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रॉकेट से गाइडेड मिसाइल में तब्दील पिनाका, DRDO ने दिखाया कमाल

पूरी दुनिया में अपनी मारक क्षमता का लोहा मनवाने वाला स्वदेशी पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर अब एक मिसाइल सिस्टम में तब्दील हो गया है. गुरुवार को ‘गाइडेड पिनाका वेपन सिस्टम’ के प्रोविजनल ट्रायल के सफल परीक्षण किए गए. ये टेस्ट तीन अलग अलग चरणों में अलग अलग फायरिंग रेंज में किए गए.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ‘प्रोविजनल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट’ (पीएसक्यूआर) ट्रायल के दौरान पिनाका की रेंज, सटीकता और रेट ऑफ फायर को परखा गया. टेस्ट के दौरान जिन दो पिनाका लॉन्चर्स को सेना इस्तेमाल कर रही है और गाइडेड सिस्टम में तब्दील किया गया है उनसे रॉकेट दागे गए. इसके लिए रॉकेट बनाने वाली अलग-अलग एजेंसियों के 12 रॉकेट को दागा गया.

पिनाका को एक गाइडेड वेपन बनाने के लिए रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ, भारतीय सेना और सभी एजेंसियों को बधाई दी और कहा कि अब सेना की आर्टिलरी फायर पावर अधिक बढ़ जाएगी.

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित पिनाका, एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम था जो 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागता है. भगवान शिव के धनुष ‘पिनाक के नाम पर इस रॉकेट सिस्टम को नाम दिया गया है जो चंद सेकेंड में दुश्मन के बंकर, चौकियों और दूसरे महत्वपूर्ण ठिकानों को नेस्तनाबूद कर देने की क्षमता रखता है. 90 के दशक के मध्य से भारतीय सेना पिनाका को इस्तेमाल कर रही है. कारगिल युद्ध के दौरान भी भारतीय सेना ने पाकिस्तानी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया था.

पिनाका की रेंज करीब 40 किलोमीटर थी. लेकिन वर्ष 2019 से डीआरडीओ, इस रॉकेट को मिसाइल सिस्टम में तब्दील करने की तैयारी कर रहा था ताकि मारक क्षमता और रेंज को बढ़ाया जा सके. अब पिनाका सिस्टम की रेंज करीब 75 किलोमीटर हो गई है. (https://youtube.com/shorts/EH7nKeKjbOA?si=e1x0pDKaC5PgqxjL)

हाल ही में भारतीय सेना ने इन पिनाका सिस्टम की 06 नई रेजीमेंट को पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी पर तैनात किया है.

पिछले साल आर्मेनिया ने करीब 2000 करोड़ रुपये में भारत से पिनाका की चार बैटरी (यूनिट) खरीदी थी. हाल ही में भारत के दौरे पर आए फ्रांसीसी सेना के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी पिनाका खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. (फ्रांस खरीदेगा भारत का पिनाका रॉकेट सिस्टम, वजह है ये)

मौजूदा रुस-यूक्रेन युद्ध में रॉकेट सिस्टम का जबरदस्त इस्तेमाल किया गया है. रुस ने यूक्रेन के सैन्य ठिकानों और आर्टिलरी गन सिस्टम को तबाह करने के लिए स्मर्च और ग्रैड रॉकेट सिस्टम का बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया है.

दरअसल, किसी भी तोप से एक के बाद एक गोला दागने में काफी समय लगता है. मिसाइल सिस्टम भी एक बार में एक या दो बार ही दागी जा सकती है. लेकिन दुश्मन के ठिकानों को पूरी तरह तबाह करने के लिए एक बाद एक रैपिड फायरिंग के लिए रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा दुश्मन देश की सेना पर भी इस तरह के प्रहार का काफी साइक्लोजिक प्रभाव पड़ता है. यही वजह है कि मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम रणभूमि का एक अहम हथियार बनकर उभरा है. इसी का कारण है कि फ्रांस सहित ज्यादा से ज्यादा देशों की सेनाओं की दिलचस्पी पिनाका जैसे रॉकेट सिस्टम में काफी बढ़ गई है.

हाल ही में भारतीय सेना के तोपखाने (आर्टिलरी) के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने बताया था कि रूस-यूक्रेन युद्ध में देखा गया है कि लैंडमाइंस (बारूदी सुरंग) को बिछाने के लिए रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में 30-40 किलोमीटर दूर से ही रॉकेट के जरिए बारूदी सुरंग को बिछाया जा सकता है.

ऐसे में डीआरडीओ और भारतीय सेना मिलकर पिनाका रॉकेट सिस्टम को एरिया डिनाएयल म्युनिशन सिस्टम (एडीएमएस) में तब्दील कर रहे हैं. ऐसे में भारतीय सेना पिनाका के जरिए ही लैंड माइंस को बिछाने की तैयारी कर रही है. (यूक्रेन युद्ध से सीख, पिनाका बिछाएगा दुश्मन के लिए बारूदी सुरंग)

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