यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा के भारत पहुंचने से ठीक पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कर दिया है कि ‘युद्ध के मैदान में विवाद का हल निकालना संभव नहीं है’. जयशंकर ने दो टूक कहा है कि ‘युद्ध में कोई विजय नहीं होता है’.
मलेशिया दौरे के दौरान विदेश मंत्री, भारतीय प्रवासियों के समूह से बातचीत कर रहे थे. इसी दौरान एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि रुस-यूक्रेन युद्ध के “शुरु होने के वक्त से ही भारत इस बात का पक्षधर रहा है कि लड़ाई के मैदान से कोई हल नहीं निकलने वाला है.” विदेश मंत्री ने कहा कि “युद्ध खत्म करने के लिए भारत किसी ने किसी रास्ते के निकालने की पुरजोर कोशिश कर रहा है.” जयशंकर इनदिनों (23-27 मार्च) दक्षिण-पूर्व देश सिंगापुर, फिलीपींस और मलेशिया की यात्रा पर हैं.
जयशंकर ने कहा कि रुस-यूक्रेन युद्ध से “हर देश, चाहे फिर वो जंग में हिस्सा ले रहा है या दूर खड़ा है सभी या तो बर्बाद हो जाएंगे या फिर किसी न किसी तरह से उसका असर पड़ेगा. इसलिए भारत, जंग को जल्द से जल्द खत्म कराने का पक्षधर है.” विदेश मंत्री ने कुछ देशों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “युद्ध शुरु होने के दौरान कुछ देशों को हमारा पक्ष पसंद नहीं आया था.”
रुस-यूक्रेन जंग को दो साल पूरे हो चुके हैं और खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अमेरिका और दूसरे यूरोपीय देशों से ज्यादा सैन्य और वित्तीय सहायता ना मिलने से जंग में यूक्रेन की हालत पतली हो गई है. बड़ी संख्या में सिविल-मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर, सैनिकों के हताहत होने और मासूम लोगों की जान जा रही है. यूक्रेन के मित्र-देश और मिलिट्री कमांडर तक रुस से सुलह करने की बात कर चुके हैं. लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की बातचीत की टेबल पर आने के लिए तैयार नहीं हैं. जेलेंस्की का कहना है कि यूक्रेन तभी वार्ता के लिए तैयार होगा जब रुस, डोनबास और क्रीमिया को खाली कर देगा. लेकिन हाल ही में पुतिन ने दोनों ही इलाकों में आम चुनाव कराकर रुस का पक्ष साफ कर दिया है. हालांकि, युद्ध के दौरान रुस को भी भारी जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा है.
युद्ध खत्म होता न देख अब यूक्रेन ने भारत का रुख किया है. 20 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन और जेलेंस्की दोनों से फोन पर बातचीत की थी. इसके बाद ही यूक्रेन ने विदेश मंत्री कुलेबा की भारत दौरे की घोषणा की थी. 28 मार्च यानी गुरुवार को कुलेबा दो दिवसीय दौर पर राजधानी दिल्ली आ रहे हैं. इस दौरान वे अपने समकक्ष जयशंकर और डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) से खास बातचीत करेंगे. कुलेबा जल्द ही स्विट्जरलैंड में होने वाली शांति वार्ता में शामिल होने के लिए भारत को निमंत्रण देंगे.
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