प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कीव दौरे के दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से साफ तौर से कहा कि शांति वार्ता में रूस को जरूर शामिल करें. क्योंकि बिना रूस के कोई भी शांति को लेकर बुलाई गई बैठक सफल नहीं हो सकती है.
पीएम मोदी और जेलेंस्की की बैठक के बाद भारत और यूक्रेन ने साझा बयान जारी किया. साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुए बातचीत का ब्यौरा देते हुए बताया कि पीएम मोदी ने जेलेंस्की की जल्द से जल्द युद्ध समाप्त कर शांति स्थापित की जाए. इसके लिए भारत शांति वार्ता तक कराने में मदद कराने के लिए तैयार है.
जयशंकर ने बताया कि मोदी और जेलेंस्की के बीच बातचीत का मुख्य मुद्दा रूस-यूक्रेन जंग ही थी. पीएम मोदी ने जेलेंस्की को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जुलाई के महीने में हुई मुलाकात के बारे में जानकारी दी और कहा कि ग्लोबल पीस समिट को आगे बढ़ाना चाहिए.
14-15 जून को यूक्रेन में शांति बहाली के लिए स्विट्जरलैंड में एक शिखर-सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें भारत सहित करीब 100 देशों ने हिस्सा लिया था. लेकिन रूस को इस आयोजन का हिस्सा नहीं बनाया गया. ऐसे में शांति-वार्ता फेल हो गई थी. यही वजह है कि भारत ने साफ कहा है कि इस तरह के किसी भी शांति-वार्ता में रूस को शामिल करना बेहद जरूरी है.
खुद जेलेंस्की भी पहले कह चुके हैं कि अगले शिखर-वार्ता ग्लोबल साउथ के किसी देश में आयोजित की जाएगी ताकि रूस भी हिस्सा ले सके. ऐसे में माना जा सकता है कि अगली वार्ता भारत में हो सकती है. हालांकि, इसके बारे में खुलकर नहीं बोला गया है.
विदेश मंत्री ने साफ किया कि ये पहली बार नहीं है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की पहल कर रहा है. इससे पहले युद्ध के शुरुआत में (फरवरी-मार्च 2022) में भी जब तुर्की ने शांति की पहल की तो भारत ने इसका समर्थन किया था. सितंबर 2022 में जब जपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट पर संकट मंडराया था तो भारत ने ही पुतिन के साथ-साथ इंटरनेशनल एजेंसियों के साथ चर्चा की थी. सार्वजनिक मंचों पर भी भारत कई बार कह चुका है कि युद्ध से किसी विवाद का समाधान नहीं निकल सकता है. समाधान का रास्ता बातचीत और कूटनीति से ही निकल सकता है.