रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के टॉप मिलिट्री कमांडर्स से बांग्लादेश में हुए तख्तापलट और उसके बाद उपजे हालात पर गहन विश्लेषण करने का आह्वान किया है. रक्षा मंत्री ने रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध का उदाहरण देते हुए सशस्त्र सेनाओं को भविष्य में देश के सामने आने वाली समस्याओं का पूर्वानुमान लगाने और अप्रत्याशित तरीके से निपटने पर जोर दिया है.
गुरुवार को रक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित पहले ज्वाइंट कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (जेसीसी) को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान सीडीएस जनरल अनिल चौहान और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों सहित टॉप मिलिट्री कमांडर्स मौजूद थे. दो दिन तक चले इस सम्मेलन (4-5 सितंबर) में तीनों अंग यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना को देश में बनाए जाने वाली थियेटर कमांडर के प्लान को साझा करना था ताकि इस पर गहन विचार-विमर्श किया जा सके.
सम्मेलन की समाप्ति पर राजनाथ सिंह ने मिलिट्री कमांडर्स को संबोधित करते हुए कहा कि ”वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत में दुर्लभ शांति है और इस शांति से देश विकास भी कर रहा है.” हालांकि, राजनाथ सिंह ने चुनौतियों की बढ़ती संख्या के कारण, सतर्क रहने की आवश्यकता की बात कही. राजनाथ सिंह ने आगाह करते हुए कहा कि “हमें अपने वर्तमान पर ध्यान देने की जरूरत है मगर वर्तमान में हमारे आसपास होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखते हुए, भविष्य-उन्मुख होने पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा. इसके लिए हमारे पास एक मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा घटक होना चाहिए.” उन्होंने कहा कि हमारे पास अचूक निवारण क्षमता होनी चाहिए.
रक्षा मंत्री ने उत्तरी सीमा (चीन सीमा) की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि पड़ोसी देशों की स्थिति इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए चुनौती पेश कर रही है. ऐसे में राजनाथ सिंह ने एक बार फिर दोहराया कि “भारत एक शांतिप्रिय देश है. लेकिन शांति बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत है.”
ऐसे में रक्षा मंत्री ने संयुक्त सैन्य दृष्टि विकसित करने और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी पर जोर दिया. उन्होंने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में अमूल्य योगदान के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की तथा तीनों सेवाओं के बीच संयुक्तता और एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की. राजनाथ सिंह ने साथ ही दुश्मनों के उकसाने पर तालमेल के साथ तेज और आनुपातिक प्रतिक्रिया देने की बात भी कही.
रक्षा मंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में नवीनतम प्रगति के बढ़ते उपयोग पर ध्यान देने के साथ स्पेस, साइबर और इलेक्ट्रोनिक वारफेयर में क्षमता विकास पर भी जोर दिया.
बुधवार को शुरू हुए इस सम्मेलन में देश के संयुक्त शीर्ष-स्तरीय सैन्य नेतृत्व को एक साथ लाया गया ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में देश के समक्ष वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया जा सके.
सम्मेलन में संयुक्त और एकीकृत प्रतिक्रिया के लिए संगठन संरचनाओं सहित भविष्य की क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया और शांति व युद्ध के दौरान कार्य प्रक्रिया में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की बात की गई. यह विचार-विमर्श थिएटरीकरण, स्वदेशीकरण और तकनीकी विकास के व्यापक स्पेक्ट्रम पर फैला हुआ था, जिसमें रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सक्षम स्वायत्त हथियार प्रणालियां भी शामिल थीं.