उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में संदिग्ध रेडियोएक्टिव बॉक्स मिलने से हड़कंप मच गया है. रेडियो एक्टिव डिवाइस का कनेक्शन यूपी से लेकर एमपी और दिल्ली से लेकरउत्तराखंड से मिला है. रेडियोएक्टिव डिवाइस बेहद ही संवेदनशील है जिसका इस्तेमाल न्यूक्लियर या मेडिकल में किया जाता है.
उस न्यूक्लियर डिवाइस को आखिर देहरादून के पॉश इलाके के एक फ्लैट में क्यों रखा गया था ? न्यूक्लियर डिवाइस की इस्तेमाल कहां और कैसे किया जाना था ? इतने संवेदनशील पदार्थ को किसे सप्लाई किया जाना था. और न्यूक्लियर डिवाइस गिरफ्तार किए गए लोगों तक कैसे पहुंचा.
ये ऐसे सवाल हैं, जिनको पता लगाने के लिए जांच एजेंसियां जुट गई हैं. बहरहाल रेडियोएक्टिव डिवाइस को भाभा अनुसंधान सेंटर जांच के लिए भेज दिया गया है.
वीआईपी इलाके से मिला रेडियोएक्टिव डिवाइस और केमिकल
राजधानी देहरादून में पूर्व आयकर आयुक्त के फ्लैट को किराए पर दिया गया था. एक गुप्त सूचना के बाद पुलिस ने रेड की. पुलिस के हाथ पांव उस वक्त फूल गए जब पुलिस को आशंका हुई कि उस फ्लैट में बेहद ही संवेदनशील रेडियोएक्टिव डिवाइस की खरीद फरोख्त की जा रही थी.
पुलिस को फ्लैट में एक बॉक्स मिला जिसपर लिखा था रेडियोग्राफ कैमरा निर्मित बोर्ड ऑफ रेडिएशन एंड आइसोटोप टेक्नोलॉजी, भारत सरकार, परमाणु ऊर्जा विभाग बीएआरसी/बीआरआईटी वाशी कॉम्प्लेक्स सेक्टर 20, वाशी नवी मुंबई लिखा हुआ था. मौके पर पकड़े गए पांच (05) आरोपियों ने पुलिस को बताया की बॉक्स में रेडियोएक्टिव पदार्थ है. बॉक्स खोलने से रेडिएशन का खतरा होगा. लिहाजा संवेदनशीलता देखते हुए पुलिस ने बॉक्स को फ्लैट के कमरे में ही बंद कर दिया और जांच के लिए एसडीआरएफ को बुलाया.
शुरुआत में पुलिस ने उपकरण की जांच एसडीआरएफ से करवाई. इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए नरौरा एटॉमिक पावर स्टेशन की रेडिएशन रिस्पांस टीम को डिवाइस की जांच दी गई. हालांकि नरौरा एटॉमिक पावर ने रेडियोएक्टिव पदार्थ नहीं होने की पुष्टि की है. पर कुछ पदार्थ ऐसे पाए गए हैं, जो रेडियोएक्टिव पदार्थ से मिलते जुलते हैं. डिवाइस को भाभा एटॉमिक सेंटर भेजा गया है.
पकड़े गए आरोपी कौन हैं, पूछताछ में क्या खुलासा किया?
पुलिस ने डिवाइस के साथ सहारनपुर के तबरेज आलम, आगरा के सुमित पाठक, दिल्ली के सरवर हुसैन, भोपाल के जैद अली और अभिषेक जैन को गिरफ्तार किया है. जांच में पुलिस को तबरेज आलम ने बताया है कि तकरीबन 11 महीने पहले उसने एक जानने वाले रशीद उर्फ समीर से डिवाइस खरीदी थी. डिवाइस को गुरुग्राम में सप्लाई किया जाना था.
करोड़ों में होनी थी डील, क्या है दुबई से कनेक्शन?
पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की है. बताया जा रहा है कि गिरफ्तार हुए लोगों को दुबई से ये डिवाइस मिली है. पर डिवाइस दुबई से कैसे लाई गई और आरोपियों तक कैसे पहुंचे. जांच की जा रही है. पुलिस के मुताबिक रेडियोएक्टिव डिवाइस की डील करोड़ों में की जानी थी. पुलिस पांचों आरोपियों के अलावा कुछ और लोगों की तलाश भी कर रही है. सहारनपुर और नोएडा में भी पुलिस ने कई जगहों पर छापा मारा है. पर पुलिस इस एंगल की जांच कर रही है कि आखिर इस रेडियोएक्टिव डिवाइस का क्या इस्तेमाल किया जाना था
सिर्फ ठगी थी या था कोई बड़ा मिशन?
इस घटना से भारच की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनेलिलिस (आर एंड डब्लू) यानी रॉ के पूर्व अधिकारी आर के यादव की किताब ‘न्यूक्लियर बॉम्ब इन गंगा’ का जिक्र करना जरूरी है. साल 1962 के चीन के साथ युद्ध के बाद भारत की मदद से, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने हिमालय के चीन की परमाणु गतिविधियों पर नजर रखने के लिएनंदा देवी पर्वत पर एक परमाणु उपकरण स्थापित किया था.
पूर्व रॉ अधिकारी ने किताब में लिखा है कि मिशन के दौरान खराब मौसम के कारण अभियान में शामिल टीम को नंदा देवी पर्वत के स्थापना बिंदु से लगभग 2000 फीट नीचे एक चट्टान में परमाणु-संचालित उपकरण को छिपाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. अक्टूबर 1966 में जब भारतीय पर्वतारोहियों की टीम को उपकरण वापस लाने के लिए भेजा गया तो एवलांच के कारण उपकरण, ग्लेशियर से गायब पाया गया. सीआईए और भारतीय खुफिया एजेंसियों ने लापता उपकरण के बारे में चुप्पी बनाए रखी पर साल 1978 में न्यूक्लियर उपकरण के बारे में खुलासा हुआ.
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