दुनिया को भविष्य के मंत्र से अवगत कराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ तौर से कहा है कि ‘मानवता की सफलता एक साथ रहने में है न कि जंग के मैदान में’.
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में समिट ऑफ द फ्यूचर को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहां कि ग्लोबल संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता है. क्योंकि सुधार से ही किसी भी संस्था की ‘प्रासंगिकता’ बनी रहती है. पीएम मोदी का साफ इशारा यूएन की तरफ ही था जहां पिछले कई दशक से किसी भी देश को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं बनाया गया है.
भारत, जापान, जर्मनी और अफ्रीकी यूनियन पिछले कुछ सालों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता के लिए दावेदारी कर रहे हैं.
पीएम मोदी ने पिछले साल राजधानी दिल्ली में आयोजित जी-20 समिट में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने का जिक्र करते हुए कहा कि “ग्लोबन एक्शन को ग्लोबल महत्वाकांक्षाओं से मैच होना आवश्यक है.”
मोदी ने कहा कि हम ऐसी ग्लोबल डिजिटल गवर्नेंस की आज सख्त जरूरत है जिससे राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता अक्षुक्ष्ण रहे.
बिना इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र किए, पीएम मोदी ने कहा कि जंग के मैदान में कोई सफलता नहीं मिल सकती है. आतंकवाद, साइबर, स्पेस, मेरीटाइम डोमेन को नए ‘बैटलफील्ड’ के तौर पर उभरने को लेकर भी पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र आम सभा को सचेत किया.