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भारत कर चुका है इजरायल जैसा ऑपरेशन

इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह कमांडर नसरल्लाह के खिलाफ जिस तरह का ऑपरेशन किया है, ठीक वैसा ही भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयर-स्ट्राइक में किया था. ये कहना है वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह का.

चीफ ऑफ एयर स्टाफ (सीएएस) के मुताबिक, पश्चिम एशिया संकट (इजरायल-हिजबुल्लाह-हमास-ईरान) से एक सीख मिली है कि हथियार और गोला-बारूद देश में तैयार होना चाहिए. ईरान के इजरायल पर 200 (180) मिसाइलों से हमले को लेकर एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि हम विदेश से गोला-बारूद रखकर लंबे समय तक स्टोर करके नहीं रख सकते हैं. क्योंकि गोला-बारूद की लाइफ होती है और कुछ समय बाद नष्ट हो जाते है. ऐसे में स्वदेशी गोला-बारूद ही एकमात्र उपाय है.

वायुसेना दिवस (08 अक्टूबर) से पहले राजधानी दिल्ली में सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एयर फोर्स चीफ ने कहा कि रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास जंग ने दुनिया को दिखा दिया है कि किसी भी देश के लिए ‘एयर-पावर’ कितनी महत्वपूर्ण है. 

एक सवाल के जवाब में वायुसेना प्रमुख ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि इजरायल जैसे क्षमता भारत के पास है. एयर चीफ मार्शल ने कहा कि बालाकोट एयर-स्ट्राइक (2019) वही है. 

खास बात है कि पाकिस्तान के बालाकोट में हुई एयर-स्ट्राइक में भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000 फाइटर जेट से इजरायल में बने स्पाइस-2000 बम का इस्तेमाल किया गया था. करीब एक हजार किलो का ये बम, बंकर-बस्टर के तौर पर जाना जाता है. 

लेकिन ईरान के इजरायल पर 200 मिसाइलों से हमले को लेकर वायुसेना प्रमुख से पूछे गए एक सवाल ने सभी कौ भौचक्का कर दिया. एयर चीफ मार्शल ने कहा कि क्षेत्रफल के हिसाब से भारत एक बड़ा देश है. ऐसे में अगर दुश्मन की मिसाइल किसी भी जगह जाकर गिरती है तो उसे रोकना मुश्किल हो जाएगा.

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हमें अपनी प्राथमिकता तय करनी होंगी कि कहां ज्यादा खतरा है. ऐसे में एयर डिफेंस सिस्टम को वहीं तैनात किया जाता है. इजरायल के आयरन डोम का जिक्र करते हुए चीफ ऑफ एयर स्टाफ ने बताया कि भारत के जखीरे में भी आकाश और पिचौरा मिसाइल से लेकर एस-400 है.

एयर फोर्स चीफ ने जानकारी दी कि रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली की तीन यूनिट मिल चुकी है. अगले साल (2025) में बाकी दो यूनिट भी मिलने की उम्मीद है. सिंह ने बताया कि यूक्रेन जंग के चलते रूस से दो यूनिट आने में देरी हो रही है.

इस बीच राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आत्मनिर्भरता पर जोर दिया. राजनाथ सिंह ने कहा “लंबे समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध से साफ हो गया है कि डिफेंस इंडस्ट्रियल बेस की महत्ता कम नहीं हुई है. बल्कि आने वाले समय में इसका विस्तार करने की जरुरत है.”

राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ समय पहले तक बड़े-बड़े एक्सपर्ट ये मानने लगे थे कि ‘अब युद्ध का स्वरूप पहले जैसा नहीं है’ यानी लंबे समय तक नहीं चलेंगे बल्कि शॉर्ट एंड स्विफिट होंगे.