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Moscow attack: 143 की मौत, चारों हमलावर गिरफ्तार

रूस की राजधानी मास्को में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले के चारों आरोपियों को यूक्रेन की सीमा में दाखिल होते वक्त धर-दबोचा गया. इसके अलावा हमलावरों के सात अन्य साथियों को गिरफ्तार किया गया है. लेकिन अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि क्या वाकई इस्लामिक आतंकी संगठन आईएसआईएस ने इस हमले को अंजाम दिया है या यूक्रेन भी इस साजिश में शामिल है. पिछले दो दशक में रुस में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले में 133 रूसी नागरिकों की जान गई है (कुछ रिपोर्ट्स में मरने वालों का आंकड़ा 143 है). घायलों की संख्या भी 100 से ज्यादा बताई गई है.

रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शनिवार को देश को संबोधित करते हुए कहा कि क्रॉकस कॉन्सर्ट हॉल के हमलावर मास्को से भागने के बाद “यूक्रेन में सुरक्षित शरण लेने जा रहे थे.” एफएसबी ने पुतिन को जानकारी दी है कि अटैक में शामिल चार हमलावरों सहित कुल 11 संदिग्धों को धर-दबोचा गया है. हालांकि, पुतिन या फिर रूस की फेडरल इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसी एफएसबी (‘फेडरल सिक्योरिटी ब्यूरो’) ने अभी तक सीधे तौर से यूक्रेन को इस हमले के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है लेकिन शक के घेरे में जरूर है. इसके कई बड़े कारण हैं. 

दरअसल मास्को में आतंकी हमले के कुछ घंटे बाद ही अफगानिस्तान में ओपरेट करने वाली इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) की शाखा आईएसकेपी (इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासन प्रॉविंस) ने शुक्रवार के आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी. इसके साथ ही पश्चिमी मीडिया ने हमलावरों की गिरफ्तारी और रुस के आधिकारिक बयान से पहले ही आईएस (इस्लामिक स्टेट) को इस अटैक का जिम्मेदार ठहराया दिया. 

पश्चिमी मीडिया के आईएस को तुरंत जिम्मेदार ठहराने से रुस नाखुश है. पश्चिमी मीडिया का दावा है कि पुतिन ने सीरिया में आईएस के खिलाफ जंग छेड़ रखी है उसका बदला लेने के लिए आईएसकेपी ने हमला किया है. रुस का आरोप है कि अमेरिका को इस हमले की पहले से जानकारी कैसे हाथ लगी. 

अमेरिका के विदेश मंत्रालय (स्टेट डिपार्टमेंट) ने कुछ दिन पहले ही आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि अमेरिकी नागरिक मास्को के भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचे. ऐसा इसलिए क्योंकि मास्को के सार्वजनिक स्थानों पर हमला होने की आशंका है. रुस का आरोप है कि अमेरिका को अगर हमले की आशंका थी तो खुफिया जानकारी क्यों नहीं आधिकारिक तौर से साझा की गई.

यूक्रेन ने हालांकि, हमले के तुरंत बाद ही पूरी घटना से पल्ला झाड़ लिया. लेकिन रुस का आरोप है कि हमले के बाद हमलावरों के लिए यूक्रेन की सीमा तक दाखिल होने के लिए ‘सेफ-कॉरिडोर’ बनाने की कोशिश की गई थी. यूक्रेन में दाखिल होने से पहले से ही हालांकि चारों मुख्य हमलावरों को ब्रायेंसक प्रांत से धर-दबोचा गया. 

रूसी सुरक्षाबलों की कस्टडी में पकड़े गए हमलावरों के वीडियो भी सामने आए हैं. इन वीडियो में हमलावर टेलीग्राम (एप) सोशल मीडिया के जरिए साजिशकर्ताओं से संपर्क में आने का दावा कर रहे हैं. एक हमलावर का कहना है कि वो टर्की से कुछ दिन पहले ही रशिया में दाखिल हुआ था. जबकि एक का कहना है कि उसे टेलीग्राम पर हमले को अंजाम देने के लिए हाफ मिलियन डॉलर देने का वादा किया गया था. एक हमलावर ने कहा कि उसे टेलीग्राम पर एक धार्मिक-गुरु ने प्रभावित कर हमले के लिए तैयार किया. हालांकि, अभी तक एफएसबी की तरफ से इन हमलावरों की असली पहचान उजागर नहीं की गई है. अभी तक उनकी नागरिकता के बारे में भी सही सही जानकारी पता नहीं चल पाई है (https://x.com/FinalAssault23/status/1771552015199481859?s=20)

पुतिन ने राष्ट्र के नाम संदेश में साफ तौर सेे ऐलान किया कि हमले के लिए जिम्मेदार हमलावर, साजिशकर्ता और उन्हें गाइड करने वाले लोगों को किसी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा. उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी. पुतिन ने 24 मार्च यानी रविवार को पूरे रुस में ‘राष्ट्रीय शोक दिवस’ घोषित किया है (मास्को में आतंकी हमले से रुस में मातम).

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