रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना की बख्तरबंद गाड़ियों के लिए स्वदेशी ‘नाविक’ नेविगेशन सिस्टम का ऑर्डर दिया है. ये पहली बार है कि जीपीएस के साथ-साथ स्वेदशी नेविगेशन प्रणाली से युक्त आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल्स (एएफवी) का सेना इस्तेमाल करेगी. अभी तक सेना की गाड़ियां विदेशी जीपीएस से ही लैस होती थी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल यानी ‘डीएसी’) ने उन्नत भूमि नेविगेशन प्रणाली (एएलएनएस) ‘नाविक’ को खरीदने की मंजूरी (एओएन) दी है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एएलएनएस एमके-II ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (ग्लोनास) के अलावा नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (एनएवीआईसी यानी ‘नाविक’) के साथ संगत है.
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने दो साल पहले ‘नाविक’ सिस्टम को तैयार किया था. नाविक को पहले इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस, नाविक) के नाम से जाना जाता था. नाविक, पूरे भारत के साथ ही आसपास के डेढ़ हजार किलोमीटर तक के क्षेत्र को कवर कर सकता है. आने वाले समय में इसकी रेंज तीन हजार किलोमीटर तक हो सकती है. पिछले साल इसरो ने सशस्त्र सेनाओं के लिए नाविक को लॉन्च किया था.
भारत अब अमेरिका (‘जीपीएस’), रूस (‘ग्लोनेस’) और चीन (‘बाइदू’) के साथ उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है जिन्होनें सैटेलाइट की मदद से खुद का नेविगेशन सिस्टम तैयार कर लिया है.
दरअसल, कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारतीय सेना को जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. जीपीएस पर रोक से दुश्मन के ठिकानों को ठीक-ठीक निशाना लगाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. यही वजह है कि भारत ने खुद का स्वदेशी जीपीएस बनाने की ठानी और इसरो ने उसपर काम करना शुरु किया. दो साल पहले इसरो ने नाविक प्रणाली को तैयार किया.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एएलएनएस नाविक एन्क्रिप्शन के उच्च स्तर के साथ सिस्टम स्पूफ-प्रूफ है. एएलएनएस एमके-II रक्षा श्रृंखला मैप के साथ संगतता प्रदान करता है जिसके परिणामस्वरूप एएफवी के लिए नौवहन अनुप्रयोगों में बहुत अधिक सटीकता होती है. इस उपकरण की खरीद भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल), चेन्नई से की जाएगी. इस खरीद को भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन विकसित और मैन्यूफैक्चर (आईडीडीएम) श्रेणी के अंतर्गत किया जाएगा.
नाविक के अलावा डीएसी ने इंडियन कोस्ट गार्ड (भारतीय तटरक्षक बल) की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 22 नवीनतम अत्याधुनिक प्रणाली-2 इंटरसेप्टर नौकाओं की खरीद के लिए एओएन प्रदान किया. इन नौकाओं का उपयोग तटीय निगरानी और गश्त तथा खोज और बचाव कार्यों के लिए किया जाएगा, जिसमें मेडिकल इवेक्युएशन भी शामिल है.