सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से खुलासा हुआ है कि चीन की एक न्यूक्लियर सबमरीन समंदर में डूब गई है. घटना पर ताना मारते हुए अमेरिका ने कहा है कि ऐसे समय में जब चीन अपना जंगी बेड़ा बढ़ाने में जुटा है, परमाणु पनडुब्बी का डूबना बड़ी ‘शर्मिंदगी’ की बात है.
चीनी न्यूक्लियर सबमरीन डूबी, गुणवत्ता पर सवाल
अमेरिका के मुताबिक, चीन की परमाणु संचालित सबमरीन मई और जून के महीने के बीच डूब गई थी. सबमरीन के डूबने की घटना वुहान के पास वुचांग शिपयार्ड में घटी. डूबने वाली पनडुब्बी झाओ क्लास की थी और परमाणु ऊर्जा से चलती थी. इस सबमरीन को उसकी लंबी टेल से पहचाना जाता है.
अमेरिका के कई अधिकारियों ने पनडुब्बी डूबने का दावा किया है. हालांकि ये ये साफ नहीं है कि पनडुब्बी के डूबने का कारण क्या था.
करीब तीन-चार महीने पहले भी इस घटना के बारे में सोशल मीडिया पर सवाल खड़े किए गए थे. उस वक्त कोई पुख्ता सबूत न होने और चीन द्वारा दुर्घटना के स्वीकार ने किए जाने के चलते मामला आया गया कर दिया गया था. लेकिन अब जो बंदरगाह पर बड़ी क्रेन के जरिए पनडुब्बी को समंदर से बाहर निकालने की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं तो घटना की प्रमाणिकता पर मुहर लग गई है.
कैसे हुआ चीनी पनडुब्बी डूबने का खुलासा?
‘प्लैनेट लैब्स’ ने जून में ली गई सैटेलाइट तस्वीरों की एक श्रृंखला जारी की है. जिसमें चीन के वुचांग शिपयार्ड में क्रेन दिखाई दे रहे हैं. माना जा रहा है कि डूबने वाली परमाणु पनडुब्बी को इसी शिपयार्ड में डॉक किया गया था. वहीं ये पनडुब्बी 10 मार्च को ‘मैक्सार टेक्नोलॉजीज’ की सैटेलाइट इमेज में वुहान के पास शिपयार्ड में खड़ा देखा गया था. इसके बाद इसे प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट इमेज में 16 मई को भी देखा गया. जून के आखिर में जो तस्वीरें ली गईं, उसमें पनडुब्बी नहीं दिखी, क्रेन जरूर दिखाई दीं.
चीन ने हादसे को लेकर क्या कहा है?
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अबतक मामले को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है. वहीं वाशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने किसी भी टिप्पणी से इनकार कर दिया है. चीनी प्रवक्ता ने कहा है कि “इस संबंध में हमारे पास बताने के लिए कोई जानकारी नहीं है.”
पिछले साल अगस्त के महीने में भी एक चीनी सबमरीन के डूबने की खबरें आई थी. कहा गया था कि उस सबमरीन में 55 चीनी सैनिक थे. चीनी पनडुब्बी पीले सागर में एक बैरियर से टकरा गई थी. ऑक्सीजन सिस्टम फेल हो जाने के कारण पनडुब्बी में तैनात सभी 55 सैनिकों की मौत हो गई थी. पर चीन ने इस घटना से भी इनकार किया था.
चीन का इतिहास रहा है कि अपने नुकसान को वो कभी स्वीकार नहीं करता है. गलवान घाटी में भी चीनी सैनिकों की मौत को चीन ने नहीं स्वीकार किया था. चीन हमेशा से ये कहता रहा था कि उनका कोई नुकसान नहीं हुआ था. झड़प के करीब आठ-नौ महीने बाद चीन ने कुछ मृत सैनिकों को सम्मान दिया तब जाकर खुलासा हुआ कि गलवान में भारत से टकराने के बाद चीन का भी नुकसान हुआ था.
दुनिया में सबसे बड़ा जंगी बेड़ा है चीन का
पेंटागन (अमेरिका के रक्षा विभाग) की हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें कहा गया था कि चीनी नौसेना के जंगी बेड़े में इस वक्त 370 युद्धपोत हैं, जबकि यूएस नेवी के पास महज 280 जहाज हैं. पेंटागन के मुताबिक, वर्ष 2025 तक चीन की पीएलए-नेवी के बेड़े में 390 वारशिप हो जाएंगे. वहीं अमेरिका के 300 युद्धपोत की संख्या 2030 के शुरुआती सालों से पहले तक भी पहुंच पाना मुश्किल है.