अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप से पहले ईरान को दिया है तगड़ा झटका. बाइडेन प्रशासन ने ईरान के तेल और दूसरे देशों में ट्रांसपोर्ट करने वाली 35 कंपनियों पर बैन लगा दिया है. बाइडेन प्रशासन के इस फैसले का भारत पर भी असर हो सकता है क्योंकि बैन लगाई गई कंपनियों में भारत की भी दो कंपनियां शामिल हैं.
जो बाइडेन ने जिन दो भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, उनके नाम विजन शिप मैनेजमेंट एलएलपी और टाइटशिप शिपिंग मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड शामिल है. भारत की दो कंपनियों के अलावा जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें चीन, संयुक्त अरब अमीरात, लाइबेरिया, हांगकांग समेत कई देशों के जहाज और कंपनियां हैं.
आतंकियों पर ईरान खर्च करता है तेल का पैसा: अमेरिका
अमेरिकी वित्त विभाग ने अपने आधिकारिक बयान में जानकारी देते हुए कहा कि 1 अक्टूबर को इजरायल पर ईरान के किए गए हवाई हमले के बाद कंपनियों के खिलाफ एक्शन लिया गया है. आतंकवाद और वित्तीय खुफिया विभाग के सचिव ब्रैडली टी स्मिथ ने कहा, “ईरान अपने पेट्रोलियम व्यापार से होने वाले राजस्व को परमाणु कार्यक्रम, बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन के प्रसार तथा आतंकवादियों पर खर्च कर रहा है, जिससे क्षेत्र में और अधिक अस्थिरता पैदा होने का खतरा है. अमेरिका अवैध गतिविधियों को सरंक्षण देने वाले जहाजों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है.”
दरअसल, हाल ही में अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि सत्ता संभालने के बाद उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे जिन्होंने पिछले एक साल से इजरायली (और अमेरिकी) नागरिकों को बंधक बनाया हुआ है. हालांकि, ईरान आरोपों को खारिज करता आया है लेकिन माना जाता है कि तेहरान की शह पर ही आतंकी संगठन हमास ने 100 से ज्यादा लोगों को अभी भी बंधक बनाया हुआ है.
जिन भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी बैन, उनके बारे में जानिए
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के मुताबिक, “भारत स्थित विजन शिप मैनेजमेंट, एलएलपी फोनिक्स का प्रबंधन और संचालन करती है, जिसे पहले लूना लेक के नाम से जाना जाता था. इस कंपनी ने 2022 लाखों बैरल ईरानी कच्चे तेल का परिवहन किया है. इसके अलावा, भारत स्थित टाइटशिप शिपिंग मैनेजमेंट (ओपीसी) प्राइवेट लिमिटेड ऑलिव, ब्लैक पैंथर और लायनेस जहाजों का प्रबंधन या संचालन करती है. इन जहाजों से 2022 से सामूहिक रूप से एनआईओसी के लिए करोड़ों डॉलर का ईरानी तेल ले जाया गया है. ब्लैक पैंथर ईरानी ध्वज वाले जहाजों के साथ ईरानी तेल के जहाज-से-जहाज हस्तांतरण में भी शामिल है.”
साफ है कि ईरान के खिलाफ बाइडेन प्रशासन के कड़े एक्शन से भारतीय कंपनियों को भी भारी नुकसान पहुंचा है.