Alert Breaking News Geopolitics Russia-Ukraine War

पुतिन को अलग थलग नहीं होने देगा भारत: ग्लोबल मीडिया

पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई गर्मजोशी से हुई मुलाकातों और द्विपक्षीय चर्चा इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियां बन गई हैं. रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद पीएम मोदी पहली बार मॉस्को पहुंचे थे. जिसपर पूरी दुनिया खासकर पश्चिमी देशों की नजर टिकी हुई थी. 

अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत है रूस के साथ: वॉशिंगटन पोस्ट 

अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने पीएम मोदी के मॉस्को दौरे पर लिखा है कि “भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने के एक महीने के अंदर ही रूस का दौरा किया है. यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद ये यात्रा साफ संकेत देती है कि अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत, रूस के साथ अपने मजबूत संबंध बरकरार रखेगा. 

पीएम मोदी अपने रूस दौरे से व्लादिमीर पुतिन को दिखाना चाहते हैं कि भले ही अमेरिकी से स्ट्रैटेजिक संबंध हैं. पर भारत पश्चिमी देशों के पाले में ना जाकर रूस के साथ खड़ा है.” 

रूस में भारत के पूर्व राजदूत और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पंकज सरण के हवाले से वॉशिंगटन पोस्ट में लिखा गया है कि “कार्यकाल की शुरुआत में ही पीएम मोदी के रूस जाने का निर्णय एक संकेत है कि रूस के साथ भारत अपने संबंधों को पहले की तरह ही प्राथमिकता और अहमियत दे रहा है. जो कि पार्टी लाइन से ऊपर उठकर भारत की विदेश नीति का अभिन्न अंग है.” 

पंकज शरण ने वॉशिंगटन पोस्ट से कहा कि ” रूस और पश्चिमी के बीच बातचीत का एक जरिया है भारत. भारत सरकार अमेरिका  के साथ संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है. भारत अमेरिकी चिंताओं को दूर करने के लिए ये तर्क दे सकता है कि भारत रूस का परममित्र है, इसलिए पश्चिमी देशों और रूस के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है.”

पुतिन को अलग थलग करने की कोशिशें नाकाम: न्यूयॉर्क टाइम्स

अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मीटिंग को प्रमुखता दी है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि “पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा से पुतिन को अलग-थलग करने की कोशिश कमजोर हुई है. यह यात्रा भारतीय नेता के अपने स्वयं के कूटनीतिक मार्ग का अनुसरण करने के दृढ़ संकल्प को दर्शाती है. भले ही पश्चिम, मास्को को अलग-थलग करना जारी रखे हुए है, पीएम मोदी की रूस की यात्रा से यूक्रेन की नाराजगी बढ़ गई है. भले ही पश्चिमी देश रूस को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, पर जिस तरह से रूस, अन्य देशों से अपने संबंध बना रहा है इससे उसकी अर्थव्यवस्था और मजबूत ही हुई है.”

न्यू यॉर्क टाइम्स ने आगे लिखा कि भारत ने रूस से भारी मात्रा में सस्ता तेल खरीदा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रहे रूस की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है. पीएम मोदी का रूस दौरा दिखा रहा है कि कि अमेरिका से भारत के मजबूत होते रिश्तों के बावजूद रूस और भारत के बीच गहरा रिश्ता बरकरार है.

युद्ध पर मोदी की सलाह का पुतिन पर असर नहीं पड़ेगा: द गार्जियन

ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने भी पीएम मोदी की रूस यात्रा की चर्चा की है.द गार्जियन ने लिखा- “यूक्रेन संकट के बावजूद मोदी और पुतिन ने अपनी दोस्ती के रिश्ते को और मजबूत किया है. पीएम मोदी ने जिस तरह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सलाह दी कि युद्ध के मैदान से शांति का रास्ता नहीं निकलता है, ऐसा लगता नहीं कि पुतिन पर मोदी के इन शब्दों का कोई असर होगा.”

पुतिन-मोदी की मुलाकात ने चीन से करीबी बढ़ाई: फाइनेंशियल टाइम्स

फाइनेंशियल टाइम्स ने पीएम मोदी के रूस दौरे को चीन से जोड़ा है. फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा, “रुस के साथ संबंध नई दिल्ली के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गए हैं, क्योंकि रुस को अलग-थलग करने के उद्देश्य से पश्चिमी प्रतिबंधों ने मास्को को चीन के करीब ला दिया है.” 

रूस-चीन करीबी संबंधों को ध्यान में रखते हुए मोदी मॉस्को पहुंचे: वीओआई

अमेरिकी ब्राडकास्टर वीओए ने पीएम मोदी के रूस दौरे को लेकर शीर्षक दिया है: “रूस-चीन करीबी संबंधों को ध्यान में रखते हुए मोदी मॉस्को पंहुचे.” वीओआई में कहा गया कि “भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे वक्त में रिश्ते मजबूत करने के लिए दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को रूस पहुंचे हैं जब रूस भारत के धुर विरोधी चीन से अपने संबंध मजबूत कर रहा है.” कुछ एक्सपर्ट ने पीएम मोदी के रूस दौरे की टाइमिंग पर जोर दिया, जो नाटो शिखर सम्मेलन से समय पर ही हुआ है, मंगलवार से अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में नाटो शिखर सम्मेलन शुरु हुआ है, जिसका मुख्य केन्द्र रूस-यूक्रेन युद्ध है.

पश्चिमी देश नहीं चाहते रूस-भारत के अच्छे संबंध:  ग्लोबल टाइम्स
चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भी पीएम मोदी के रूस दौरे को लेकर पश्चिमी देशों पर कड़ी टिप्पणी की है, ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया “भारत रूस के करीबी संबंध चीन के लिए खतरा नहीं हैं. भारत रूस और चीन में कलह कराना चाहते हैं पश्चिमी देश. पश्चिम देश नहीं चाहते कि भारत रूस के बीच अच्छे संबंध हों.”

ReplyForwardAdd reaction

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *