जहां तक हमारा जमीन पर कब्जा होगा, वहीं तक हमारे देश की संप्रभुता होगी. ऐसे में बेहद जरूरी है कि देश की सीमाओं को बेहतर तरीके से सुरक्षित किया जाए. ये मानना है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवल का. साथ ही देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बेहद जरुरी है कि हमारे बॉर्डर सुरक्षित रहें.
शुक्रवार को नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) अजीत डोवल बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) द्वारा आयोजित ’21वें रुस्तमजी मेमोरियल लेक्चर’ को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान बीएसएफ और दूसरे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के महानिदेशकों के अलावा गृह सचिव अजय भल्ला और आईबी चीफ तपन डेका भी मौजूद थे.
एनएसए डोवल ने कहा कि “भारत इस वक्त बेहद तेजी से प्रगति कर रहा है. पिछले दस सालों में भारत ने आर्थिक विकास किया है तो राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूत किया है.” उन्होंने कहा कि अगले दस सालों में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा जहां सबसे बड़ा वर्क-फोर्स होगा. डोवल ने कहा कि भारत एक बड़ी ‘मिलिट्री पावर’ बन जाएगा, जहां मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी हथियार बनाए जाएंगे और आर्म्स एक्सपोर्ट भी किए जाएंगे. एनएसए के मुताबिक, हमारी जियो-पॉलिटिकल पोजिशनिंग, इकोनॉमी, मिलिट्री और टेक्नोलॉजी का नतीजा ये होगा कि भारत एक ‘कॉम्प्रिहेंसिव नेशनल पावर’ बन जाएगा.
एनएसए ने हालांकि, सोवियत संघ, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और अफ्रीका के देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि “इस पावर के चलते कई बड़े देश टूट भी चुके हैं.” क्योंकि इस ताकत से ‘रिटार्डेशन’ पैदा होने का खतरा रहता है. डोवल ने कहा कि अगर इन ‘रिटार्डर्स’ को मैनेज नहीं किया गया तो काफी खतरनाक हो सकता है. उन्होंने कहा कि इनमें से एक ‘रिटार्डर’ हमारे बॉर्डर हैं.
एनएसए ने कहा कि जब भी हम ‘स्ट्रेटेजिक प्लानिंग’ करते हैं तो हमारे विचार एक दम साफ होने चाहिए कि हम क्या चाहते हैं. डोवल ने कहा कि अगर हमारी सीमाएं दोनों तरफ यानी उत्तर (चीन) और पश्चिम (पाकिस्तान) से स्थिर होती तो हमारी आर्थिक प्रगति काफी तेज होती. उन्होंने साफ तौर से कहा कि हाल फिलहाल में “मुझे नहीं लगता कि हमारी सीमाएं वैसी होंगी जैसा हम चाहते हैं. ऐसे में बॉर्डर सिक्योरिटी को बाहर महीने और 24 घंटे अलर्ट पर रहना है. क्योंकि हमारे बॉर्डर ही हमारे देश की संप्रभुता की पहचान होते हैं.” जहां तक हमारा सैनिक पैट्रोलिंग करते हुए आखिरी पॉइंट तक जा सकता है, वहीं तक हमारे ‘देश की हद होती है’. यानी “जहां तक हमारा कब्जा है वहीं तक हमारा है, बाकी के लिए तो कोर्ट-कचहरी हैं.”
एनएसए का बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले चार सालों से भारत का चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद चल रहा है. कई विवादित जगह पर चीन से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर सैनिक पैट्रोलिंग नहीं कर पा रहे हैं. वर्ष 2021 में पाकिस्तान से लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) को लेकर युद्धविराम समझौता हो चुका है फिर भी बंटवारे के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चल रहा है. हाल के दिनों में पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) को भारत में शामिल करने को लेकर भी देश में आवाजें उठने लगी हैं.
एनएसए ने कहा कि बॉर्डर की सुरक्षा हमारी आंतरिक सुरक्षा से भी जुड़ी है. उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान से खराब संबंधों के चलते ही आतंकवाद, कट्टरवाद, ड्रग्स स्मगलिंग, हथियारों की तस्करी और मानव खरीद-फरोख्त जैसे अपराधों से लड़ना एक चुनौती बना हुआ है (सीमा पर Tactical इंटेलिजेंस बेहद जरुरी: डोवल).
डोवल ने कहा कि पिछले दस सालों में सरकार ने सीमाओं की सुरक्षा पर खासा ध्यान दिया है. खुद प्रधानमंत्री हर दीवाली पर बॉर्डर पर जाकर जवानों के साथ जश्न मनाते हैं. पीएम ने सभी बॉर्डर राज्यों के राज्यपालों को सीमावर्ती जिलों के दौरे करने का आदेश दे रखा है. साथ ही कैबिनेट मंत्रियों को भी समय-समय पर सीमाओं पर यात्रा करने का निर्देश दिया हुआ है. देश के सभी 12 हजार सीमावर्ती गांवों का सर्वे सरकार ने किया है ताकि उनको विकास की धारा में शामिल किया जाए.