भारत अपनी सेना को आधुनिक बनाने के साथ-साथ चीन को भी कड़ी टक्कर तो दे ही रहा है, हथियारों के लिए रुस पर भी अपनी निर्भरता कम कर रहा है. ये कहना है अमेरिका की खुफिया एजेंसी का अपनी सालाना रिपोर्ट में.
यूएस डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) के डायरेक्टर, लेफ्टिनेंट जनरल जेफरी क्रूस ने अपने देश की संसद (कांग्रेस) की एक सब-कमेटी को बताया कि पिछले साल (वर्ष 2023) में भारत ने जी-20 इकोनोमिक समिट का आयोजन कर खुद को ग्लोबल-लीडर के तौर पर प्रदर्शित किया है. डीआईए चीफ के मुताबिक, इसके साथ ही भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना (चीन) की गतिविधियों का मुकाबला करने की इच्छा प्रदर्शित की है.
अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (निचले सदन) की आर्म्ड सर्विसेज सबकमेटी ऑन इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशन्स के समक्ष पेश की अपनी रिपोर्ट में लेफ्टिनेंट जनरल क्रूस ने कहा कि वर्ष 2024 में भारत अपने राष्ट्रीय (आम) चुनाव, आर्थिक विकास और मेक इन इंडिया के तहत अपनी सेना को आधुनिक बनाने की कोशिश करेगा ताकि बीजिंग (चीन) का काउंटर किया जा सके. यूएस डीआईए की ये रिपोर्ट चीन के खिलाफ अमेरिकी तैयारियों और क्षमताओं को लेकर बनाई गई कमेटी का हिस्सा है.
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प में भारत के 20 सैनिक मारे गए थे (वीरगति को प्राप्त हुए थे) और चीन के कम से कम पांच सैनिक मारे गए थे. यूएस इंटेलिजेंस चीफ ने बताया कि अक्टूबर 2023 में दोनों देशों के मिलिट्री कमांडर्स के बीच 20वें दौर की बैठक के दौरान भी दो विवादित इलाकों (पूर्वी लद्दाख के देपसांग प्लेन और डेमचोक) को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई. ऐसे में दोनों देशों के ही करीब 50-60 हजार सैनिक पूर्वी लद्दाख से सटे बॉर्डर (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी) पर तैनात है. इसके साथ ही दोनों देश सीमा (एलएसी) के करीब मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने में जुटे हैं.
रुस पर हथियारों के लिए निर्भरता कम करने को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल भारत ने अपने स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएनएस विक्रांत) के समुद्री-ट्रायल पूरे कर लिए हैं. इसके अलावा भारत ने कई पश्चिमी देशों से कई महत्वपूर्ण सैन्य तकनीक के ट्रांसफर को लेकर भी चर्चा की है.
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर भारत ने रुस पर तटस्थ रुख अपनाया हुआ है. क्योंकि अभी भी रुस, भारत का सबसे महत्वपूर्ण डिफेंस पार्टनर है और मास्को से एस-400 मिसाइल (जमीन से आसमान में मार करने वाली) जैसे हथियार ले रहा है. अमेरिका के मुताबिक, ये तब है जब भारत अपने हथियारों में विविधता लाना चाहता है (यानी रुस के अलावा दूसरे देशों से खरीदने में इच्छुक है).
यूएस डीआईए रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने हथियारों के निर्यात और मिलिट्री ट्रेनिंग के जरिए दक्षिणी चीन सागर में फिलीपींस जैसे क्षेत्रीय दावेदारों के साथ अपनी पार्टनरशिप बढ़ाई है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने अमेरिका, आस्ट्रेलिया, फ्रांस और जापान जैसे देशों के साथ भी रक्षा सहयोग बढ़ाया है.
दरअसल, दक्षिण चीन सागर में पिछले कुछ महीनों से चीन और फिलीपींस के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में फिलीपींस ने भारत से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सौदा किया है ताकि समुद्री-तटों की सुरक्षा की जा सके. भारत और फिलीपींस की नौसेनाएं एक साथ मेरीटाइम एक्सरसाइज भी कर रही हैं.