अमेरिका की धमकियों को दरकिनार करते हुए भारत ने यूएन में एक बार फिर रुस के खिलाफ वोट न करने का फैसला किया. शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में रूस को यूक्रेन पर हमला रोकने को लेकर प्रस्ताव लाया गया था. इस प्रस्ताव पर भारत सहित कुल 60 देशों अनुपस्थित रहे.
यूएन में जेपोरेजिया न्युक्लियर प्लांट की सुरक्षा के मद्देनजक रुसी सैनिकों के हटने और यूक्रेन पर तुरंत हमला रोकने को लेकर प्रस्ताव लाया गया था. वोटिंग के दौरान 90 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया जबकि रूस सहित पांच देशों ने विरोध में मतदान किया. रूस के अलावा बेलारुस, क्यूबा, नॉर्थ कोरिया और सीरिया ने भी विरोध में वोट किया.
हाल ही में मॉस्को की सफल यात्रा से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका सहित पश्चिम देशों की आंखों की किरकरी बन गए हैं. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने चेतावनी के लहजे में कह दिया है कि यूएस से संबंधों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. बावजूद इसके भारत ने यूएन में एक बार फिर रुस के विरोध में वोट डालने से साफ इंकार कर दिया (युद्ध में काम नहीं आएगी Strategic Autonomy: US राजदूत).
हालांकि, ये पहली बार नहीं है कि भारत ने रुस के खिलाफ वोट डालने से मना किया है. पहले भी संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन युद्ध पर आए प्रस्ताव पर भारत ने रुस के पक्ष-विपक्ष में वोट डालने के बजाए अनुपस्थित रहना मुनासिब समझा है. भारत के अलावा, बांग्लादेश, भूटान, चीन, नेपाल और श्रीलंका सहित कुल 60 देश अनुपस्थित रहे.
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