जिस वक्त पूर्व प्रधानमंत्री और राजनीति के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले पी वी नरसिम्हा राव (कार्यकाल 1991-96) को भारत रत्न देने की घोषणा की गई, ठीक उसी वक्त नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार अंडमान निकोबार की सामरिक क्षमताओं की जानकारी ले रहे थे. दोनों के बीच संबंध अटपटा जरूर लग सकता है. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह का सामरिक महत्व पहली बार 90 के दशक में नरसिम्हा राव ने ही पहचाना था.
वर्ष 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव वाशिंगटन के दौरे पर थे और अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से मुलाकात कर रहे थे. उसी दौरान एक बंद कमरे में अमेरिकी अधिकारियों ने नरसिम्हा राव को हिंद महासागर में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की मलक्का स्ट्रेट से निकटता और चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इस्तेमाल करने की सलाह दी. सामरिक जानकार मानते हैं कि अमेरिका ने भारत को इसके लिए वित्तीय सहायता तक देने की पेशकश की थी.
उस वक्त (1995) तक अंडमान निकोबार में भारतीय नौसेना का एक फोर्ट कमांडर मात्र तैनात रहता था. लेकिन वाशिंगटन में हुई मीटिंग के बाद अंडमान निकोबार को एक सामरिक महत्व के बेस के तौर पर तैयार करने के आदेश दे दिए गए थे. लेकिन इसे असली अमली जामा पहनाया गया करगिल युद्ध (1999) के बाद. युद्ध की समीक्षा के लिए बनी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) कमेटी ने नेशनल सिक्योरिटी को मजबूत करने की दिशा में अंडमान निकोबार में देश की पहली इंटीग्रेटेड कमांड बनाने की अनुशंसा की थी.
आज अंडमान निकोबार कमान देश में थिएटर कमांड बनाने के लिए एक मॉडल के तौर पर देखी जाती है. नौसेना के जंगी बेड़े से लेकर वायुसेना के एयरक्राफ्ट और थलसेना की एक पूरी ब्रिगेड अंडमान निकोबार में तैनात रहती है. अंडमान सागर में इंडियन कोस्टगार्ड के ऑपरेशन्स भी इसी इंटीग्रेटेड और ज्वाइंट कमान के अंतर्गत संचालित होते हैं. खास बात ये है कि इस कमांड की कमान बारी-बारी से थलसेना, नौसेना और वायुसेना के कमांडर्स के हाथों में आती है जिसे कमांडर इन चीफ अंडमान निकोबार (सीइनसीएएन–सिनकेन) के नाम से जाना जाता है. पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत तो अंडमान निकोबार को भारत का स्टेटिक-एयरक्राफ्ट कैरियर मानते थे.
शुक्रवार को नौसेना प्रमुख एडमरिल हरिकुमार ने अपने तीन दिवसीय (6-9 फरवरी) अंडमान निकोबार दौरे का समापन किया. इस दौरान कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल शाजु बालकृष्णन ने चीफ ऑफ नेवल स्टाफ (सीएनएस) को अंडमान निकोबार की सामरिक क्षमताओं, मिलिट्री ऑपरेशन्स और एक्ट-ईस्ट पॉलिसी से अवगत कराया.
अंडमान दौरे के दौरान नौसेना प्रमुख ने पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह पर इंटीग्रेटेड अंडरवाटर हार्बर डिफेंस एंड सर्विलांस सिस्टम (यूएचडीएसएस) का उद्घाटन किया. इस सिस्टम के जरिए समंदर के ऊपर और नीचे दोनों ही जगह दुश्मन के टारगेट (जहाज, अंडर वाटर व्हीकल्स) को डिटेक्ट के साथ ट्रैक भी कर सकता है. नेवी चीफ ने इस दौरान अंडमान निकोबार के आईएनएस उत्क्रोष बेस पर प्रेशिसयन अपोर्ट रडार का उद्घाटन किया जो तेज बारिश, धुंध और कम विजिबिलिटी में एयरक्राफ्ट की लैंडिंग में मदद करेगा. इसके अलावा आईएनएस बाज़, आईएनएस कोहासा और आईएनएस करदीप में नए नेवल कम्युनिकेशन नेटवर्क का उद्घाटन किया ताकि वायुसेना, नौसेना और कोस्टगार्ड का एक ही कम्युनिकेशन सिस्टम स्थापित किया जा सके ताकि अंडमान निकोबार कमान की ऑपरेशन्स क्षमताओं को मजबूत किया जा सके.
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