पांचवी बार रशिया की कमान संभालने के साथ ही मंगलवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका की बादशाहत को चुनौती देते हुए ऐलान कर दिया कि दुनिया में एक ‘मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर’ स्थापित करने की कोशिश करेंगे. यूक्रेन युद्ध और उतार-चढ़ाव वाली जियोपोलिटिक्स के बीच पुतिन ने ये भी कहा कि पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध और बातचीत के रास्ते खुले हैं.
बुधवार को पुतिन ने राजधानी मॉस्को में क्रेमलिन (राष्ट्रपति का आवास और दफ्तर) में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की. इस दौरान करीब ढाई हजार गणमान्य व्यक्ति क्रेमलिन हॉल में मौजूद थे. अपने आवास से क्रेमलिन हॉल तक पहुंचने के लिए पुतिन ने एक लिमोजिन कार का इस्तेमाल किया जिसे बाइक सवार गार्ड्स एस्कॉर्ट कर रहे थे. मॉस्को में उस दौरान हल्की बूंदा-बांदी हो रही थी यानी मौसम खुशगवार था. पुतिन ने संविधान पर हाथ रखकर एक बार फिर रशियन फेडरेशन की कमान संभालने की शपथ ली.
71 वर्ष के पुतिन के लिए ये शपथ-ग्रहण इसलिए खास था क्योंकि जिस संविधान पर हाथ रखकर उन्होंने रुस के संचालन की कसम खाई है उसमें दो साल पहले यानी 2022 में संशोधित किया गया था. 2022 में यूक्रेन के चार क्षेत्रों को जनमत संग्रह के बाद रशियन फेडरेशन में शामिल जो किया गया था. आज, यूक्रेन का एक तिहाई हिस्सा यानी दोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरेजिया और खेरसोन रुस का हिस्सा बन चुके हैं.
हालांकि जनमत से पहले 24 फरवरी 2022 को पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण (‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’) कर अपने इरादे साफ कर दिए थे और इन चारों इलाकों पर कब्जा कर लिया था. यूक्रेन के खिलाफ ऑपरेशन (युद्ध) को दो साल पूरे हो चुके हैं लेकिन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.
अगले महीने स्विट्जरलैंड में शांति वार्ता का जरुर आयोजन किया जा रहा है जिसे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की का पूरा समर्थन प्राप्त है. लेकिन उससे पहले ही अमेरिका ने यूक्रेन को 61 बिलियन डॉलर की सैन्य मदद जारी कर साफ कर दिया है कि युद्ध इतनी जल्दी समाप्त नहीं होने जा रहा है. यूक्रेन को अमेरिका से इस मदद में खास एटीएसीएमएस मिसाइल मिल चुकी हैं जिसे जेलेंस्की की सेना क्रीमिया पर हमला करने के लिए इस्तेमाल कर रही है. फ्रांस और नाटो से मिली धमकी के बाद पुतिन ने शपथ-ग्रहण समारोह से पहले यूक्रेन सीमा के करीब ‘गैर-सामरिक परमाणु हथियार’ (टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन) के युद्धाभ्यास का ऐलान कर पश्चिमी देशों की हवा निकाल दी है. हालांकि, मंगलवार को ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के तेवर ढीले हो गए और कह दिया कि उनके देश का ‘रुस से कोई युद्ध नहीं चल रहा है’ (पुतिन की Nuclear एक्सरसाइज, NATO का निकला दम).
शपथ-ग्रहण समारोह के बाद देशवासियों को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि “ये पश्चिमी देशों को तय करना है कि वे रुस से बातचीत करना चाहते हैं या आक्रामक व्यवहार से हमारे देश के विकास में अवरोध पैदा करना चाहते हैं.” वर्ष 1999 से रुस की कमान संभाल रहे पुतिन ने कहा कि हम यूरेशियाई देशों के साथ मिलकर एक ‘मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर’ (बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था) के लिए कार्य करते रहेंगे.
दो दिन बाद मॉस्को के विश्व-प्रसिद्ध रेड स्क्वायर पर सालाना ‘विक्ट्री डे परेड’ का आयोजन किया जाएगा. द्वितीय विश्वयुद्ध में मिली विजय की याद में हर साल मॉस्को और रुस के दूसरे बड़े शहरों में विक्ट्री डे परेड का आयोजन किया जाता है. रेड स्क्वायर पर खुद पुतिन सशस्त्र सेना की परेड की सलामी लेते हैं. इस दौरान रुस के टैंक, तोप, मिसाइल और दूसरे सैन्य उपकरणों की परेड का आयोजन किया जाता है. लेकिन इस बार ये परेड बेहद खास होने जा रही है. क्योंकि यूक्रेन युद्ध में अमेरिका, जर्मनी और दूसरे देशों की सेनाओं के कब्जा किए टैंक, आर्मर्ड व्हीकल्स और मिलिट्री ट्रक सहित दूसरे सैन्य उपकरणों को ‘वॉर-ट्रॉफी’ की तरह प्रदर्शित किया जाएगा. रुस के इस ‘साइकोलॉजिकल ऑपरेशन’ से नाटो भी चिंतित है और ऐसा ना करने की गुहार लगाई है. साफ है कि यूक्रेन युद्ध के दो साल बाद पुतिन ने ना केवल ‘बूट्स ऑन ग्राउंड’ के जरिए अपनी जीत पक्की की है बल्कि ‘परसेप्शन’ की जंग में भी पश्चिमी देशों को पीछे छोड़ दिया है ( मॉस्को विक्ट्री डे परेड में अमेरिकी वॉर ट्रॉफी).
पांचवी बार (2000, 2004, 2012, 2018 और 2024) रुस की बागडोर पुतिन के लिए एक बड़ी चुनौती भी है. यूक्रेन युद्ध में बढ़त और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था बेहद मजबूत स्थिति में है लेकिन आतंकवाद और ग्रे-जोन वॉरफेयर जरुर आने वाले समय में रुस के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है. राजधानी मॉस्को के क्रॉकस कॉन्सर्ट हॉल में इस्लामिक आतंकियों का नरसंहार और यूक्रेन से सटे बेलगोरोड, कुर्स्क इत्यादि जैसे ओब्लास्ट (प्रांतों) में ड्रोन अटैक और मिसाइल हमलों से पुतिन को निपटना एक चैलेंज साबित होगा.
[नीरज राजपूत, रुस-यूक्रेन युद्ध पर लिखी पुस्तक, ऑपरेशन Z लाइव (प्रभात प्रकाशन) के लेखक भी हैं.]