प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की नीति को साकार करते हुए भारत ने स्वदेशी ‘आकाश’ मिसाइल सिस्टम को एक मित्र-देशों को एक्सपोर्ट किया है. खुद रक्षा सचिव (उत्पादन) संजीव कुमार ने आकाश एयर डिफेंस मिसाइल की पहली बैटरी (यूनिट) को एक्सपोर्ट के लिए हरी झंडी दिखाई.
आकाश मिसाइल को बनाने वाली कंपनी ‘भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ (बीईएल) ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि हथियारों के निर्यात में देश ने एक बड़ा कदम उठाया है. बीईएल ने हालांकि, उस देश का नाम उजागर नहीं किया है जिसे आकाश निर्यात की जा रही है.
कुछ साल पहले जब भारत ने आर्मेनिया को पिनाका रॉकेट सिस्टम एक्सपोर्ट किया था, तो अजरबैजान ने कड़ा विरोध किया था. क्योंकि वर्ष 2020 में दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ था. ऐसे में अजरबैजान को लगा कि भारत, उसके दुश्मन देश आर्मेनिया की सैन्य सहायता कर रहा है. यही वजह है कि सोमवार को आकाश मिसाइल को हरी झंडी दिखाते समय ये नहीं बताया गया कि किस देश को निर्यात किया जा रहा है. (https://x.com/BEL_CorpCom/status/1855993330418561531)
हालांकि, आर्मेनिया सहित ब्राजील और फिलीपींस जैसे देशों ने आकाश मिसाइल को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. फिलीपींस को भारत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस भी निर्यात कर चुका है. पिछले हफ्ते ही भारत के दौरे पर आए फ्रांसीसी सेना के एक प्रतिनिधिमंडल ने जानकारी दी थी कि भारत के पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को खरीदने की तैयारी की जा रही है.
बीईएल ने ये भी बताया कि आकाश मिसाइल सिस्टम के साथ मित्र-देश को ग्राउंड सपोर्ट इक्यूपमेंट भी दिए गए हैं, जिनमें सर्विलांस रडार, मिसाइल गाईडेंस रडार और सी4आई सिस्टम शामिल है.
पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ मित्र-देशों को स्वदेशी हथियार सप्लाई करने का भी संकल्प लिया है. यही वजह है कि भारत आज आकाश, पिनाका और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों का निर्यात कर रहा है ताकि मित्र-देशों की सैन्य ताकत को भी बढ़ाया जा सके.
आकाश मिसाइल की खूबियां
स्वदेशी मिसाइल डिफेंस सिस्टम आकाश, जमीन से आसमान में मार करती है. इसकी रेंज करीब 25 किलोमीटर है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार इस मिसाइल प्रणाली को भारतीय वायुसेना में वर्ष 2012 में शामिल किया गया था. मिसाइल का उत्पादन सरकारी उपक्रम बीईएल और बीडीएल ने एलएंडटी और टाटा जैसी प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर किया है. वर्ष 2015 में भारतीय वायुसेना में आकाश की कुल 10 स्क्वाड्रन थीं जिन्हें तेजपुर, जोरहाट, हासीमारा और पुणे जैसे महत्वपूर्ण एयरबेस पर तैनात किया गया था.
वर्ष 2015 में भारतीय सेना यानी थलसेना में भी आकाश मिसाइल सिस्टम को शामिल किया गया था ताकि सैनिकों और टैंकों के काफिलों को हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान की जा सके. आकाश को शुरुआत में एक सर्फेस टू एयर मिसाइल के तौर पर ईजाद किया गया था. लेकिन बाद में इसे मिसाइल डिफेंस सिस्टम के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाने लगा. डीआरडीओ के मुताबिक, आकाश वेपन सिस्टम करीब 2000 स्क्वायर किलोमीटर की रेंज में पूरी तरह सुरक्षा प्रदान कर सकता है.
आकाश मिसाइल सिस्टम की एक बैटरी में चार लॉन्चर होते हैं. एक लॉन्चर में तीन मिसाइल होती हैं. एक बैटरी एक साथ 64 टारगेट को डिटेक्ट कर सकती है और एक बार में 12 एरियल टारगेट को तबाह भी कर सकती है.
चार एरियल टारगेट एक साथ करती है तबाह
पिछले साल दिसंबर के महीने में भारत ने स्वदेशी आकाश मिसाइल डिफेंस प्रणाली से आसमान में एक साथ चार निशाने लगाकर इतिहास रच दिया था. भारत के रक्षा उपक्रम डीआरडीओ का दावा था कि एक फायरिंग यूनिट से 25 किलोमीटर की रेंज में एक साथ चार एरियल टारगेट को तबाह करने वाला भारत पहला देश बन गया है.
लेकिन डीआरडीओ ने जो दिसंबर 2023 में परीक्षण किया था, वो इस मायने में बेहद अहम था कि अगर किसी महत्वपूर्ण एयरबेस या फिर संस्थान पर एक साथ चौतरफा हमला हो तो कम दूरी पर उन हमलों को एक साथ कैसे आसमान में ही तबाह कर देना है. ये एरियल अटैक किसी रॉकेट, मिसाइल, ड्रोन या फिर फाइटर जेट का भी हो सकता है.
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