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हथियार प्रदर्शनी या ईरान की कमजोरी की नुमाइश

हमास चीफ इस्माइल हानिया (हनियेह) की हत्या के बाद इजरायल से चल रही तनातनी के बीच ईरान ने अपनी नई मिसाइल और ड्रोन की प्रदर्शनी लगाई है. लेकिन ताकत की नुमाइश से ईरान की कमजोरी भी उजागर हो गई है. ये कमजोरी है पिछले चार सालों में ईरान के राष्ट्रपति और मिलिट्री कमांडर्स की एक-एककर मौत.

ईरान ने अपनी जिन नई मिसाइलों की प्रदर्शनी की है उसमें इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) की नेवी विंग की क्रूज मिसाइल शामिल है. आईआरजीसी के मुताबिक, इस नेवल क्रूज मिसाइल के वारहेड में ज्यादा बारूद तो आता ही है इसे डिटेक्ट करना भी मुश्किल है.

इसके साथ ही ईरान ने फतह-360 बैलिस्टिक मिसाइल को भी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है. करीब 120 किलोमीटर की रेंज वाली ये मिसाइल 150 किलो तक का वारहेड ले जा सकती है. माना जा रहा है कि इस फतह मिसाइल को ईरान अपने मित्र-देश रूस को भी सप्लाई करने जा रहा है.

रूस के आयुध-भंडार में पहले से ही बड़ी संख्या में बैलिस्टिक मिसाइल हैं. लेकिन पिछले ढाई साल से चल रहे यूक्रेन युद्ध में रूस का आयुध-भंडार खाली होता जा रहा है. यही वजह है कि रूस अब ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों से बम, मिसाइल और ड्रोन खरीद रहा है. हाल ही में रूस के पूर्व रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने ईरान की राजधानी तेहरान की यात्रा की थी. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के चौथे कार्यकाल में शोइगु को रक्षा मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी से हटाकर हथियारों के उत्पादन की जिम्मेदारी दी गई है.

जानकारी के मुताबिक, ईरान ने 200 से ज्यादा मिसाइल और दूसरे सैन्य उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई थी हालांकि, नए हथियारों की संख्या 2000 से ज्यादा है. बाकी को सामरिक कारणों से ईरान ने नहीं दिखाया है.

ईरान की हथियारों की प्रदर्शनी में उन राजनीतिक नेताओं और सैन्य कमांडरों की तस्वीरें भी लगाई गई थी जिनकी हाल के सालों में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई या अमेरिका और इजरायल के हमलों में मारे गए हैं. तस्वीर देखकर ऐसा लगता है कि ये संख्या अनगिनत है.

इन तस्वीरों में सबसे आगे थी ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की जिनकी इसी साल मई के महीने में अजरबैजान से सटी इलाकों में एक हेलीकॉप्टर क्रैश में संदिग्ध मौत हो गई थी. हालांकि, दुर्घटना का कारण खराब मौसम बताया गया था लेकिन फिर भी जिन परिस्थितियों में मौत हुई वो संदेहास्पद थी. क्रैश में रईसी के साथ ईरान के विदेश मंत्री सहित कुल नौ लोगों की मौत हुई थी.

दूसरी तस्वीर है हमास चीफ इस्माइल हानिया की जिसकी 31 जुलाई को राजधानी तेहरान में आईआरजीसी के सेफ हाउस में हत्या कर दी गई थी. हत्या के दस दिन बाद भी ये साफ नहीं है कि हानिया की हत्या बिल्डिंग में पहले से लगे एक आईईडी (बम) के जरिए की गई या फिर किसी शॉर्ट रेंज एटीजीएम मिसाइल से.

तीसरी तस्वीर है आईआरजीसी के कमांडर कासिम सुलेमानी की जिसकी वर्ष 2020 में ईराक की राजधानी बगदाद में एक ड्रोन अटैक में मौत हो गई थी. ईरान ने इस अटैक के लिए अमेरिका और इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था.

हाल के सालों में इजरायल ने एक-एककर ईरान के टॉप मिलिट्री कमांडर्स को मौत के घाट उतारा है. इनमें अप्रैल के महीने में सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हुए ड्रोन अटैक में अल-कुद्स फोर्स के कमांडर मोहम्मद रजा जहैदी शामिल है. 31 जुलाई को ही लेबनान की राजधानी बेरुत में एक हवाई हमले में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर की हत्या के साथ ही ईरान के राष्ट्रपति के मिलिट्री एडवाइजर की भी हत्या कर दी गई थी.

इजरायल के हवाई (ड्रोन) हमलों का ईरान में किस कदर खौफ है, उसका अंदाजा हानिया के जनाजे के वक्त देखने को मिली. हानिया के जनाजे में शामिल हुए ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई कलमा पढ़ने के साथ ही लगातार आसमान में नजरें टिकाए हुए थे. क्योंकि इसी साल जनवरी में ही सुलेमानी की मौत की चौथी बरसी पर उसकी कब्र पर इकठ्ठा हुए लोगों के बीच दो बड़े बम धमाके हुए थे जिनमें 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे.

साफ है कि ईरान की राजधानी तेहरान तक इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के कोवर्ट ऑपरेशन से बच नहीं पाई है. हालांकि, इजरायल ने इन हत्याओं के लिए कभी कोई जिम्मेदारी नहीं ली है. ईरान ने जरुर हानिया की हत्या के मामले में बड़ी संख्या में आईआरजीसी और सेफ हाउस की ड्यूटी में तैनात अपनी ही नागरिकों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है.