आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए स्वदेशी सैन्य उपकरण बनाने में भारतीय सेना ने एक मील का पत्थर पार किया है. भारतीय सेना के आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) ने एआई की मदद से एक ऐसा ‘विद्युत-रक्षक’ यंत्र ईजाद किया है जो देश की सीमाओं पर लगे सभी जनरेटर को एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से ऑपरेट कर सकता है. रुस-यूक्रेन युद्ध से सीख लेते हुए ‘इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन’ के जरिए भारतीय सेना के एक मेजर रैंक के अधिकारी ने इस खास सिस्टम को तैयार किया है.
हाल ही में राजस्थान के पोखरण में संपन्न हुई पहली स्वदेशी ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज ‘भारत-शक्ति’ (12 मार्च) के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विद्युत-रक्षक’ प्रणाली के बारे में जानकारी हासिल की. मिलिट्री एक्सरसाइज के दौरान फायर-पावर प्रदर्शन से इतर स्वदेशी हथियार और दूसरे सैन्य उपकरणों की एक स्टेटिक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था. इसी दौरान पीएम मोदी को जानकारी दी गई कि इस यंत्र को तैयार करने के बाद एक प्राईवेट कंपनी को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (टीओटी) के जरिए उत्पादन के लिए दे दिया गया है ताकि सेना में इसका इस्तेमाल किया जा सके.
खास बात ये है कि पिछले साल मार्च के महीने में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित कम्बाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (सीसीसी) के दौरान पीएम मोदी ने विद्युत-रक्षक के बारे में पहली बार जानकारी ली थी. थलसेना प्रमुख ने पोखरण में पिछले एक साल में इस यंत्र को लेकर उठाए गए कदमों से वाकिफ कराया.
एडीबी में कार्यरत मेजर राजप्रसाद ने एक साल पहले विद्युत-रक्षक को ईजाद किया था. फरवरी 2023 में बेंगलुरु में आयोजित एयरो-इंडिया शो में पहली बार विद्युत-रक्षक को प्रदर्शित किया गया था. टीएफए से खास बातचीत में मेजर रामप्रसाद ने बताया कि रुस-यूक्रेन युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में बिजली-घरों को निशाना बनाया गया था. विद्युत-संयंत्रों को निशाना बनाए जाने के चलते रणभूमि में बहुतायत जनरेटर का इस्तेमाल किया गया. क्योंकि रडार से लेकर सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रेडियो-सेट की बैटरियां को चार्ज करने से लेकर मिलिट्री-हॉस्पिटल तक में बिजली पहुंचाई जानी बेहद जरूरी थी. ऐसे में आईओटी यानी ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ के जरिए भारतीय सेना की जरुरतों को ध्यान में रखकर ‘विद्युत-रक्षक’ को तैयार किया गया.
मेजर राजप्रसाद के मुताबिक, भारत की लंबी सीमाएं बेहद दूर-दराज और दुर्गम इलाकों में हैं जहां इलेक्ट्रिक लाइन तक नहीं पहुंचाई जा सकती है और वहां बड़ी संख्या में जेनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन उन जनरेटर को चलाने और रखरखाव के लिए सैनिकों को तैनात करना पड़ता है. ऐसे में विद्युत-रक्षक के जरिए एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से कई सौ किलोमीटर दूर चल रहे कई जनरेटरों को एक ही ओपरेटर चला सकता है. विद्युत-रक्षक जनरेटर का ना केवल चला सकता है बल्कि उनमें आई खामियों के बारे में भी बता सकता है.
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