बांग्लादेश में तख्तापलट होते ही अंतरिम सरकार ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. खबर है कि खुद अंतरिम सरकार के आंतरिक मामलों के मंत्री ब्रिगेडियर जनरल (रिटायर्ड) सखावत हुसैन ने सीमा से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए बीएसएफ से फ्लैग मीटिंग बंद करने का आदेश दिया है.
सखावत ने बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) को सख्त निर्देश दिया है कि सीमा विवाद के दौरान किसी भी कीमत पर ‘रिट्रीट’ नहीं करना है.
बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक, नए आंतरिक मंत्री ने बीजीबी को निर्देश दिया है कि बॉर्डर पर अगर कोई विवाद होता है तो पीठ दिखाकर नहीं भागना है. ना ही बीएसएफ के साथ विवाद को सुलझाने के लिए कोई फ्लैग-मीटिंग करनी है. साफ है कि नया बांग्लादेश अब पाकिस्तान की राह पकड़ रहा है जहां कट्टरपंथी ही सेना और सरकार पर हावी रहते हैं. यानी भारत के खिलाफ बॉर्डर पर आक्रामक व्यवहार.
चार हजार से भी ज्यादा लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा बीएसएफ और बीजीबी करते हैं. बीएसएफ, अगर भारतीय सीमा की चौकसी करती है तो बीजीबी, बांग्लादेशी सीमा की. सीमा पर कुछ नदी-नालों को छोड़ दे तो पूरी पर तारबंदी चानी फैंसिंग है. बावजूद इसके, भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर क्रॉस बॉर्डर क्राइम धड़ल्ले से जारी हैं. गोल्ड, गाय और ड्रग्स की स्मगलिंग से लेकर मानव-तस्करी तक भारत और बांग्लादेश के बॉर्डर पर जारी है. इन बॉर्डर क्राइम को लेकर कभी कभी दोनों देशों के सीमा सुरक्षाबलों में तनातनी बढ़ जाती है, जिसे सुलझाने के लिए बीएसएफ और बीजीबी फ्लैग मीटिंग करते हैं.
पिछले एक दशक से यानी वर्ष 2013 से बीजीबी और बीएसएफ के जवान साउथ बंगाल फ्रंटियर (24 परगना जिला) के अंतर्गत आने वाली पेट्रापोल इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) पर रोज शाम को बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में हिस्सा लेते हैं. इस दौरान दोनों देश की सीमा सुरक्षाबल के जवान मार्च-पास्ट करते हैं और फिर अपना-अपना राष्ट्रीय ध्वज उतारते हैं. इस दौरान दोनों देश के नागरिक भी इस समारोह को देखने के लिए जुटते हैं.
इस तरह के समारोह जरिए दोनों देशों के सीमा सुरक्षाबल अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के साथ ही आपसी सहयोग को भी बढ़ावा देते हैं. यही वजह है कि पिछले एक दशक में इंटरनेशनल बाउंड्री (आईबी) पर काफी हद तक शांति थी. लेकिन शेख हसीना के तख्तापलट होते ही बांग्लादेश ने भारत के प्रति अपनी नीति को बदलना शुरू कर दिया है.
5 अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंसा और अराजकता के बाद अपना पद छोड़ दिया था और भारत में शरण ले ली थी. उसके बाद बांग्लादेश सेना के आदेश पर एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. इस सरकार में सेना के चार सीनियर रिटायर मिलिट्री ऑफिसर हैं. आंतरिक मामलों के मंत्रालय (गृह मंत्रालय) की जिम्मेदारी हौसेन को दी गई है जो बांग्लादेशी सेना में ब्रिगेडियर के पद से रिटायर हुए हैं. रिटायर्ड फौजियों के अलावा इस सरकार में अधिकतर मंत्री शेख हसीना के विरोधी रहे हैं.