By Himanshu Kumar
जम्मू कश्मीर में आतंकियों के हमलों से बचने के लिए भारतीय सेना स्थानीय गांवों के गार्ड्स को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रही है. इसके तहत पुलिस की मदद से सेना, विलेज डिफेंस गार्ड्स (वीडीजी) को हथियार चलाने से लेकर आतंकियों के खिलाफ रणनीति बनाने तक का प्रशिक्षण दे रही है.
शुरूआत में भारतीय सेना ने लगभग 600 गार्ड्स को स्वचालित राइफलों के संचालन, स्क्वाड पोस्ट ड्रिल और छोटी रणनीतियों पर गहन प्रशिक्षण दे रही है. यह प्रशिक्षण यूनिट स्तर पर, संबंधित गांवों के समीप आयोजित किया जा रहा है. प्रत्येक वीडीजी यूनिट को कम से कम तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण के लिए सेना ने सारोल स्थित कोर बैटल स्कूल के इंस्ट्रकेट्रर्स की मदद भी ली है.
जम्मू और कश्मीर पुलिस के अनुरोध पर शुरू की गई यह पहल पहले ही महत्वपूर्ण प्रगति देख चुकी है. अब तक राजौरी क्षेत्र में लगभग 500 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, जबकि डोडा और किश्तवाड़ क्षेत्रों में अतिरिक्त 85-90 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है.
प्रशिक्षण के अलावा, सेना के ऑर्डनेंस डिपो और पुलिस के बीच समन्वित प्रयासों के माध्यम से वीडीजी को सेल्फ लोडिंग राइफल्स (एसएलआर) दी जा रही हैं. इस पहल का उद्देश्य स्थानीय नागरिकों को अपने गांवों की सुरक्षा के लिए सक्षम बनाना है.
पिछले एक तीन-चार महीने से जम्मू क्षेत्र के पुंछ-राजौरी, नौशेरा, हीरानगर, कठुआ, उधमपुर, डोडा और किश्तवाड़ में आतंकियों ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है. ये आतंकी इन इलाकों के घने जंगल और पर्वतीत क्षेत्रों में लगातार घूमते रहते हैं और जहां भी मौका मिलता है सुरक्षाबलों पर या फिर गांव में अटैक कर देते हैं. यही वजह है कि सेना ने विलेज गार्ड्स को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी है ताकि जरूरत पड़ने पर आतंकियों से मुकाबला किया जा सके.