दुनियाभर के देश जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग खत्म करने के लिए शांति वार्ता की पैरवी कर रहे हैं, तब अमेरिका ने यूक्रेन को हथियारों का एक बड़ा जखीरा भेजा है. खास बात ये कि ये हथियार उस ईरान के बताए जा रहे हैं जो रुस का मित्र-देश है. अमेरिका का दावा है कि हूती विद्रोहियों को जो हथियार ईरान भेजता है उन्हें जब्त करके यूक्रेन भेजा गया है. लेकिन साफ है कि इन हथियारों की खेप से अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को हवा देने का काम किया है.
कीव की जंग, ये हथियार देख रह जाएंगे दंग
अमेरिका ने यूक्रेन आर्म्ड फोर्सेज को जो हथियार सौंपे हैं, उनमें 5000 एके-47, मशीन गन, स्नाइपर राइफल, आरपीजी-7 लॉन्चर और 5 लाख राउंड से ज्यादा गोलियां शामिल हैं. अमेरिका ने यूक्रेन को ये हथियार ऐसे समय में दिए हैं, जब रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन कमजोर पड़ रहा है. अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड ने बाकायदा हथियारों की तस्वीर अपने सोशल मीडिया हैंडल में शेयर की है. अमेरिकी सेना ने अपने बयान में लिखा कि “अमेरिका की सरकार ने 4 अप्रैल को 5000 एके-47 राइफल, मशीन गन, स्नाइपर राइफल, आरपीजी-7 और 7.62 एमएम की 500,000 राउंड से ज्यादा गोलियों यूक्रेनी सैन्य बलों को दी हैं. ये हथियार यूक्रेन को रूसी आक्रमण से बचाव में मदद करेंगे.” (https://x.com/CENTCOM/status/1777650918512828481)
आईआरजीसी भेज रहा था हूती विद्रोहियों को हथियार ?
अमेरिका ने यूक्रेन को जो हथियार भेजे हैं, उन हथियारों को अमेरिकी नौसेना ने चार समुद्री जहाज से जब्त किया था. अमेरिका का दावा है कि आईआरजीसी यानी ईरान रिवोलेशनरी गार्ड कोर इन हथियारों को यमन के हूती विद्रोहियों को भेज रहा था. आईआरजीसी ईरान की मिलिशिया फोर्स है जो खाड़ी देशों में हमास, हूती और हिज्बुल्लाह जैसे संगठनों को हथियार और दूसरी तरह की मदद प्रदान करती आई है.
यूक्रेन को भेजे गए
हथियारों का ये जखीरा अमेरिका ने मई 2021 से फरवरी 2023 के बीच जब्त किया था. अमेरिकी नौसेना ने हूती विद्रोहियों तक पहुंचने से पहले ही हजारों असॉल्ट राइफल और दस लाख राउंड से अधिक गोला-बारूद पकड़ लिया. बाइडेन प्रशासन द्वारा जब्त किए गए हथियारों को कानूनी तौर पर यूक्रेनी सेना को भेजने का काम किया जा रहा है.
दरअसल रूस के खिलाफ लड़ने वाले यूक्रेन को युद्ध में हथियारों और युद्ध सामग्री की गंभीर कमी से जूझना पड़ रहा है. यूक्रेन की मदद की वजह से अमेरिका खुद अपने देश में घिरा हुआ है, पिछले साल अमेरिकी संसद में मुद्दा उठा था, जिसमें कहा गया था कि यूक्रेन को रूस के साथ युद्ध लड़ने में मदद करने के लिए अमेरिका के पास समय और धन की कमी हो रही है. लेकिन अमेरिकी संसद ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य और वित्तीय मदद पर रोक लगा दी है. अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि जब तक संसद (कांग्रेस से) धन की मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक वह अपने अपने भंडार से और अधिक उपकरण भेजने में असमर्थ है. इसी कड़ी में जब्त किए गए ईरानी हथियारों को यूक्रेन भेजा गया है.
ईरान और रूस दोनों की ही अमेरिका से कट्टर दुश्मनी है. ऐसे में ईरानी हथियारों को यूक्रेन भेजकर अमेरिका ने एक रणनीतिक चाल चल दी है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की हथियारों को पाकर खुश हैं, पर रूस शुरुआत से ही कह रहा है कि जंग को अमेरिका ही हवा दे रहा है.
अमेरिका ने ऐसे समय में यूक्रेन को हथियार भेजे हैं जब गुरुवार को ही स्विट्जरलैंड ने यूक्रेन जंग को समाप्त करने के लिए जून के महीने में एक बड़ी शांति वार्ता आयोजन करने का ऐलान किया है. माना जा रहा है कि इस वार्ता में भारत सहित ग्लोबल साउथ के कई देश शिरकत करेंगे. (https://x.com/ignaziocassis/status/1778084602260639982?s=46).
हालांकि, रुस ने जेलेंस्की के पीस फॉर्मूला को एक सिरे से नकार दिया है (बीजिंग में लावरोव ने ठुकराया Peace Formula).
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