प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कीव यात्रा के बाद रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की सुगबुगाहट सुनाई तो दे रही है लेकिन मॉस्को बेहद चौकान्ना है. रूस ने एक बार फिर दोहराया है कि अगर यूक्रेन, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शांति प्रस्ताव को मानने के लिए तैयार है तो बातचीत की जा सकती है. हालांकि, रूस ने ये भी साफ कर दिया है कि यूक्रेन की कथनी और करनी में बहुत फर्क है.
रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने एक बार फिर कहा है, “रूस हमेशा से यूक्रेन संघर्ष (युद्ध) को जल्द से जल्द खत्म करना चाहता है और बातचीत शुरू करने का पक्षधर है.” इस सवाल पर कि क्या यूक्रेन पर रूस के शांति प्रस्ताव अब भी लागू है? यदि मिन्स्क द्वारा पहल की जाती है तो रूस यूक्रेन बातचीत के प्रस्ताव को कैसे देखें. इस पर ज़खारोवा ने कहा कि “हमने कई मौकों पर राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से वर्तमान स्थिति का समाधान खोजने का सुझाव दिया है.”
क्रेमलिन ने क्या रखी हैं कीव के सामने शर्त?
जून में जब यूक्रेन की तरफ से शांति वार्ता का आयोजन किया गया था, उसमें रूस भले ही शामिल नहीं हुआ था. लेकिन रूसी राष्ट्रपति राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शांति पहल के साथ आगे आए थे. रूस ने अपनी पहल में कहा था कि “युद्ध विराम हो सकता है, बशर्ते कीव नाटो की सदस्यता लेने से इनकार करे, रूस के विरुद्ध सभी पश्चिमी प्रतिबंधों को रद्द कराया जाए, नए रूसी क्षेत्रों, दोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक, लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक, ज़ापोरिज्जिया और खेरसॉन क्षेत्रों से यूक्रेनी सशस्त्र इकाइयों की वापसी हो और यूक्रेन के रूसी भाषा बोलने वाले नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए.”
यूक्रेन के कथनी और करनी में फर्क: ज़खारोवा
ज़खारोवा ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं कि रूस के राष्ट्रपति भी शांति चाहते हैं, पर हाल में हुए घटनाओं (कुर्स्क हमले) से पता चला है कि यूक्रेन शांति वार्ता से बहुत अलग है. अगस्त में जेलेंस्की शासन ने रूस कुर्स्क क्षेत्र पर एक विश्वासघाती आतंकवादी हमला किया, ये हमला यह व्लादिमीर पुतिन की शांति पहल से अलग है. कीव के ऐसे कदम रूस के साथ काल्पनिक वार्ता की तरह है.”
जखारोवा ने कहा कि नागरिक बुनियादी ढांचे के खिलाफ और जब परमाणु ऊर्जा सुविधाओं के लिए खतरा पैदा किया जा रहा है. ऐसे में कीव के आतंकवादी शासन के साथ कोई भी शांति वार्ता नहीं हो सकती.
रूस ने बेलारूस को कहा ‘थैंक्यू’
रूस ने कहा कि “हम अपने बेलारूसी सहयोगियों की ओर से किए जा रहे बार-बार इस तरह शांति-प्रयासों के लिए विशेष रूप से आभारी हैं, जिन्होंने 2015 में भी इस तरह एक वार्ता मंच प्रदान किया था, जब हम उपायों के मिन्स्क पैकेज पर काम कर रहे थे. इसके बाद बेलारूस ने साल 2022 में भी रूसी-यूक्रेनी वार्ता का पहला दौर आयोजित किया था.
हाल ही में जखारोवा ने प्रधानमंत्री मोदी के शांति प्रयासों की भी सराहना की थी.