By Akansha Singhal
दुनियाभर में स्पेशल फोर्सेज के ऑपरेशन और सैनिकों की आवाजाही के लिए इस्तेमाल होने वाले मल्टी मिशन मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-130 ने एक बड़ी उड़ान भरी है. दुनिया की करीब 70 देशों की वायुसेनाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ‘सी-130’ एयरक्राफ्ट की 2700 वीं डिलीवरी हुई है. सी-130 बनाने वाली अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने खुद इस बात का दावा किया है.
लॉकहीड मार्टिन के मुताबिक, 2700वां सी-130 एयरक्राफ्ट, एक टैंकर है जिसे ‘केसी-130जे’ के नाम से जाना जाता है. इस टैंकर (एयरक्राफ्ट) को उत्तरी कैरोलिना में यूएस मरीन कोर द्वारा संचालित किया जाएगा. कंपनी का दावा है कि इस डिलीवरी से सी-130 बेड़े का आकार, पहुंच और शक्ति दुनिया भर में बढ़ी है.
सी-130 हरक्यूलिस की वैश्विक उपस्थिति
दुनिया भर के 70 देशों में अलग-अलग ऑपरेटर विभिन्न मिशन के लिए सी-130 एयरलिफ्टर उड़ाते हैं – कहीं भी, कभी भी. वर्तमान में सी-130, सी-130 जे ‘सुपर हरक्यूलिस’, केसी-13जे टैक्टिकल टैंकर पूरी दुनिया में इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
केसी-130जे सामरिक टैंकर के गुण
केसी-130जे सामरिक टैंकर, जो आज अधिकांश रोटरी विंग विमानों और लॉकहीड मार्टिन एफ-35 लाइटनिंग II लड़ाकू विमानों को ईंधन भरता है, विश्वव्यापी मानक है. केसी-130जे, वास्तविक सामरिक डिजाइन के कारण, कम ऊंचाई पर उड़ान भरने और धीमी गति पर उड़ान भरने की क्षमता है, जो हेलीकॉप्टरों को ईंधन भरने के लिए बेहतरीन है.
सी-130जे सुपर हरक्यूलिस
सुपर-हरक्यूलिस सामरिक एयरलिफ्ट मिशनों और मानवीय सहायता के लिए इस्तेमाल किया जाता है. 90 के दशक के आखिरी वर्षों से इस्तेमाल किए जा रहा सी-130जे चार इंजन वाला टर्बोप्रॉप एयरक्राफ्ट है. करीब 20 टन वजन उठाने वाले सी-130जे में करीब 90 सैनिक उड़ान भर सकते हैं (60 एयरबोर्न ट्रूप).
प्रमुख ओपरेटिंग देश
अमेरिका के अलावा भारत, यूनाइटेड किंगडम (यूके), ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जापान, जर्मनी, सऊदी अरब, और ब्राजील प्रमुख देश हैं जो सी-130 का इस्तेमाल करते हैं. ये देश सैन्य और मानवीय मिशनों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए सी-130 हरक्यूलिस की बहुमुखी प्रतिभा और विश्वसनीयता का लाभ उठाते हैं, जो सैन्य विमानन में एक कार्यशील विमान के रूप में इसके वैश्विक महत्व को उजागर करता है.
भारतीय वायुसेना के सुपर-हरक्यूलिस
भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल 12 सी-130जे सुपर-हरक्यूलिस विमान हैं, जिनका इस्तेमाल स्पेशल फोर्सेज के पैरा-ड्रॉप, सैन्य उपकरणों की आवाजाही और सैनिकों के मोबिलाइजेशन के लिए किया जाता है. सी-130 जे पूरी दुनिया में उस वक्त सुर्खियों में आए जब भारतीय वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में उतारकर कीर्तिमान रचा था. ये बेहद ही छोटी और कच्ची हवाई पट्टी थी. उस दौरान भारत का डीबीओ के करीब चीन से फेसऑफ हुआ था.
इसी साल जनवरी के महीने में भारतीय वायुसेना ने कारगिल हवाई पट्टी पर अपने सी-130 जे विमान की रात्रि लैंडिंग कर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया था. यह अभ्यास गरुड़ कमांडो के प्रशिक्षण का हिस्सा था और विभिन्न वातावरणों में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विकसित रणनीतियों के प्रति बल के समर्पण को दर्शाता था.
भविष्य की योजनाएं
लॉकहीड मार्टिन ने पेंटागन (अमेरिका रक्षा विभाग) के साथ नए बहु-वर्षीय खरीद सौदे को आगे बढ़ाने के अलावा, ऑस्ट्रेलिया को सी-130जे बेचने के लिए भी चर्चा की है. स्वीडन से भी संपर्क किया है, जो इस वर्ष के अंत में अपने पुराने सी-130 एच मॉडलों के बेड़े को बदलने का फैसला करने वाला है. न्यूजीलैंड और फिलीपींस ने नवीनतम सी-130जे खरीदने का अनुबंध किया है.