प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा पर चीन ने बेहद ही चौंकाने वाला बयान दिया है. चीन के मुताबिक, पश्चिमी देश नहीं चाहते हैं कि भारत और रुस के करीब संबंध हो.
चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, ” भारत रूस के करीबी संबंध हमारे (चीन के) लिए खतरा नहीं हैं. चीन का कहना है कि भारत रूस और चीन में कलह कराना चाहते हैं पश्चिमी देश. पश्चिम देश नहीं चाहते कि भारत रूस के बीच अच्छे संबंध हों.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा को लेकर अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने अलग-्अलग बयान दिया है. अमेरिका ने कहा कि भारत और रूस की नजदीकियां चिंता करने वाली हैं. जबकि यूक्रेन को तो मोदी को रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गले लगाने से भी परेशानी है.
हालांकि, मंगलवार को जब मोदी और पुतिन के बीच वार्ता हुई तो रुस ने यूक्रेन विवाद का शांति-पूर्वक सुलझाने के भारत के प्रयासों की सराहना की. रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से यूक्रेन युद्ध का मुद्दा उठाया है. मॉस्को में मोदी ने पुतिन से अपनी वार्ता में कहा है कि “बम, बंदूक और युद्ध से हल नहीं निकलता.”
पीएम मोदी ने युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया के विकास के लिए शांति जरूर है. युद्ध, संघर्ष, आतंकवाद किसी भी रूप में मानवता के खिलाफ हैं.”
पूरी दुनिया की पीएम मोदी और पुतिन की जिस द्विपक्षीय वार्ता पर नजर थी. उस द्विपक्षीय वार्ता में युद्ध और आतंकवाद को लेकर खुलकर चर्चा की गई है. पीएम मोदी ने कहा ” युद्ध में बच्चों की जब मौत होती है, तो बेहद ही पीड़ा जनक होता है. संघर्ष और युद्ध से कोई भी समाधान नहीं निकल सकता है. शांति वार्ता जरूरी है.”
पीएम मोदी ने कहा कि “यूक्रेन के मुद्दे पर हमने खुलकर बात की है. विकास के लिए शांति जरूरी है. शांति के लिए भारत हर संभव कोशिश करेगा.”
खास बात है कि मोदी ने वर्ष 2022 में पुतिन से मुलाकात के दौरान कहा था कि ये युग युद्ध का नहीं है. मोदी के इस बेबाक बयान की दुनियाभर में तारीफ हुई थी. हालांकि, मंगलवार को खुद पुतिन ने कहा कि यूक्रेन मामले को सुलझाने के लिए मोदी प्रयासरत हैं.
मुलाकात के बाद पुतिन ने पीएम मोदी को रुस के सर्वोच्च ऑर्डर ऑफ द एंड्रयू अपोस्टल से सम्मानित किया.
मोदी और पुतिन, दोनों ने ही भारत और रुस के बीच स्पेशल प्रीवलेज स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की तारीफ की. मोदी ने पुतिन को अगले साल यानी 2025 में भारत आने का निमंत्रण दिया है. जबकि इसी साल शरद ऋतु में रुस के कजान में होने जा रही ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में मोदी एक बार फिर से रुस का दौरा कर सकते हैं.
सालाना इंडो रशियन समिट के दौरान भारत और रुस ने एक दूसरे की भाषा के इस्तेमाल को लेकर भी साझा बयान जारी किया. साथ ही मीडिया के क्षेत्र में भी साझेदारी की हिमायत की.
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