भारत-चीन के बीच चल रहे विवाद के बीच श्रीलंका के तट पर भारतीय जहाजों के पहुंचने पर चीन की भौहें तन गई हैं. वजह ये है कि भारत के विरोध के बाद चीन के जासूसी जहाज को श्रीलंका ने अपने तट पर रुकने से मना कर दिया था. जिसकी वजह से चीन के ‘स्पाई शिप’ को मालदीव जाकर रुकना पड़ा.
श्रीलंका पहुंचे भारतीय जहाज को लेकर खलबली मच गई है. भारतीय तटरक्षक जहाज ‘समर्थ’ और ‘अभिनव’ औपचारिक यात्रा पर श्रीलंका के गाले बंदरगाह पहुंचे हैं. इंडियन कोस्ट गार्ड (आईसीजी) के दोनों जहाज 2 मार्च से 5 मार्च तक कोलंबों बंदरगाह में एक एक्सरसाइज में हिस्सा लेंगे.
श्रीलंका में दिखेगा भारतीय तटरक्षक बल का दमखम
दोनों जहाज सद्भावना यात्रा पर गाले बंदरगाह पहुंचे हैं. इस यात्रा का मकसद भारत-श्रीलंका के बीच संयुक्त प्रशिक्षण और पेशेवर आदान-प्रदान के संबंधों को मजबूत करना है आईसीजी के मुताबिक, “प्रवास के दौरान, दोनों जहाज यात्रा, बोर्ड, खोज और जब्ती के अलावा जहाज में आग लगने या किसी भी तरह की आपदा से निपटने के गुर सीखेंगे. इसके अलावा समुद्री प्रदूषण को लेकर चर्चा की जाएगी. यात्रा के दौरान योग, समंदर के तटों की सफाई और वॉकथॉन का भी आयोजन किया गया है. गाले और कोलंबो में श्रीलंकाई तटरक्षक जहाज के साथ ‘पासेज एक्सरसाइज’ (पीएएसएसईएक्स) का आयोजन किया जाएगा. इस एक्सरसाइज के जरिए भारतीय तटरक्षक बल की क्षमता आंकी जाएगी.”
मालदीव के ‘दोस्ती’ से कितनी कम हुई दूरी ?
भारत के साथ तनाव के बीच मालदीव ने मैरीटाइम सिक्योरिटी के लिए दोस्ती एक्सरसाइज की मेजबानी की है. दोस्ती अभियान में मालदीव, श्रीलंका के अलावा भारत ने भी हिस्सा लिया. ये एक्सरसाइज ऐसे समय में आयोजित की गई है, जब मालदीव की मुइज्जू सरकार की चीन से करीब संबंध और भारत के साथ तल्खी का दौर चल रहा है. मालदीव में ‘दोस्ती’ अभियान पिछले सप्ताह आयोजित हुआ. इस अभियान में भारतीय तटरक्षक जहाज समर्थ और आईसीजीएस अभिनव ने हिस्सा लिया था. ये वही जहाज हैं जो इस वक्त श्रीलंका के तट पर इस वक्त मौजूद हैं. दोस्ती अभियान में बांग्लादेश एक पर्यवेक्षक के तौर पर मौजूद रहा. भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच समुद्र में खोज और बचाव, समुद्री डकैतों का मुकाबला, मानवीय मदद और आपदा की स्थिति में क्षेत्रीय सहयोग को लेकर अभ्यास किया गया. मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून ने दोस्ती अभियान को लेकर कहा कि “राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू इस बात को प्राथमिकता देते हैं कि मालदीव और पड़ोसी देशों के बीच संबंध घनिष्ठ और स्थिर हों.”
मालदीव से वापस लौटा चीन का जासूसी जहाज
मालदीव में कई दिनों तक रहने के बाद चीन का जासूसी जहाज वापल लौट चुका है. रिसर्च के नाम पर जियांग यांग हांग-3 जासूसी करने के लिए बदनाम है. 4500 टन वजनी जहाज कई दिनों तक मालदीव के तट पर रहा था. ये वही जहाज है, जिसे श्रीलंका ने भारत के ऐतराज के चलते अपने तट पर रुकने से मना कर दिया था. बाद में मालदीव ने दोस्ती गांठते हुए चीन को अपने तट पर रुकने की इजाजत दी थी.
मालदीव ने इस बात का दावा किया था कि जियांग यांग हांग थ्री मालदीव समुद्री सीमा में रहने के दौरान कोई अनुसंधान नहीं करेगा. पर भारत और अमेरिका को लगता है कि रिसर्च के नाम पर चीन, दूसरे देशों के पनडुब्बी संचालन और उनकी समुद्री क्षमता के लिए हिंद महासागर क्षेत्र समेत सागरों से आंकड़ा जुटा रहा है. वहीं चीन ऐसे सभी आरोपों से इनकार करता रहा है. पर चीन की चालबाजी से पूरी दुनिया वाकिफ है.
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