अमेरिका से मिली 61 बिलियन डॉलर की मदद के साथ ही यूक्रेन ने क्रीमिया पर ‘एटीएसीएमएस’ मिसाइलों से प्रहार करना शुरु कर दिया है. लेकिन रुस का दावा है कि क्रीमिया पर किए गए हमले में कम से कम छह अमेरिकी टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराया गया है.
‘आर्मी टैक्टिकल मिसाइल’ यानी एटीएसीएम, अमेरिका की लॉन्ग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है जो 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है. दुनियाभर में बेहद घातक माने जाने वाली जमीन से जमीन पर मार करने वाली इस मिसाइल को अमेरिका ने खाड़ी युद्ध में इस्तेमाल किया था. इस मिसाइल को एक आर्टिलरी रॉकेट लॉन्चर से दागा जाता है और इसमें ‘क्लस्टर-म्यूनिशन’ का इस्तेमाल भी किया जाता है. अमेरिका की ‘लॉकहीड मार्टिन’ कंपनी इन मिसाइलों का निर्माण करती है.
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार की सुबह जब रुस की एयर डिफेंस प्रणाली ने यूक्रेन द्वारा एटीएसीएमएस के हमलों का नाकाम किया तो क्रीमिया के सिम्फेरोपोल और सेवस्तोपोल जैसे इलाकों में सब-म्यूनिशन जगह जगह बिखर गए. क्रीमिया प्रशासन ने लोगों से इन गोलों से बचने की हिदायत दी है.
रुस की रक्षा मंत्रालय का दावा है कि मंगलवार को छह एटीएसीएमएस मिसाइलों के हमलों को विफल करने के साथ ही क्रीमिया में फ्रांस में बनी दो हैमर मिसाइलों को भी नाकाम किया गया है. गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिका ने भी माना था कि रुस की एस-400 एयर डिफेंस प्रणाली बेहद अचूक है और उसकी नजरों से बच पाना बेहद मुश्किल है. ऐसे में माना जा रहा है कि क्रीमिया में तैनात एस-400 मिसाइलों ने यूक्रेन के बड़े हवाई हमलों को नाकाम किया है. यही वजह है कि भारत ने भी रुस से पांच ऐसी एस-400 मिसाइल सिस्टम की पांच बैटरियां लेने का करार किया है. इनमें से तीन बैटरियां (यूनिट) भारत पहुंच गई हैं. बाकी दो भी अगले साल तक मिलने की उम्मीद है.
पिछले साल अक्टूबर (2023) से अमेरिका ने यूक्रेन को सैन्य मदद बंद कर दी थी. ऐसे में यूक्रेन लगातार युद्ध में पिछड़ता जा रहा था. एक अनुमान के मुताबिक, अक्टूबर से लेकर अब तक यूक्रेन डोनबास के पश्चिमी सीमा पर करीब 270 वर्ग किलोमीटर का एरिया रुस के हाथों गंवा चुका है. ऐसे में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की अमेरिका से जल्द से जल्द सैन्य और वित्तीय सहायता की गुहार लगा रहे थे. पिछले हफ्ते ही अमेरिकी संसद (कांग्रेस) ने यूक्रेन को 61 बिलियन डॉलर की मदद देने की मंजूरी दी थी. इस सैन्य मदद में एटीएसीएमएस मिसाइल भी शामिल थी. लेकिन जानकारों का मानना है कि इस मदद से पहले ही पिछले महीने (मार्च) में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुपचुप यूक्रेन को एटीएसीएमएस प्रणाली सौंप दी थी, जिसके चलते ही यूक्रेन ने इनका इस्तेमाल इतनी जल्दी शुरु कर दिया है (यूक्रेन युद्ध को हवा, अरबों डॉलर की अमेरिकी मदद).
उधर मंगलवार को जेलेंस्की ने कहा कि “जब तक यूक्रेन युद्ध में रुस को नहीं हरा देता है तब तक ‘नाटो’ का सदस्य-देश नहीं बन सकता है.” जेलेंस्की का ये बयान नाटो (नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) चीफ जेन्स स्टोलटेनबर्ग की मौजूदगी में आया है जो इनदिनों राजधानी कीव के दौरे पर हैं.