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चीन और अग्निवीर योजना रहेगी राजनाथ की चुनौती

पांच साल तक सफलतापूर्वक रक्षा मंत्रालय का पदभार संभालने के बाद मोदी 3.0 में भी राजनाथ सिंह को एक बार फिर रायसीना हिल्स में जगह दी गई है. कैबिनेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर राजनाथ सिंह को फिर देश की रक्षा की जिम्मेदारी दी गई है. मोदी का विश्वास जीतने के बाद राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा मेरी प्राथमिकता रहेगी और भारत की ‘संप्रभुता और अखंडता’ की रक्षा करना जारी रखेंगे. 

पिछले पांच सालों में राजनाथ सिंह ने बतौर रक्षा मंत्री पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन से हुई झड़प के दौरान सेना को जवाबी कार्रवाई के लिए खुली छूट दी तो देश-विदेश में भारत का मजबूत पक्ष रखा. विपक्ष को जवाब देने के दौरान भी राजनाथ सिंह ने ही मोर्चा संभाले रखा. यहां तक की चुनावी अभियान के दौरान भी राजनाथ सिंह ने दावा किया कि चीन ने हमारी ‘एक इंच जमीन’ भी नहीं ली है. 

अपने कार्यकाल के दौरान राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने और मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई. खुद पीएम मोदी कई बार सार्वजनिक तौर से राजनाथ सिंह की तारीफ कर चुके हैं. वे कह चुके हैं कि राजनाथ सिंह बोलते कम हैं लेकिन उनका काम बोलता है. यही वजह है कि राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि “पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत हम ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूत करने और रक्षा विनिर्माण और निर्यात को अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए खुद को फिर से समर्पित करेंगे.”

चुनाव अभियान और उससे पहले भी राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) पर खुलकर अपने बयान दिए. उनके इस बयान से की पीओके के लोग खुद भारत में मिल जाएंगे, पाकिस्तान तक हिल गया था. क्योंकि, राजनाथ सिंह के बयान के कुछ दिन बाद ही पीओके के लोगों ने पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया और नौबत विद्रोह जैसी आ गई थी. 

गौरतलब है कि वर्ष 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा गया था तो राजनाथ सिंह ने ही नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रस्तुत किया था. क्योंकि उस वक्त राजनाथ सिंह बीजेपी के अध्यक्ष थे. मोदी के पहले कार्यकाल में राजनाथ सिंह को गृह मंत्रालय का अहम कार्यभार दिया गया था. 2019 में दूसरे कार्यकाल में फिर रक्षा मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी दी गई. इस दौरान राजनाथ सिंह ने ही फ्रांस से रफाल लड़ाकू विमान की डील को पटरी पर लाने में मदद की. 

73 वर्ष के राजनाथ सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के चंदौली में हुआ था और वे राजनीति में आने से पहले कॉलेज में फिजिक्स के लेक्चरर थे. इमरजेंसी के दौरान उन्हें जेल भेजा गया था. हाल ही में उन्होंने खुद कहा था कि मां के निधन के दौरान उस वक्त की कांग्रेस सरकार ने जमानत तक नहीं दी थी. ये कहकर राजनाथ सिंह की आंखों से आंसू तक छलक गए थे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (2000-02) रहने के बाद वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार (2003-04) में कृषि मंत्री का अहम पद संभाल चुके हैं. 

लेकिन रक्षा मंत्री के तौर पर राजनाथ सिंह के सामने अग्निपथ योजना एक बड़ी चुनौती आ सकती है. क्योंकि माना जा रहा है कि बीजेपी को चुनाव में बहुमत से कम सीट आने में अग्निवीर स्कीम एक बड़ा कारण है. चुनाव जीतने के बाद ही बीजेपी के गठबंधन सहयोगियों ने अग्निपथ योजना में तब्दील की मांग शुरु कर दी है. इसके अलावा एलएसी पर चीन से निपटना भी राजनाथ सिंह के लिए एक बड़ा चैलेंज होगा.  यही वजह है कि राजनाथ सिंह ने कहा कि “रक्षा मंत्री के तौर पर मैं मातृभूमि की सेवा करता रहूंगा.” (https://x.com/rajnathsingh/status/1800192870609269049)

मोदी 3.0 में रक्षा राज्य मंत्री झारखंड से बीजेपी सांसद संजय सेठ को बनाया गया है. केंद्र में मंत्री के तौर पर ये उनकी पहली पारी होगी. वर्ष 2019 में भी संजय सेठ झारखंड की राजधानी रांची से एमपी थे और संसद की स्थाई कमेटी (आईटी) के सदस्य थे. 

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