प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मॉस्को दौरे (8-9 जुलाई) से पहले पारंपरिक सैन्य साझेदार रूस ने भारत के साथ मिलकर एक घातक विस्फोटक (गोले) का निर्माण करने का ऐलान किया है. मेक इन इंडिया के तहत रूस ने भारत में ‘मैंगो’ राउंड का निर्माण शुरू करने का खुलासा किया है.
‘मैंगो’ राउंड के निर्माण का खुलासा रूस की बड़ी सरकारी सैन्य कंपनी रोस्टेक ने किया है. रोस्टेक की एक्सपोर्ट सहयोगी कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, भारत में मैंगो आर्मर-पियर्सिंग टैंक राउंड का निर्माण करेगी. ये मैंगो दुश्मन देश के टैंक को तबाह करने के लिए बनाया जा रहा है. क्योंकि ये टैंक की मजबूत आर्मर बॉडी को फाड़ने में सक्षम है. इन मैंगो शेल्स को टी-90 और टी-72 टैंक से दागे जा सकेंगे.
ये मैंगो ‘मीठा’ नहीं, घातक है!
जिस तरह से भारत और रूस ने मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल बनाई है, ठीक उसी तरह दोनों देश मिलकर संयुक्त रक्षा परियोजना के तहत मैंगो गोले बनाने वाले हैं. मैंगो बम को बेहद विध्वंसक माना जाता है.
रोस्टेक के अधिकारियों के मुताबिक, “टी-90 टैंक, कवच-भेदी उप-कैलिबर प्रोजेक्टाइल से लैस मैंगो गोले और दूसरे उन्नत हथियार प्रणालियों का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन शामिल है. 3 वीबीएम17 मैंगो गोले में 3बीएम42 फिन-स्टेबलाइज्ड आर्मर-पियर्सिंग सब-कैलिबर प्रोजेक्टाइल है, जो कम्पोजिट आर्मर से लैस आधुनिक टैंकों को प्रभावी ढंग से निशाना बनाता है.
आसान शब्दों में समझे तो ये दुश्मन के टैंक और आर्मर्ड व्हीकल्स को भेदने में सक्षम है और फिर बर्बाद कर देता है. दरअसल, टैंक की आउटर बॉडी बेहद मजबूत होती है और विस्फोटक का कोई असर नहीं होता है. ऐसे में मैंगो राउंड के आगे लगी पियर्सिंग प्रोजेक्टाइल आर्मर्ड बॉडी को फाड़कर टैंक के अंदर घुस जाता है और फिर राउंड ब्लास्ट हो जाता है.
भारत में बनाएंगे खतरनाक मैंगो: रोस्टेक
रोस्टेक के प्रमुख सर्गेई चेमेज़ोव के मुताबिक, “रोस्टेक के पास मित्र देशों के साथ अच्छी औद्योगिक साझेदारी में काफी अनुभव है. इस तरह की साझेदारी एक आयातक देश को अपना खुद का उत्पादन विकसित करने में सक्षम बनाती है, जो एक प्रमुख रक्षा समाधान आपूर्तिकर्ता के रूप में रोस्टेक के लिए एक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ है.
रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के महानिदेशक अलेक्जेंडर मिखेव भी भारत में कंपनी के मैंगो शेल बनाने को लेकर उत्सुक हैं. अलेक्जेंडर मिखेव ने कहा, “रूस-भारतीय सहयोग, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत एक नए मील के पत्थर पर पहुँच गया है. भारतीय रक्षा बुनियादी ढांचे के आधार पर रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने मैंगो टैंक राउंड्स के निर्माण के लिए आवश्यक उत्पादन सुविधाएं स्थापित की हैं. यह विकास भारत को प्रौद्योगिकी और उत्पादन की प्रक्रिया शुरू करने में सक्षम बनाता है. भारत में रोसोबोरोनएक्सपोर्ट का काम व्यापक औद्योगिक साझेदारी का एक शानदार उदाहरण है.”
यह पहली बार नहीं है, जब भारत और रूस ने भारत में सैन्य उपकरण बनाने के लिए हाथ मिलाया है. पिछले साल, दोनों देशों ने भारत में इग्ला-एस मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. दिल्ली और और मॉस्को एक दूसरे के सबसे अच्छे रक्षा सहयोगी है. दोनों देशों में रक्षा संबंधों का इतिहास बहुत पुराना है. इसी सहयोग के तहत भारत में हथियारों और गोला-बारूद का संयुक्त, लाइसेंस प्राप्त उत्पादन होता है.
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