं.
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