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परमाणु पनडुब्बी, Predator ड्रोन को CCS मंजूरी

मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए दो परमाणु पनडुब्बी सहित अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने 45 हजार की दो न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (एसएसएन) और करीब 35 हजार करोड़ में एमक्यू-9 अमेरिकी ड्रोन खरीदने की मंजूरी दी है.

जानकारी के मुताबिक, दोनों परमाणु पनडुब्बी भारत में ही बनाई जाएंगी. विशाखापट्टनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर इन दोनों एसएसबीएन पनडुब्बियां का निर्माण करेगी. प्राईवेट कंपनी एलएंडटी इस प्रोजेक्ट में शिप बिल्डिंग सेंटर की मदद करेगा.

ये दोनों परमाणु पनडुब्बी, भारतीय नौसेना की निर्माणाधीन अरिहंत क्लास सबमरीन से अलग होंगी. अरिहंत क्लास की दो पनडुब्बियां (आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात) नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो चुकी हैं. इस क्लास की अरिदमन पनडुब्बी का निर्माण भी बेहद तेजी से चल रहा है.

ये दोनों नई पनडुब्बियां, परमाणु ऊर्जा से संचालित होंगी. जबकि अरहिंत क्लास पनडुब्बी (एसएसबीएन), परमाणु हथियार संचालित करने में सक्षम हैं. जबकि नई पनडुब्बियां, पारंपरिक हथियारों से लैस होंगी. उनमें न्यूक्लियर मिसाइल नहीं होती हैं.

हाल ही में यूएस दौरे पर गए प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने पर खास चर्चा की थी.

एमक्यू-9 रीपर ड्रोन दुनिया के बेहतरीन रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम में से एक है जिसका इस्तेमाल अमेरिकी सेना सहित कई नाटो देश करते हैं. एमक्यू-9 रीपर ड्रोन के आर्म्ड वर्जन यानि कॉम्बैट वर्जन को प्रीडेटर के नाम से जाना जाता है. लेकिन भारत को जो एमक्यू-9 मिलने जा रहे हैं वो अलग तरह के हैं.

भारत को एमक्यू-9 के दो वेरिएंट मिलने जा रहे हैं. ये दो वेरिएंट हैं–स्काई-गार्डियन और सी-गार्डियन. थलसेना यानि भारतीय सेना और वायुसेना को मिलेंगे स्काई-गार्डियन. भारतीय नौसेना को मिलेंगे सी-गार्डियन. इसके मायने ये हुए कि जमीन और आसमान की निगहबानी के लिए स्काई-गार्डियन और समंदर में नजर रखने के लिए सी-गार्डियन. (मोदी से मुलाकात में बाइडेन को ‘मेमोरी अटैक’, MQ-9 ड्रोन रहा याद)

जानकारी के मुताबिक, अमेरिका से भारत कुल 31 एमक्यू-9 ड्रोन लेने जा रहा है. लेकिन ये डील किस्तों में होगी. यानि पहली खेप में 10 ड्रोन लिए जाएंगे, बाकी उसके बाद. कुल 31 ड्रोन में से 15 ड्रोन जो होंगे नौसेना को मिलेंगे यानि 15 सी-गार्डियन इंडियन नेवी को मिलेंगे. इसी तरह से 16 स्काई गार्डियन जो भारत अमेरिका से लेने जा रहा है उसमें से 8-8 थलसेना और वायुसेना को मिलेंगे. यानी एलएसी से लेकर हिंद महासागर में चीन की हर हरकत पर ये एमक्यू-9 रखेंगे पैनी नजर. (MQ-9 डील पक्की लेकिन भारत खिन्न !)

ये एमक्यू-9 कोई साधारण क्वॉडकॉप्टर  नहीं हैं बल्कि किसी फाइटर जेट की ही तरह बड़े ड्रोन होते हैं. इसीलिए इन्हें रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम का नाम भी दिया जाता है. इन एयरक्राफ्ट में पायलट, कॉकपिट में बैठकर आसमान में उड़ान नहीं भरता है बल्कि जमीन पर रहकर इन्हें रिमोट से फ्लाई करता है या ऑपरेट करता है. इन एमक्यू-9 ड्रोन की लंबाई 36 फीट होती है और इनका विंगस्पैन यानि चौड़ाई करीब-करीब 80 फीट की होती है.

ये एमक्यू-9 ड्रोन मल्टी रोल-मल्टी मिशन आरपीएएस सिस्टम होते हैं. यानि एक एयरक्राफ्ट कई तरह के रोल अपना सकता है और अलग-अलग तरह के ऑपरेशन भी कर सकते हैं. जैसा कि सी-गार्डियन ड्रोन है जो एंटी-सरफेस यानि दुश्मन के युद्धपोत को भी मिसाइल से मार गिराने में सक्षम है तो समंदर के कई सौ फीट नीचे ओपरेट कर रही पनडुब्बी को भी तबाह कर सकता है यानी एंटी-सबमरीन ऑपरेशन भी कर सकता है. ये हेल तकनीक यानि हाई ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस ड्रोन होते हैं. ये 40-50 हजार फीट की ऊंचाई पर 30-30 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं.

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