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लॉकहीड मार्टिन ने तैयार की हाइपरसोनिक मिसाइल, Mako से लैस होंगे अमेरिका के सभी फाइटर जेट

चीन और रूस की अमेरिका के अलास्का में हुई घुसपैठ के बाद अमेरिका अपनी सुरक्षा-चक्र को मजबूत करने में जुट गया है. अमेरिका ने अपने सभी फाइटर एयरक्राफ्ट में नई हाइपरसोनिक मिसाइल लगाने का फैसला किया है. इस मिसाइल का नाम है ‘मेको’. 

अमेरिका ने राष्ट्रपति चुनाव से पहले ऐसा फैसला लिया है, जिसकी रूस और चीन समेत कई देशों में चर्चा शुरु हो गई है. इस मिसाइल से वार जोन में अमेरिका की सुरक्षा बेजोड़ हो जाएगी. ये ऐसी मिसाइल है कि जिसे रूस, चीन, ईरान, उत्तर कोरिया का एयर सिस्टम तक रोक नहीं पाएगा.

अमेरिकी फौज अब अपने सभी फाइटर जेट्स और बॉम्बर एयरक्राफ्ट्स में हाइपरसोनिक मिसाइल मेको लगाने जा रही है. मेको मिसाइल एक मल्टी मिशन वेपन है. मिसाइल समंदर में, हवा, एयर डिफेंस सिस्टम पर, किसी भी तरह के सतह पर हमला करने में सक्षम है. अमेरिकी लड़ाकू विमान चाहे एफ-15 हो एफ 16 हो, एफ 18, एफ 22, एफ 35 हो सबमें घातक मिसाइल मेको लगेगी. इसके अलावा अमेरिकी के सभी बमवर्षक में भी ये मिसाइल लगेगी. अमेरिका ने इसे लगभग अपने सभी फाइटर जेट्स, बमवर्षक और निगरानी विमानों में लगाकर टेस्ट कर लिया है.

अमेरिकी की बड़ी वेपन और एविएशन कंपनी, लॉकहीड मार्टिन ने इसी हफ्ते ही इस मेको मिसाइल को दुनिया के सामने पेश किया है. समंदर में सबसे तेजी चलने तैरने वाली शार्क मछली के नाम पर लॉकहीड मार्टिन ने हाइपरसोनिक मिसाइल को मेको नाम दिया है. 

यूएस नेवी, नेवी सील कमांडो और यूएस एयरफोर्स अपने हर मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स में नई हाइपरसोनिक मिसाइल मेको लगाने जा रहा है. मेको मिसाइल किसी भी तरह के मिशन में और कहीं से भी इस्तेमाल की जा सकती है. मिसाइल समंदर में, हवा, एयर डिफेंस सिस्टम पर, किसी भी तरह की सतह पर हमला करने में सक्षम है. ये अत्याधुनिक खतरनाक मिसाइल अमेरिका के चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट से लेकर पांचवीं पीढ़ी और छठी पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर एयरक्राफ्ट्स में लगाई जा सकती है. इस मिसाइल को हवा से लॉन्च किया जाता है. यानी किसी भी एयरक्राफ्ट से दागी जा सकती है. 

टॉमहॉक मिसाइल की तरह ही मेको हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिकी सेना, वायुसेना और नौसेना की ताकत में कई गुना बढ़ोतरी कर सकता है. हालांकि इसकी कीमत का अबतक खुलासा नहीं किया गया है.

अमेरिकी के प्रतिद्वंदी रुस के पास पिछले कुछ सालोें से ‘किंजल’ (या किंझल और केएच-47एम2) हाइपरसोनिक मिसाइल है. रुस ने मिग-31 एयरक्राफ्ट के जरिए इस किंजल मिसाइल को यूक्रेन के खिलाफ जंग में इस्तेमाल किया है. यही वजह है कि अमेरिका भी हाइपरसोनिक मिसाइल के लिए छटपटा रहा था. लेकिन अब लॉकहीड मार्टिन ने अमेरिका की तलाश पूरी कर दी है.

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